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जानें क्‍यों दुर्लभ हैं 'विक्टोरिया क्राउन' कबूतर, जिन्‍हें BSF ने तस्‍करों से कराया आजाद, पहले कब कब पकड़ी खास पक्षियों की तस्‍करी

दक्षिण बंगाल फ्रंटियर अंतर्गत सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने बंगाल के नदिया जिले में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास तस्करी के प्रयासों को नाकाम करते हुए एक दुर्लभ प्रजाति के एक कबूतर (विक्टोरिया क्राउन ) को तस्करों के चंगुल से आजाद कराया है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 07:04 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 07:04 PM (IST)
जानें क्‍यों दुर्लभ हैं 'विक्टोरिया क्राउन' कबूतर, जिन्‍हें BSF ने तस्‍करों से कराया आजाद, पहले कब कब पकड़ी खास पक्षियों की तस्‍करी
दुर्लभ प्रजाति के एक कबूतर (विक्टोरिया क्राउन ) को तस्करों के चंगुल से आजाद कराया

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : दक्षिण बंगाल फ्रंटियर अंतर्गत सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने बंगाल के नदिया जिले में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास तस्करी के प्रयासों को नाकाम करते हुए एक दुर्लभ प्रजाति के एक कबूतर (विक्टोरिया क्राउन ) को तस्करों के चंगुल से आजाद कराया है। बीएसएफ की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में बताया गया कि 82 वीं वाहिनी की सीमा चौकी गोंगरा के सीमा पर तैनात जवानों ने खुफिया शाखा की सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए सुबह इस दुर्लभ प्रजाति के एक कबूतर को तस्करी से बचाया। हालांकि बीएसएफ के जवानों को देखकर तस्कर मौके से भाग निकले।

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इस विशेष प्रजाति के कबूतर को तस्कर बांग्लादेश से भारत में तस्करी के लिए ला रहे थे। अधिकारियों का कहना है कि अपनी शारीरिक संरचना और विशेष खूबियों के लिए यह कबूतर जाना जाता है।

विक्टोरिया क्राउन को दुनिया का सबसे बड़ा कबूतर भी माना जाता है।अपने नीले पंखों और सिर पर मुकुट के साथ यह बहुत सुंदर लगता है। यह दुर्लभ कबूतर आमतौर पर विदेशों में राई के जंगलों, न्यू गिनी के दलदली क्षेत्रों और कुछ द्वीपों में ही पाए जाते हैं। इस कबूतर की संख्या भी दुनिया में बहुत कम है।बीएसएफ अधिकारियों की मानें तो भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र से संभवत: पहली बार इस तरह का दुर्लभ कबूतर तस्करों से मुक्त कराया गया है। वैसे इस सीमा क्षेत्र से दुर्लभ पक्षियों की लगातार तस्करी की कोशिशें होती रही है।बीएसएफ ने तस्करों के चंगुल से बचाए गए दुर्लभ कबूतर को वन विभाग कृष्णानगर को सौंप दिया है।

'पक्षियों की तस्करी को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रही बीएसएफ'

इधर, 82वीं वाहिनी बीएसएफ के कामंडिंग आफिसर संजय प्रसाद सिंह ने बताया कि बीएसएफ सीमा पर होने वाली दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों की तस्करी को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रही है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा की हम किसी भी हाल में अपने इलाके से तस्करी नही होने देंगे।

बीएसएफ ने दक्षिण बंगाल सीमा से कब-कब जब्त किया दुर्लभ प्रजाति का पक्षी

  • - बीएसएफ की 54वीं वाहिनी के जवानों ने बीते तीन सितंबर को नदिया जिले में ही अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास दुर्लभ प्रजाति के तीन सफेद मोर को तस्करों के चंगुल से बचाया था। इन मोरों को तस्करों द्वारा सीमा चौकी मटियारी के सीमावर्ती क्षेत्र से होकर बांग्लादेश से भारत में तस्करी के लिए लाया जा रहा था।
  • - बीएसएफ की 158वीं वाहिनी के जवानों ने इससे पहले बीते 19 जुलाई को बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास वन्य जीवों की तस्करी को नाकाम करते हुए दुर्लभ प्रजाति के 10 पक्षियों (होमिंग पिजन) को तस्करों के चंगुल से बचाया था। इन पक्षियों को सीमा चौकी दोबारपरा के सीमावर्ती इलाके से बांग्लादेश से भारत में तस्करी के उद्देश्य से लाया जा रहा था।
  • - बीएसएफ की 153वीं वाहिनी ने उत्तर 24 परगना जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास 24 जुलाई को दुर्लभ प्रजाति के 20 कबूतरों को तस्करों के चंगुल से बचाया था। इन कबूतरों को रात के अंधेरे में सीमा चौकी दोबिला के सीमावर्ती इलाके से होकर बांग्लादेश से भारत में तस्करी के उद्देश्य से लाने की कोशिश की जा रही थी।
  • - बीएसएफ की 158वीं बटालियन के जवानों ने पिछले साल दो दिसंबर को उत्तर 24 परगना जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास दुर्लभ प्रजाति के चार टूकान पक्षियों को जब्त किया था।इसे सीमा चौकी खरारमठ के क्षेत्र से सीमा पार कराकर भारत में तस्करी की कोशिश की जा रही थी। टुकान पक्षी मूल रूप से मध्य व दक्षिण अमेरिकी देशों में पाए जाते हैं।

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