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    Mid-Day Meal: महंगाई के कारण बंगाल के स्कूलों को मध्याह्न भोजन परोसने में पेश आ रही समस्या

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Sat, 23 Apr 2022 09:17 AM (IST)

    Mid-Day Meal Bengal News महंगाई के कारण बंगाल के स्‍कूलों में अब बच्‍चों को मिड डे मील परोसना मुश्किल हो रहा है। इसे लेकर प्रत्येक छात्र के लिए वर्तमान मध्याह्न भोजन आवंटन की राशि बढ़ाने की मांग की गई है जिससे बच्‍चों के पोषण को लेकर समझौता न करना पड़े।

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    पश्चिम बंगाल के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के लिए छात्रों को मध्याह्न भोजन परोसना मुश्किल हो रहा है।

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण पश्चिम बंगाल के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के लिए छात्रों को मध्याह्न भोजन (मिड-डे मिल) परोसना मुश्किल हो रहा है। जिले के विभिन्न स्कूलों के अधिकारियों ने यह बताया। बंगाल प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस मुद्दे पर स्कूल शिक्षा विभाग का ध्यान आकर्षित किया है और प्रत्येक छात्र के लिए वर्तमान मध्याह्न भोजन आवंटन की राशि बढ़ाने की मांग की है ताकि मध्याह्न भोजन में बच्चों के लिए व्यंजन सूची में कोई बदलाव नहीं किया जाये और उनके पोषण संबंधी पहलुओं से समझौता नहीं करना पड़े।

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    वर्तमान में प्राथमिक स्कूल के प्रत्येक बच्चे के लिये 4.97 रुपये और मध्य विद्यालय के प्रत्येक छात्र के लिए 7.45 रुपये आवंटित किये जा रहे हैं। पूर्व मेदिनीपुर जिले के एक मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक आनंद हांडा ने एसोसिएशन की ओर से कहा, ‘‘हमें व्यंजन सूची में बदलाव करना होगा, और अब सप्ताह में एक उबले अंडे अथवा अंडा करी छात्रों को देना होगा, जो पहले सप्ताह में दो दिन दिया जाता था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि, विभिन्न स्कूल प्रबंधन दाल, सोयाबीन, मिश्रित सब्जी, उबले आलू के आहार परोसने पर अड़े हुए हैं क्योंकि हम अपने बच्चों के स्वास्थ्य से समझौता नहीं करना चाहते हैं।’’

    उन्होंने कहा कि संकट की स्थिति में शिक्षकों को कई बार अपनी जेब से खर्च वहन करना पड़ता है। हांडा ने कहा कि महामारी का दौर समाप्त होने के बाद विद्यालय परिसरों के खुलने के बाद बड़ी संख्या में छात्र स्कूल आ रहे हैं, लेकिन वे आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढोत्तरी के कारण निर्धारित मध्याह्न भोजन की व्यंजन सूची से वंचित होने की संभावना का सामना कर रहे हैं।

    उन्होंने कहा, ‘‘यदि एक व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 150 ग्राम चावल आवंटित किया जाता है, तो प्रति माह तीन किग्रा के आवंटन से कैसे मदद मिलेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि प्रतिदिन 150 ग्राम चावल एक बच्चे के लिए अपर्याप्त है, तो तीन किग्रा प्रति माह आवंटन और भी कम है, और यह (प्रतिदिन के) 150 ग्राम की सीमा से भी कम है। हम हर बच्चे के लिए कम से कम 50-100 रुपये की बढ़ोतरी की मांग करते हैं।’’

    प्राथमिक विद्यालयों कक्षा 1 से 4 तक है, वहीं कक्षा 5 से 8 तक मध्य विद्यालयों में हैं। हांडा ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को उनकी स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुरूप नियमित रूप से मसूर की दाल दी जाए।’’

    मध्याह्न भोजन योजना के प्रभावित होने की कोई सूचना नहीं है : अधिकारी

    शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि 1,15,82,658 छात्रों वाले 83,945 स्कूलों को हर दिन मुफ्त पका हुआ मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जाता है और दो साल के अंतराल के बाद दो महीने पहले फिर से शुरू होने के बाद से मध्याह्न भोजन योजना के प्रभावित होने की कोई सूचना नहीं है।

    पिछले दो वर्षों में, महामारी के कारण, चावल, सोयाबीन, दाल के पैकेट एक विशेष दिन पर संबंधित स्कूलों के छात्रों के माता-पिता के बीच वितरित किए जाते थे। बढ़ती कीमतों के मद्देनजर स्कूलों में मध्याह्न भोजन में आ रही कठिनाईयों की खबरें जिला परिषद की स्कूलों, मुर्शिदाबाद, मालदा, दक्षिण 24 परगना समेत अन्य जिलों से भी हैं। महामारी से पहले के दिनों में प्राथमिक स्कूल के प्रत्येक छात्र के लिए दैनिक आवंटन 4.48 रुपये और मध्य विद्यालय स्तर पर प्रत्येक छात्र के लिए 6.71 रुपये था।