Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बंगाल में फर्जी पासपोर्ट रैकेट का भंडाफोड़, कराते थे बांग्लादेशियों की घुसपैठ; बीएसएफ के DG ने दिया सख्त निर्देश

    Updated: Wed, 25 Dec 2024 09:05 PM (IST)

    West Bengal News पश्चिम बंगाल में फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट को तैयार किया जाता था। इन पासपोर्ट से बांग्लादेशियों की भारत में घुसपैठ कराई जाती थी। पुलिस ने मोख्तार आलम नाम के युवक को गिरफ्तार किया है। फर्जी पासपोर्ट मामले में अब तक छह लोगों को पकड़ा जा चुका है।

    Hero Image
    फर्जी दस्तावेज के आधार पर बनाए जा रहे थे पासपोर्ट। ( सांकेतिक फोटो )

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। फर्जी पासपोर्ट रैकेट की जांच कर रही बंगाल पुलिस ने दावा किया है कि गिरोह के सदस्य बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए पैकेज सिस्टम से फर्जी दस्तावेज से पासपोर्ट बनाने का कारोबार चला रहे थे।

    पुलिस ने मंगलवार को राज्य के उत्तर 24 परगना जिले से मोख्तार आलम नाम के एक युवक को गिरफ्तार किया है। वह गिरोह का सक्रिय सदस्य है। उसके पास से एटीएम कार्ड, कई आपत्तिजनक दस्तावेज व कुछ लोगों के पैन कार्ड बरामद हुए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अब तक छह लोग गिरफ्तार

    मालूम हो कि पिछले 10 दिनों के दौरान राज्य के विभिन्न इलाकों से फर्जी पासपोर्ट रैकेट के सिलसिले में गिरफ्तारियों की संख्या बढ़कर छह हो गई है। जांच में पता चला है कि मोख्तार गिरोह का सरगना समरेश बिस्वास का करीबी है। पुलिस ने बताया कि मोख्तार पैकेज सिस्टम से बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फर्जी दस्तावेजों से पासपोर्ट बनाता था।

    नाम-पता सब बदल देता था गिरोह

    पहचान पत्र में घुसपैठिए का नाम, पता, धर्म सब बदल दिया जाता था। उसने इसके लिए कई एजेंट भी रखे थे। मोख्तार लोगों को बांग्लादेश से अवैध तरीके से पार कराता था। वह पहले भी गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस ने जिला अदालत में संदेह जताया है कि गिरोह के सदस्य अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी से भी जुड़े हो सकते हैं।

    बीएसएफ के डीजी का गिरोह को तोड़ने का सख्त निर्देश

    फर्जी पासपोर्ट गिरोह को पकड़ने के लिए बीएसएफ को अब राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं है। बीएसएफ के डीजी दलजीत सिंह चौधरी ने बीएसएफ को सीमा शुल्क और इमीग्रेशन (आव्रजन) विभाग के साथ मिलकर गिरोह को तोड़ने का सख्त निर्देश दिया है। बीएसएफ सूत्रों के मुताबिक राज्य पुलिस से जिस तरह का सहयोग मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पा रहा है।

    आरोप है कि पुलिस पते पर जाने के बजाय आवेदक को जमा किए गए दस्तावेजों के साथ एक जगह आने के लिए कहती है। वहां दस्तावेज देखने के बाद क्लीयरेंस दे दिया जाता है। यह भी आरोप है कि पुलिस वेरिफिकेशन से छूट पाने के लिए पैसे का खेल चल रहा है। फर्जी दस्तावेज वाले आवेदकों के नाम की जानकारी संबंधित अधिकारियों को पहले ही दे दी जाती है।

    यह भी पढ़ें: भोपाल में पकड़ा गया बड़ा गिरोह, 20-20 हजार रुपये में बेचे बैंक खाते; 3 महीने में साढ़े पांच करोड़ का लेनदेन

    यह भी पढ़ें: क्रिसमस के दिन गोवा में हादसा, समुद्र में यात्रियों से भरी नाव पलटी, एक की मौत; 20 लोग बचाए गए