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    West Bengal: कोलकाता के आसपास लड़ाकू विमान की गूंज, सैन्य प्रशिक्षण में लिया था हिस्सा

    By Jagran NewsEdited By: PRITI JHA
    Updated: Tue, 15 Nov 2022 12:07 PM (IST)

    कोलकाता का निकटतम हवाई अड्डा कलाईकुंडा (पूर्वी मिदनापुर जिले में) में वायु सेना स्टेशन है। आइएएफ और रिपब्लिक आफ सिंगापुर एयर फोर्स (आरएसएएफ) के बीच एक संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण (जेएमटी) चल रहा है। इस अभ्यास के लिए जहां आरएसएएफ ने अपने एफ-16 भेजे हैं

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    कोलकाता के आसपास लड़ाकू विमान की गूंज, सैन्य प्रशिक्षण में लिया था हिस्सा

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सोमवार दोपहर कोलकाता के उत्तरी उपनगरों के कुछ हिस्सों में एक लड़ाकू विमान की आवाज सुनाई दी, जिसके बाद कई अटकलें लगाई गईं और पायलट की सुरक्षा के बारे में चिंता जताई गई। देश के उत्तर या पश्चिमी भाग के अन्य शहरों के विपरीत, कोलकाता और उसके उपनगरों में लड़ाकू विमान ऊपर उडऩे के आदी नहीं है। लोग भारतीय वायु सेना (आइएएफ) के हेलीकाप्टरों के आदी हैं, बैरकपुर में वायु सेना स्टेशन शहर के उत्तरी उपनगरों में ही स्थित है।

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    अनिमेष दास, जिनका अपना मोटर गैरेज है और इससे पहले एक एयरमैन के रूप में भारतीय वायुसेना की सेवा की, उन्होंने कहा- दोपहर के करीब तीन बजे, मैंने शोर सुना और महसूस किया कि यह एक लड़ाकू विमान है जो नीचे उड़ रहा है। जब तक मैं घर से बाहर निकला, तब तक वह जा चुका था। मुझे बस उम्मीद है कि विमान और पायलट के साथ सब कुछ ठीक है। इसने भारतीय वायुसेना के साथ मेरे दिनों की यादें ताजा कर दीं।

    कोलकाता का निकटतम हवाई अड्डा कलाईकुंडा (पूर्वी मिदनापुर जिले में) में वायु सेना स्टेशन है। आइएएफ और रिपब्लिक आफ सिंगापुर एयर फोर्स (आरएसएएफ) के बीच एक संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण (जेएमटी) चल रहा है। इस अभ्यास के लिए जहां आरएसएएफ ने अपने एफ-16 भेजे हैं, वहीं आइएएफ सुखोई एसयू-30 एमकेआई, जगुआर, मिग -29 और एलसीए तेजस उड़ा रहा है। एएफएस कलाईकुंडा के पास खुद के हाक एडवांस्ड जेट ट्रेनर्स के दो स्क्वाड्रन भी हैं।

    आइएएफ और आरएसएएफ के बीच जेएमटी का द्विपक्षीय चरण चल रहा है जहां दोनों वायु सेनाएं उन्नत वायु युद्ध सिमुलेशन में लगी हुई है। यह वह चरण है जब दोनों तरफ के विमान रेड टीम या ब्लू टीम का हिस्सा होते हैं। रेड टीम हमलावर है जबकि ब्लू टीम डिफेंडर है। विमान में लाइव युद्ध सामग्री नहीं होती है लेकिन पायलटों द्वारा बनाए गए सिम्युलेटेड शाट्स को रिकॉर्ड किया जाता है और डीब्रीफिंग के दौरान फिर से चलाया जाता है। यह हवा से हवा में युद्ध कौशल में सुधार करने में मदद करता है। यह सबसे भीषण चरण भी है जहां हर पायलट आसमान में हवाई लड़ाई में विरोधी को पछाडऩे की पूरी कोशिश करता है।

    आइएएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह वह चरण भी है जहां पायलट अपने विमान को सीमा तक ले जाते हैं। इस स्तर पर तकनीकी गड़बड़ी की पूरी संभावना है और एक पायलट निकटतम हवाई क्षेत्र में वापस उड़ान भर सकता है। कोलकाता में नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा इस तरह के अभ्यास के दौरान डायवर्सन हवाई अड्डा है और संकट में एक पायलट ने इसकी ओर रुख किया होगा, जिससे जमीन पर हडक़ंप मच गया।

    वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा- डायवर्सन हवाईअड्डा वह है जो आपात स्थिति के दौरान एक विमान को पुनप्र्राप्त कर सकता है और लैंडिंग के दौरान सभी सहायता प्रदान कर सकता है। इस तरह के अंतर्राष्ट्रीय अभ्यास के दौरान, एक डायवर्सन हवाई क्षेत्र होना चाहिए। कभी-कभी, यह एक पायलट के कौशल की जांच करने के लिए डायवर्जन हवाई अड्डे का पता लगाने और उड़ान भरने के लिए ड्रिल का एक हिस्सा भी हो सकता है। यह जरूरी नहीं है कि पायलट या उसका विमान किसी खतरे में हो। हो सकता है कि वह कोलकाता में उतरा भी न हों। हो सकता है कि यह सिर्फ अभ्यास का एक हिस्सा रहा हो। 

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