Saradha Scam: हाई कोर्ट ने सारधा ग्रुप की जब्त संपत्ति न्यायाधीश तालुकदार कमेटी को सौंपने का दिया निर्देश
सारधा ग्रुप की जब्त की गई चल-अचल संपत्ति हैं वो सब तालुकदार कमेटी को सौंप दें। तालुकदार कमेटी बाजार नियामक संस्था सेबी के माध्यम से उनकी बिक्री करेगी। उसके बाद सारधा घोटाले के पीड़ित निवेशकों को उनसे संग्रहित फंड से भुगतान करने की व्यवस्था करेगी।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने सारधा ग्रुप की जब्त की गई सारी चल-अचल संपत्ति सेवानिवृत्त न्यायाधीश शैलेंद्र प्रसाद तालुकदार की अगुआई वाली कमेटी को सौंपने का निर्देश दिया है। न्यायाधीश इंद्र प्रसन्न मुखोपाध्याय और न्यायाधीश सुवेंदु सामंत की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार समेत जिन संस्थाओं के पास भी सारधा ग्रुप की जब्त की गई चल-अचल संपत्ति हैं, वो सब तालुकदार कमेटी को सौंप दें। तालुकदार कमेटी बाजार नियामक संस्था सेबी के माध्यम से उनकी बिक्री करेगी। उसके बाद सारधा घोटाले के पीड़ित निवेशकों को उनसे संग्रहित फंड से भुगतान करने की व्यवस्था करेगी।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने इससे पहले सारधा के पीड़ित निवेशकों के लिए 500 करोड़ रुपये का फंड गठित करने की घोषणा की थी। सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्यामल सेन की अगुआई में गठित आयोग के मार्फत 287 करोड़ रुपये पीड़ित निवेशकों को देने को दिए गए थे। पीड़ित निवेशकों के अधिवक्ता शुभाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि उस फंड में भी 140 करोड़ रुपये पड़े हुए हैं। उसे भी तालुकदार कमेटी को सौंपा जाना चाहिए।
दूसरी ओर सारधा चिटफंड घोटाले में भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को कोलकाता के साल्टलेक इलाके में स्थित सीबीआइ दफ्तर के सामने धरना दिया। इसके अलावा दिनहाटा व कांथी समेत राज्य के कई स्थानों पर भी तृणमूल की तरफ से प्रदर्शन किया गया। सीबीआइ दफ्तर के सामने धरने की अगुआई तृणमूल विधायक बाबुल सुप्रियो ने की।
उन्होंने सीबीआइ जांच पर सवाल उठाते हुए कहा-‘सारधा घोटाले में सुवेंदु को छोड़कर सभी आरोपितों से पूछताछ की गई है। सुवेंदु को छूट क्यों दी जा रही है? दरअसल सुवेंदु सीबीआइ-ईडी से बचने के लिए ही भाजपा में गए हैं।’ तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा-‘हम सीबीआइ के खिलाफ नहीं है। सीबीआइ का जिस तरह से गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, हम उसके खिलाफ हैं।’
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।