कोलकाता में हुक्का बार पर फिलहाल नहीं लगेगा प्रतिबंध, बंगाल होईकोर्ट ने नगर निगम की याचिका की खारिज
केएमसी की ओर महानगर के सभी हुक्का बार बंद करने का आदेश देने की मांग की गई लेकिन हुक्का बार मालिकों की वकील मेघला दास ने बुधवार को सुनवाई के दौरान दलील दी कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो कहता हो कि बार बंद किए जा सकते हैं।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता: महानगर में फिलहाल हुक्का बार पर प्रतिबंध नहीं लगेगा। कोलकाता नगर निगम (केएमसी) ने हुक्का बार नहीं बंद करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के एकलपीठ के फैसले को मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्ववाली दो जजों की खंडपीठ में चुनौती दी थी।
केएमसी की ओर महानगर के सभी हुक्का बार बंद करने का आदेश देने की मांग की गई, लेकिन हुक्का बार मालिकों की वकील मेघला दास ने बुधवार को सुनवाई के दौरान दलील दी कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो कहता हो कि बार बंद किए जा सकते हैं। दोनों पक्षों की लंबी दलील सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने एकलपीठ के फैसले को बरकरार रखते हुए केएमसी की मांग को खारिज कर दिया।
बता दें कि साल 2003 में सेंट्रल टोबैको एक्ट के तहत हुक्का बार संचालित होते हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं। हुक्का बार मालिक पहले ही सवाल उठा चुके हैं कि केएमसी उन फैसलों की अनदेखी कर हुक्का बार बंद करने का फैसला कैसे कर सकता है। बार मालिकों का दावा है कि हुक्का में हर्बल तंबाकू का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसलिए अगर नगर निगम ने अपना फैसला नहीं बदला तो एक हजार से ज्यादा बार सह रेस्टोरेंट के कारोबार को नुकसान होगा।
साथ ही उन्होंने सवाल किया कि केएमसी किस आधार पर हुक्का बार बंद करना चाहती है। इससे पहले पिछले साल दिसंबर की शुरुआत में केएमसी ने महानगर के सभी हुक्का बार बंद करने की घोषणा की थी। कोलकाता नगर निगम के मेयर फिरहाद हकीम ने महानगर के सभी रेस्तरां मालिकों से हुक्का बार बंद करने की अपील की थी।
इसके बाद कोलकाता में पुलिस ने भी कार्रवाई शुरू कर दी। विधाननगर नगर निगम अध्यक्ष सब्यसाची दत्ता ने भी पुलिस कमिश्नरेट को पत्र लिखकर हुक्का बार बंद करने के लिए सक्रिय होने का अनुरोध किया था। नगर निगम और पुलिस के इस कदम के खिलाफ कई हुक्का बार मालिकों ने कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 24 जनवरी को हाई कोर्ट की एकलपीठ ने कोलकाता और बिधाननगर इलाके में हुक्का बार बंद करने के निर्देश को निरस्त कर दिया था।
न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने आदेश में कहा कि चूंकि इस संबंध में राज्य में कोई कानून नहीं है। हुक्का बार महानगरीय और उपनगरीय क्षेत्रों में संचालित हो सकते हैं। अगर अब भी हुक्का बार बंद करने की जरूरत पड़ी तो इसे रोकने के लिए राज्य या नगर पालिका को नया कानून बनाना होगा। तब तक पुलिस हुक्का बारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है। उसी फैसले को दो जोजों की खंडपीठ में चुनौती दी गई थी।
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