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West Bengal: देश में अगरबत्ती उद्योग का बढ़ रहा बाजार, रोजगार के भी बढ़े हैं अवसर

भारत में अगरबत्ती का उत्पादन प्रतिदिन केवल 760 मीट्रिक टन ही है। मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर है। इसलिए इसमें रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं। बता दें कि अगरबत्ती का इस्तेमाल आमतौर पर धार्मिक उद्देश्यों के लिए और त्योहारों में किया जाता है।

By Priti JhaEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 03:47 PM (IST)Updated: Wed, 25 May 2022 03:47 PM (IST)
West Bengal: देश में अगरबत्ती उद्योग का बढ़ रहा बाजार, रोजगार के भी बढ़े हैं अवसर
West Bengal: देश में अगरबत्ती उद्योग का बढ़ रहा बाजार, रोजगार के भी बढ़े हैं अवसर

जासं, कोलकाता। देश में अगरबत्ती उद्योग का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। मांग बढ़ने के साथ इस उद्योग में रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। इस उद्योग में काफी संभावनाएं है। यह कहना है कि प्रमुख अगरबत्ती निर्माता साइकिल प्योर अगरबत्ती के प्रबंध निदेशक अर्जुन रंगा का। वे कोलकाता में मंगलवार को कंपनी के नए उत्पादों को पेश करने मौके पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

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इस मौके पर कंपनी के ब्रांड एंबेसडर एवं भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान व बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरभ गांगुली के हाथों इसे पेश किया गया। कंपनी के शीर्ष अधिकारी अर्जुन रंगा ने इस दौरान कहा कि उनके नए अगरबत्ती उत्पाद को मैसूर के चामुंडेश्वरी देवी मंदिर, नंजुंदेश्वर स्वामी मंदिर और लक्ष्मी वेंकटरमनस्वामी मंदिर से इकट्ठे किए पवित्र फूलों से महिलाओं के हाथों तैयार किया गया है।

उन्होंने कहा कि इसकी अलौकिक सुगंध मंदिरों के पावन फूलों, दुर्लभ बूटियों व प्राकृतिक तेल का नतीजा है। उन्होंने कहा कि यह अगरबत्ती त्योहारों, समारोहों और विशेष रीति-रिवाजों के लिए उपयुक्त है। रंगा ने आगे बताया कि देश में अगरबत्ती कारोबार करीब आठ हजार करोड़ रुपये का है।

बताते चलें कि केंद्रीय सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने साल 2020 के अंत में अगरबत्ती उत्पादन क्षेत्र में भारत को आत्म-निर्भर बनाने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा प्रस्तावित एक अद्वितीय रोजगार सृजन कार्यक्रम को मंजूरी दी थी।

खादी अगरबत्ती आत्म-निर्भर मिशन नाम के इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों में बेरोजगारों और प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार पैदा करना और घरेलू अगरबत्ती उत्पादन में पर्याप्त तेजी लाना है। इस परियोजना के पूर्ण कार्यान्वयन होने पर अगरबत्ती उद्योग में हजारों की संख्या में रोजगार के अवसर का सृजन होगा। बता दें कि देश में अगरबत्ती की वर्तमान खपत लगभग 1490 मीट्रिक टन प्रतिदिन है।

हालांकि, भारत में अगरबत्ती का उत्पादन प्रतिदिन केवल 760 मीट्रिक टन ही है। मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर है। इसलिए, इसमें रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं। बता दें कि अगरबत्ती का इस्तेमाल आमतौर पर धार्मिक उद्देश्यों के लिए और त्योहारों में किया जाता है। अगरबत्ती उद्योग भारत के श्रम प्रधान कुटीर उद्योगों में से एक रहा है। विनिर्माण संयंत्रों के साथ मुख्य क्षेत्रों के रूप में मैसूर और बैंगलोर के साथ कर्नाटक सबसे आगे है। यह प्रत्येक परिवार और पवित्र स्थानों और अन्य आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों में एक विशिष्ट वस्तु और एक आवश्यक वस्तु है।  


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