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    Kanchanjunga Express Train Accident: हादसे के बाद दार्जिलिंग में फिर से शुरू हुई रेल सेवाएं, ये ट्रेनें हुई रद्द तो इनका रूट डायवर्ट

    Updated: Tue, 18 Jun 2024 09:15 AM (IST)

    Kanchanjunga Express train accident बीते सोमवार (17 जून) को पश्चिम बंगाल में न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के पास एक मालगाड़ी ने पीछे सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को तेज टक्कर मार दी। इस हादसे के दौरान रेलगाड़ी के डिब्बे एक दूसरे के ऊपर चढ़ गए। हादसे में कम से कम 15 लोगों की मौत हुई है वहीं करीब 60 लोग घायल हैं।

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    Kanchanjunga Express Train Accident: हादसे के बाद फिर शुरू हुई कंचनजंगा एक्सप्रेस

    एएनआई, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के पास बीते सोमवार (17 जून) को एक मालगाड़ी ने सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस (Kanchanjunga Express train accident) को टक्कर मार दी, जिससे ट्रेन के तीन पिछले डिब्बे पटरी से उतर गए। इस हादसे में कम से कम 15 लोगों की मौत हुई है और करीब 60 लोग घायल हुए हैं जिनका इलाज जारी है। 

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    वहीं, हादसे के बाद कई ट्रेनों को रोक दिया गया था जिसके कारण यात्रियों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन अब दार्जिलिंग जिले के फांसीदेवा इलाके से ट्रेन सेवाएं फिर से शुरू कर दी गई है।

    इन ट्रेनों को किया गया रद्द

    पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे की आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, (15719) कटिहार-सिलीगुड़ी इंटरसिटी एक्सप्रेस, (15720) सिलीगुड़ी-कटिहार इंटरसिटी एक्सप्रेस, (12042) न्यू जलपाईगुड़ी-हावड़ा शताब्दी एक्सप्रेस, (12041) हावड़ा-न्यू जलपाईगुड़ी शताब्दी एक्सप्रेस और (15724) सिलीगुड़ी-जोगबनी इंटरसिटी एक्सप्रेस सहित पांच ट्रेनें आज के लिए रद्द कर दी गई हैं।

    इन ट्रेनों का बदला गया समय

    पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सब्यसाची डे की विज्ञप्ति के अनुसार, न्यू जलपाईगुड़ी से नई दिल्ली जाने वाली ट्रेन संख्या 12523 सुपरफास्ट एक्सप्रेस का समय बदलकर 12.00 बजे रवाना किया गया है।

    रेलवे के अनुसार, ट्रेन संख्या 20504 नई दिल्ली से डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस, 13176 सिलचर से सियालदह कंचनजंघा एक्सप्रेस और 12523 न्यू जलपाईगुड़ी से नई दिल्ली सुपरफास्ट एक्सप्रेस का मार्ग परिवर्तित किया गया।

    वहीं, हादसे में घायलों का उपचार सिलीगुड़ी के उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कराया जा रहा है। 

    रात से ही चल रहा मरम्मत का काम

    कटिहार पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) शुभेंदु कुमार चौधरी ने बताया कि, रात से ही मरम्मत का काम चल रहा है। कल एनजेपी (न्यू जलपाईगुड़ी जंक्शन) की ओर अपलाइन पर इंजन का ट्रायल किया गया...आधे घंटे के भीतर इसके बगल की लाइन भी बहाल कर दी जाएगी।

    सियालदह के डीआरएम दीपक निगम ने कहा कि हमने यात्रियों से उनकी स्थिति के बारे में पूछा है...डॉक्टरों की टीम और आरपीएफ की टीम भी मौके पर है। हमारे पास एंबुलेंस भी स्टैंडबाय पर हैं, अगर जरूरत पड़ी तो हम उनका इस्तेमाल करेंगे...यात्रियों को मार्गदर्शन देने के लिए मेडिकल बूथ भी यहां मौजूद हैं।

    भारतीय रेलवे पर भड़कीं ममता बनर्जी

    कोलकाता हवाईअड्डे पर ममता ने कहा कि रेलवे अनाथ हो गई है। कोई देखने वाला नहीं है। सिर्फ बातें होती हैं। यात्रियों के लिए कोई सुरक्षा नहीं है। उन्होंने शिकायत की कि रात में लंबी दूरी की ट्रेन यात्रा अब एक दु:स्वप्न है। मैं समय-समय पर सियालदह के यात्रियों की पीड़ा देखती हूं। मैंने यह भी सुना है कि रात की ट्रेन में यात्रियों को जो बिस्तर (कंबल-चादर, तकिए) दिए जाते हैं उनमें भी गंदगी रहती है। यही स्थिति है।

    सिग्नल की अनदेखी से हुआ हादसा

    प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया सिन्हा ने रेल हादसे के लिए सिग्नल की अनदेखी को जिम्मेदार बताया है। यह स्पष्ट तौर पर मानवीय भूल है। बंगाल में जिस रूट पर रेल हादसा हुआ, उस पर अभी कवच प्रणाली नहीं लगाई गई है।

    रेलवे का कहना है कि दिल्ली-गुवाहटी रेल लाइन को अगले वर्ष के प्लान में शामिल किया गया है। चालू वर्ष के आखिर तक तीन हजार किमी नए ट्रैक पर कवच प्रणाली लग जाएगी।

    वर्ष 2025 में भी अतिरिक्त तीन हजार किमी ट्रैक को शामिल किया जाएगा। एक्सप्रेस ट्रेनों में कवच लगाने का काम फरवरी 2016 में शुरू किया गया था। ट्रायल के बाद वर्ष 2018-19 में तीन कंपनियां एचबीएल पावरसिस्टम्स, केर्नेक्स और मेधा को निर्माण का काम दिया गया। जुलाई 2020 में इसे रेल सुरक्षा प्रणाली के रूप में अपनाया गया। लगाने में प्रति किमी 50 लाख रुपये खर्च आता है। इसमें ट्रैक पर आप्टिकल फाइबर केबल बिछाना, दूरसंचार टावर लगाने के साथ स्टेशनों में उपकरण लगाने का काम शामिल है।

    कवच होता तो रूक सकता था हादसा

    देश में जब भी रेल हादसा होता है तो कवच प्रणाली चर्चा में आ जाती है। प्रश्न उठाए जाते हैं कि कवच प्रणाली लगी होती तो हादसा नहीं होता। कवच स्वचालित ट्रेन प्रोटेक्शन तकनीक है। रेलवे ने चलती ट्रेनों को हादसे से बचाने के लिए स्वदेशी तकनीक से इसे विकसित किया है। लोको पायलट की लापरवाही या ब्रेक लगाने में विफल होने पर कवच अपने आप सक्रिय हो जाता है और चलती ट्रेन में ब्रेक लगाकर हादसे के खतरे को पूरी तरह टाल देता है।

    यह दो स्थितियों में प्रभावी तरीके से हादसों को रोकता है। अगर दो ट्रेनें एक ही पटरी पर आमने-सामने आ रही हैं तो लगभग चार सौ मीटर के फासले पर दोनों ट्रेनों में अपने आप ब्रेक लग जाएगा।

    दूसरा, यदि कोई ट्रेन किसी अन्य ट्रेन के पीछे से आ रही है और सुरक्षित दूरी को क्रास कर गई है तो कवच उसे भी आगे नहीं बढ़ने देता है। इसके अतिरिक्त चलती ट्रेन के रास्ते में रेडलाइट या गेट आ जाएगा तो कवच उसकी गति पर भी ब्रेक लगा देता है।

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