Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बंगाल का रण : चुनावों में नेताओं को पैसे से मदद पहुंचाने वाला अवैध कोयला कारोबारी इस दफा चुनावी सीन से पूरी तरह गायब

    By Vijay KumarEdited By:
    Updated: Wed, 17 Mar 2021 09:07 PM (IST)

    पश्चिम बंगाल में वर्ष 2011 और 2016 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान नेताओं को पैसे से मदद पहुंचाने वाला अवैध कोयला कारोबारी अनूप माजी उर्फ लाला इस दफा चुनावी सीन से पूरी तरह गायब है। ऐसा पहली बार हो रहा है

    Hero Image
    पहली बार लाला सिंडिकेट का काला धन नहीं लग रहा चुनाव में

    पुरुलिया से प्रदीप सिंह : पश्चिम बंगाल में वर्ष 2011 और 2016 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान नेताओं को पैसे से मदद पहुंचाने वाला अवैध कोयला कारोबारी अनूप माजी उर्फ लाला इस दफा चुनावी सीन से पूरी तरह गायब है। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब लाला के सिंडिकेट का काला धन उन नेताओं तक नहीं पहुंच पा रहा है जो इसके बूते अपनी चुनावी नैया पार करते रहे हैं। भाजपा ने सत्ताधारी दल पर लाला को संरक्षण देने का आरोप लगाया है, केंद्रीय जांच एजेंसियां इसकी तफ्तीश भी कर रही हैं। लाला के कई करीबी को गिरफ्तार किया गया है, वह खुद भागा-भागा फिर रहा है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लाला के इस अवैध साम्राज्य से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बांकुड़ा, झाडग़्राम, पश्चिमी और पूर्वी बद्र्धमान, वीरभूम, मेदिनीपुर तक के रसूखदार लाभान्वित होते थे। यानी लगभग 100 विधानसभा सीटों तक उसका दायरा फैला था। इसके बूते उसे राजनीतिक संरक्षण मिलता था और उसकी तूती बोलती थी। कोई उसके खिलाफ खड़ा नहीं होता था, उसकी अवैध कोयले से लदी गाडिय़ों को रोकने की हिम्मत अधिकारी नहीं जुटा पाते थे, लेकिन केंद्रीय एजेंसियों ने जब उसकी नकेल कसी तो तत्काल होने वाली काली कमाई पर नकेल कस गई। 

    लाला के अवैध धन पर शिकंजा कसा तो ऐसे नेताओं को अब चुनाव में पैसे की किल्लत हो रही है। राज्य सरकार के एक वरीय अधिकारी के मुताबिक इसका चुनाव में बहुत असर पड़ेगा। पहली बार धन-बल का प्रयोग कम होगा, जिससे चुनाव परिणाम को अपने पक्ष में मोडऩे वाले नेताओं को निराशा हाथ लगेगी। बताते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में एक बड़ी कंपनी, जिसकी जायदाद अब ईडी जब्त कर चुकी है, के एंबुलेंस के जरिए भी लाला ने कई नेताओं तक पैसे पहुंचाए थे।

    -------

    डिस्को कोयले पर सत्ता को नचाता है लाला : 

    तस्करी के धंधे में अवैध कोयले को डिस्को कोयला कहा जाता है। डिस्को कोयले का रेट छह हजार से साढ़े सात हजार प्रति टन है, जबकि वैध कोयले का रेट दस हजार रुपये प्रति टन है। कम कीमत होने की वजह से अवैध कोयले की खरीदारी खूब होती है और कारोबारियों को यह फायदेमंद लगता है। लाला के अवैध धंधे में रोजाना का टर्नओवर 200 करोड़ रुपये का है। उसके साथ लगभग एक लाख लोग जुड़े हैं। लाला ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर बीस हजार करोड़ से ज्यादा का साम्राज्य खड़ा किया है। पैसे की मदद कर उसने सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों से बेहतर संपर्क बनाए हैं। लाला का पैतृक घर पुरुलिया के पाड़ा में है। 

    ------

    झारखंड तक फैला है साम्राज्य :

    केंद्रीय एजेंसियों ने जब लाला की नकेल कसी तो एक-एक कर उसके सिंडिकेट का पर्दाफाश हो रहा है। उन धंधेबाजों के नाम भी सामने आ रहे हैं जो इससे अकूत कमाई कर रहे थे। उसके सिंडिकेट में शामिल सोनू अग्रवाल पर भी नकेल कस रही है। सोनू अग्रवाल का साम्राज्य झारखंड तक फैला है। झारखंड में कई बड़े अधिकारियों से उसके बेहतर ताल्लुक हैं।