रिटायर होने से चार दिन पहले हटाए गए जादवपुर यूनिवर्सिटी के VC भास्कर गुप्ता, शिक्षा मंत्री ने राज्यपाल पर साधा निशाना
राज्यपाल सीवी आनंद बोस की मंजूरी से जादवपुर विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति भास्कर गुप्ता को कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही हटा दिया गया। 27 मार्च को जारी अधिसूचना के अनुसार उनका कार्यभार वापस ले लिया गया है। इससे विश्वविद्यालय कुलपति विहीन हो गया है जिससे नए गतिरोध की आशंका जताई जा रही है। शिक्षा मंत्री ने राज्यपाल पर गतिरोध बढ़ाने का आरोप लगाया है।
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। भास्कर गुप्ता को जादवपुर विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति के पद से हटा दिया गया है। प्रोफेसर के तौर पर उनका कार्यकाल 31 मार्च को समाप्त होने वाला है। चार दिन पहले 27 मार्च को राजभवन से एक अधिसूचना जारी कर कहा गया है कि भास्कर अब कुलपति के पद पर नहीं रहेंगे। यानी उन्हें समय से पहले ही हटा दिया गया। यह अधिसूचना विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं राज्यपाल सीवी आनंद बोस की मंजूरी से जारी की गई है।
अधिसूचना में क्या कहा गया?
राजभवन की अधिसूचना में कहा गया है कि जादवपुर विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति के रूप में प्रोफेसर भास्कर गुप्त को दिया गया कार्यभार, जो 20 अप्रैल, 2024 को दिया गया था, वापस लिया जा रहा है। यह अधिसूचना इसके जारी होने की तारीख से प्रभावी होगी। यह अधिसूचना कुलाधिपति के अनुमोदन से जारी की जा रही है। इस आशय के निर्देश विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार को भेज दिए गए हैं।
राजभवन के इस निर्देश के बारे में भास्कर ने कहा कि मैंने 22 अप्रैल, 2024 से कार्यवाहक कुलपति के रूप में कार्यभार संभाला है। यह पत्र चार दिन पहले दिया गया था। मैं 31 तारीख तक विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रानिक्स और दूरसंचार विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहूंगा। जब तक मैं कुलपति के पद पर था, मैंने जादवपुर के विकास के लिए काम किया। भास्कर को हटाए जाने के परिणामस्वरूप, जादवपुर विश्वविद्यालय फिलहाल कुलपति विहीन है।
विश्वविद्यालय में गतिरोध पैदा होने की आशंका
कई लोगों का मानना है कि इससे विश्वविद्यालय में नया गतिरोध पैदा हो सकता है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद राज्यपाल बोस ने राज्य के 36 विश्वविद्यालयों में से 19 में स्थायी कुलपति नियुक्त कर दिए हैं। 16 अन्य विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्तियां अभी भी लंबित हैं। जादवपुर उनमें से एक है।
जादवपुर के बारे में राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा कि जिस तरह रवींद्र भारती और कलकत्ता विश्वविद्यालय में अशांति देखी गई थी, जादवपुर भी उसी राह पर आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची में से किसी एक व्यक्ति को स्थायी कुलपति नियुक्त किया जा सकता था। राज्यपाल ने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने गतिरोध पैदा कर दिया।
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