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फोन में दोस्त बना कर देह व्यापार, बिहार, उड़ीसा और सिलीगुड़ी रेड लाइट एरिया से बरामद लड़कियों ने खोला राज

कोविड-19 महामारी स्कूल कॉलेज बंद। पढ़ाई के नाम पर मोबाइल के प्रति युवक-युवतियों का बढ़ता आकर्षण। इसी चक्कर में मोबाइल से युवक-युवती पहले दोस्ती और फिर प्यार का झांसा देकर दार्जिलिंग जिले के विभिन्न क्षेत्रों से युवतियों को देह व्यापार के दलदल में धकेल रहे हैं।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 06:24 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 06:24 PM (IST)
कंचनजंगा उद्धार केंद्र की ओर से उधार की गई लड़कियां

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी: कोविड-19 महामारी स्कूल कॉलेज बंद। पढ़ाई के नाम पर मोबाइल के प्रति युवक-युवतियों का बढ़ता आकर्षण। इसी चक्कर में मोबाइल से युवक-युवती पहले दोस्ती और फिर प्यार का झांसा देकर दार्जिलिंग जिले के विभिन्न क्षेत्रों से युवतियों को देह व्यापार के दलदल में धकेल रहे हैं। इस बात का खुलासा मानव तस्करी के खिलाफ काम करने वाली स्वयंसेवी संगठन कंचनजंगा उद्धार केंद्र के द्वारा दार्जिलिंग के मिरिक की 5 लड़कियां, दार्जिलिंग मोड की 1 लड़की व असम की 1 लड़की के उद्धार करने के बाद हो पाया है।

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कंचनजंगा उद्धार केंद्र की संयोजक रंगू सौरिया ने बताया कि मिरिक की 5 लड़कियों को उड़ीसा से उद्धार किया गया है। इन लड़कियों मानव तस्करों ने पहले मोबाइल के जरिए दोस्ती की। पिछले लॉकडाउन में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में नाच गाने के लिए इन्हीं लाया और अच्छी राशि देकर इनका विश्वासी जीता। कोविड-19 महामारी के दूसरी लहर में एक बार फिर इन लड़कियों से जो सभी स्कूल छात्राएं हैं संपर्क स्थापित किया। पिछले वर्ष का लालच काम आया और यह सभी माता-पिता को बिना बताए सिलीगुड़ी आ गए। यहां से उन्हें बहला-फुसलाकर और ज्यादा पैसा देने के लालच में उड़ीसा ले जाया गया। वहां इन लड़कियों का मोबाइल और जेवरात छीन लिए गए। एक कमरे में बंद कर इन्हें देह व्यापार के दलदल में धकेला गया।

तीन लड़कियां किसी तरह वहां से निकलकर वापस आई और इसकी जानकारी परिवार वालों को और कंचनजंगा उद्धार केंद्र को दी। उनसे मिली जानकारी के आधार पर उड़ीसा पुलिस के सहयोग से दोनों लड़कियों को भी वहां से उद्धार कराया गया। इसी प्रकार दार्जिलिंग मोड के एक युवती को मोबाइल के जरिए प्रेम जाल में फंसाया गया। उसे कोलकाता दीघा घुमाने के नाम पर सिलीगुड़ी से वहां ले जाया गया। वहां से उसे कुछ नशीला पदार्थ खिलाकर बिहार के छपरा मानव तस्कर गिरोह ले गए। वहां एक कमरे में इसे रखकर बाड़ी बाड़ी से दूसरे लड़कों के साथ उसके साथ देह व्यापार कराए जाने लगा। इसका विरोध करने पर उसके साथ मारपीट किया जाता था। इसकी भी जानकारी जब कंचनजंगा उद्धार केंद्र को मिली तो वहां से पुलिस की मदद से उस लड़की का उद्धार कराया गया।

इसी तरह नौकरी के प्रलोभन में मोबाइल के जरिए प्रेमा लाभ करते हुए आश्रम का एक युवक वहां बोंगाईगांव  से एक लड़की को लेकर सिलीगुड़ी आया और उसे रेड लाइट एरिया में बेच दिया। तीन-चार माह यहां यातनाएं झेलने के बाद लड़की किसी तरह निकलकर थाने पहुंच गई। उसके बाद कंचनजंगा उधार केंद्र के माध्यम से उसके परिवार तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है।

कंचनजंगा सुधार केंद्र के साथ जुड़े प्रभात पाठक का कहना है कि आज के युवाओं के हाथ में मोबाइल भले ही अभिभावक दें लेकिन उस पर निगरानी जरूरी है। बुआ किसी से दोस्ती और क्या करता है इसकी जानकारी परिवार का एक सदस्य दोस्त बन कर लेते रहे।

इसके साथ ही युवक और युवतियों को भी किसी से दोस्ती उसका फोटो देखकर नहीं करना चाहिए। जिस नंबर से वह उसे दोस्त बनने के लिए प्रपोज करता है उसकी जानकारी स्थानीय थाना यशविन सेवी संगठनों को देना चाहिए। इसके माध्यम से उसकी सच्चाई सामने आएगी। नौकरी का प्रलोभन मैं कोई भी युवक-युवती ना फंसे जिससे आने वाला दिन उनके जीवन के लिए काला अध्याय बन जाए।


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