Bengal Panchayat Polls: संवेदनशील बूथों की बजाय स्ट्रांग रूम की सुरक्षा में केंद्रीय बलों की हुई तैनाती
चुनाव में केंद्रीय बलों के नोडल अधिकारी व बीएसएफ के आईजी ने भी शनिवार को राज्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात कर अपनी नाराजगी जाहिर की। सूत्रों का कहना है कि बीएसएफ के आईजी ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने पेशेवर ढंग से अपनी भूमिका का पालन नहीं किया। इस बीच गृह मंत्रालय ने कहा कि बंगाल में केंद्रीय बल समय पर नहीं पहुंच सका।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मतदान के दौरान शनिवार को राज्यभर के विभिन्न जिलों में हुई व्यापक हिंसा के बाद राज्य चुनाव आयोग व ममता सरकार सबके निशाने पर है।
खासकर चुनाव से पहले कलकत्ता हाई कोर्ट के कड़े निर्देश एवं विपक्षी दलों द्वारा हिंसा को लेकर बार-बार आगाह किए जाने के बावजूद जिस तरह लोकतंत्र के पर्व में खून खराबा, बूथों पर कब्जे करने व मतपत्रों को लूटने जैसी शर्मसार करने वाली घटनाएं सामने आई उससे आयोग की भूमिका सवालों के घेरे में है।
चुनावी हिंसा में अबतक 15 की मौत
विपक्षी दल केंद्रीय बलों का सही इस्तेमाल नहीं करने को लेकर सवाल उठा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो मुर्शिदाबाद, कूचबिहार, दक्षिण 24 परगना, मालदा व अन्य जिलों में जहां व्यापक हिंसा हुई और 15 लोगों की जानें गईं, वहां के ज्यादातर संवेदनशील बूथों पर केंद्रीय बल के जवान नहीं दिखे।
कितने जवानों की हुई थी तैनाती?
आधिकारिक सूत्रों की मानें तो संवेदनशील बूथों की बजाय अधिकतर केंद्रीय बलों को स्ट्रांग रूम की सुरक्षा में तैनात रखा गया था। गौरतलब है कि चुनाव के लिए केंद्रीय बलों तथा दूसरे राज्य के पुलिस बल के 59 हजार जवानों को लाया गया था, जिनकी संवेदनशील बूथों पर तैनाती की जानी थी।
यह भी सवाल उठता है कि हाई कोर्ट ने चुनाव के लिए केंद्रीय बलों की 822 कंपनियों की तैनाती का निर्देश दिया था, लेकिन 600 के आसपास कंपनी (करीब 59,000 जवान) ही बंगाल पहुंची, उनमें से ज्यादातर आखिरी समय में पहुंची। विपक्षी दल इसके लिए भी आयोग को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि केंद्रीय बल भेजने के लिए आयोग ने न तो केंद्र से विशेष आग्रह किया और न ही कोई समन्वय बनाया।
BSF के आईजी ने क्या कुछ कहा?
चुनाव में केंद्रीय बलों के नोडल अधिकारी व बीएसएफ के आईजी ने भी शनिवार को राज्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात कर अपनी नाराजगी जाहिर की। सूत्रों का कहना है कि बीएसएफ के आईजी ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने पेशेवर ढंग से अपनी भूमिका का पालन नहीं किया।
गृह मंत्रालय ने चुनाव आयुक्त पर उठाई उंगली
इस बीच गृह मंत्रालय ने कहा कि बंगाल में केंद्रीय बल समय पर नहीं पहुंच सका, क्योंकि राज्य चुनाव आयोग ने मदद नहीं की। सहयोग मिलता तो चुनाव से पहले 822 कंपनी बल बंगाल में आ जाता।