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    Agneepath Scheme: अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर भूतपूर्व सैन्य कर्मियों ने कही ये बात

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Fri, 17 Jun 2022 09:14 AM (IST)

    Agneepath Scheme अग्निपथ भर्ती योजना के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों पर भूतपूर्व जनरल और वायु कमांडर की मिलीजुली प्रतिक्रिया है। इसके योजना के तहत बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करने के लिए संविदा के आधार पर अल्पकाल के लिए सैनिकों की भर्ती होगी जिन्हें ‘अग्निवीर’कहा जाएगा।

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    Agneepath Scheme: अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर भूतपूर्व सैन्य कर्मियों की राय

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सशस्त्र बलों के लिए हाल ही में शुरू की गई 'अग्निपथ' भर्ती योजना के खिलाफ देश के कुछ हिस्सों में जारी विरोध प्रदर्शनों पर भूतपूर्व जनरल और वायु कमांडर की मिलीजुली प्रतिक्रिया है। कुछ का मानना है कि यह युवाओं की उनके भविष्य को लेकर आशंका की अभिव्यक्ति है, जबकि अन्य का कहना है कि यह सुनियोजित हो सकता है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को थल सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नयी ‘अग्निपथ योजना’ का ऐलान किया। इसके तहत बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करने के लिए संविदा के आधार पर अल्पकाल के लिए सैनिकों की भर्ती की जाएगी, जिन्हें ‘अग्निवीर’कहा जाएगा। हालांकि, बलों में भर्ती के आकांक्षी युवा कई राज्यों में प्रदर्शन कर रहे हैं, रेल पटरियों और राजमार्गों पर नाकेबंदी कर रहे हैं। सेना के भूतपूर्व कर्मी, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जे आर मुखर्जी ने कहा कि युवा अपने भविष्य के बारे में आशंका से विरोध कर रहे होंगे कि चार साल बाद जब वे सेना से बाहर आएंगे तो क्या होगा।

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    एक खराब निर्णय

    अग्निपथ योजना के अनुसार, हर साल 25 प्रतिशत रंगरूटों को बलों में बरकरार रखा जाएगा, जबकि बाकी 75 प्रतिशत चार साल के संविदा अवधि पूरी होने के बाद नागरिक जीवन में वापस आ जाएंगे। मुखर्जी ने पीटीआई से फोन पर बात करते हुए कहा कि वह ‘‘इसके बारे में अच्छा नहीं सोचते’’और अग्निपथ योजना लाने को एक खराब निर्णय करार दिया। उन्होंने सवाल किया कि उन्हें एक छोटी अवधि में प्रशिक्षित कैसे किया जा सकता है जब उनकी सेवा अवधि केवल चार वर्ष की होगी। उन्होंने कहा, ‘‘आप भारतीय युवकों को तोप के चारे में बदल रहे हैं।’’हालांकि, एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) अरूप राहा ने कहा कि साढ़े 17 साल से शुरू होने वाली भर्ती प्रक्रिया से सशस्त्र बलों की आयु में चार से पांच साल की कमी आएगी और यह सेना के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगा।

    भर्ती का नया तरीका काम करेगा

    राहा ने कहा कि योजना की सफलता एक मजबूत निकास नीति पर निर्भर करेगी जिसमें चार साल बाद बाहर जाने वालों को सरकारी या निजी क्षेत्र की नौकरियों में उचित तरीके से शामिल किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें नागरिक जीवन में, उद्योग में, सरकारी एजेंसियों, सीआरपीएफ या सीएपीएफ में लिया जाना चाहिए और नीति बहुत स्पष्ट होनी चाहिए।’’राहा ने कहा कि अल्पकालिक आधार पर शामिल होने के कारण दक्षता हानि या परिचालन तैयारियों के बारे में आशंका हो सकती है लेकिन इसे अच्छे नेतृत्व से दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘आप उन्हें प्रशिक्षित करना और प्रेरित करना जारी रखते हैं तो आपको परिणाम मिलेंगे। यह काम करेगा बशर्ते उनके पास अच्छा नेतृत्व हो।’’

    चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के पूर्व अध्यक्ष राहा ने कहा कि उनका मानना है कि भर्ती का नया तरीका काम करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘बाहर निकलने की नीति में सरकार को बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है और इन लोगों को चार साल की अवधि के बाद एक अच्छे करियर का आश्वासन दिया जाना है।’’उन्होंने दावा किया कि बिहार और कुछ अन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन थोड़ा सुनियोजित प्रतीत होता है। उन्होंने दावा किया कि अग्निपथ कार्यक्रम से कुछ युवाओं में यह भावना पैदा हो सकती है कि उनकी संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। राहा ने कहा कि सेना में अब तक करीब एक तिहाई भर्तियां तीन या चार राज्यों से हुई हैं।

    उन्होंने कहा कि हर साल नागरिक जीवन में आने वाले लगभग 36,000 संविदा सैनिकों को अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए नौकरी पाने के उचित रास्ते मिलने चाहिए। मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अरुण रॉय ने कहा कि अग्निपथ योजना को एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में लाना चाहिए था कि क्या काम कर रहा है और क्या नहीं है और फिर इसे लागू करने का निर्णय करना चाहिए था।