Kolkata: अवैध निर्माण पर हाई कोर्ट ने बिधाननगर निगम को लगाई फटकार, कहा- इतने दिनों तक क्या सो रहे थे?
कोलकाता के बिधाननगर नगर निगम को कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अवैध निर्माण को लेकर सुस्ती बरतने की वजह से जमकर फटकारा है। खंडपीठ ने सुनवाई करते हु ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कोलकाता के बिधाननगर नगर निगम को कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अवैध निर्माण को लेकर सुस्ती बरतने की वजह से जमकर फटकारा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस शिवगणनम और न्यायाधीश हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने इससे संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि नगर निगम क्या इतने दिनों से सो रहा है?
कानून के मुताबिक करनी होगी कड़ी कार्रवाई
कोर्ट ने कहा कि अगले 30 दिनों के अंदर अवैध निर्माण पर कानून के मुताबिक कड़ी कार्रवाई करनी होगी। आगामी 15 मई को मामले की अगली सुनवाई होनी है उस दिन इस संबंध में नगर निगम को यह रिपोर्ट देनी होगी कि कितने अवैध निर्माण पर क्या कुछ कार्रवाई की गई है।
पहले नहीं हुई थी कार्रवाई
मालूम हो कि सुमन दास सहित कई अन्य लोगों ने 2020 में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी। उन्होंने दावा किया था कि बिधाननगर नगरनिगम क्षेत्र में 39 प्लाट पर 333 अवैध निर्माण हुए हैं। इसमें नियमों का बिल्कुल पालन नहीं किया गया है। शुरुआती सुनवाई में ही हाईकोर्ट ने नगर निगम को इस मामले में कदम उठाने के निर्देश दिए थे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
लंबे समय से मिल रही हैं अवैध निर्माण की शिकायतें
इसी को लेकर शुक्रवार को एक बार फिर जब हाई कोर्ट का ध्यानाकर्षण किया गया तो कोर्ट ने कहा कि लंबे समय से अवैध निर्माण की शिकायतें मिल रही हैं। आश्चर्यजनक है कि नगर निगम ने इस मामले में आंख बंद कर रही है। पहले ही इस मामले में कार्रवाई हो जानी चाहिए थी। किसी भी तरह से अवैध निर्माण को स्वीकार नहीं किया जा सकता। दोनों जजों की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक हर हाल में अवैध निर्माण के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट चाहिए।
नगर निगम एक विशेष समिति करे गठित
कोर्ट ने आगे कहा कि भविष्य में इस तरह का निर्माण ना हो इसको लेकर भी कदम उठाना होगा। नगर निगम एक विशेष समिति गठित करे जो अवैध निर्माण रोकने के लिए काम करे। समिति का काम नियमित तौर पर निगरानी करना होगा। नगर निगम क्षेत्र में अवैध निर्माण को लेकर किसी तरह की अनियमितता होती है तो तुरंत नगर निगम को सचेत करना होगा। उसी के मुताबिक कार्रवाई भी होनी चाहिए।

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