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    West Bengal: 75 प्रतिशत खरीदना चाहते ग्रीन क्रैकर्स, 97 प्रतिशत ने वायु प्रदूषण कम करने के प्रति दिखाई तत्परता

    By Jagran NewsEdited By: PRITI JHA
    Updated: Sun, 23 Oct 2022 11:42 AM (IST)

    Diwali 2022 सर्वेक्षण में शामिल 36 प्रतिशत पटाखा विक्रेता ग्रीन क्रैकर्स शब्द से परिचित थे। जिनमें से लगभग 50 प्रतिशत हरे पटाखों को सामान्य जहरीले पटाखों से अलग कर पाए जबकि किसी भी उत्तरदाता ने हरे पटाखों के निशान की पहचान नहीं की।

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    Diwali 2022: 75 प्रतिशत खरीदना चाहते ग्रीन क्रैकर्स, 97 प्रतिशत ने वायु प्रदूषण कम करने के प्रति दिखाई तत्परता

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय से प्राप्त निर्देशों के अनुसार राज्य सरकार ने त्योहारों के दौरान केवल हरे पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी है, जिसमें कहा गया था कि राज्य में केवल क्यूआर कोड वाले हरे पटाखों का आयात और बिक्री की जाएगी और केवल रात 8 बजे से रात 10 बजे तक ही पटाखों के उपयोग की अनुमति है।

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    इसके मद्देनजर महानगर के लोगों पर धारणा रिपोर्ट (परसेप्शन रिपोर्ट) जारी की गई है जिसमें पटाखों पर नागरिकों की धारणा और प्रचलित प्रवृत्तियों को शामिल किया गया। यह धारणा रिपोर्ट एक मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, मुद्दे की तात्कालिकता पर व्यवहार पैटर्न को कैप्चर करता है और लोग अपने जीवन में उत्सर्जन मुक्त त्योहारों के अच्छे अभ्यास को कैसे अपना रहे हैं।

    त्योहारों में हरे पटाखों के इस्तेमाल और वायु प्रदूषण पर स्विचआन फाउंडेशन ने 'परसेप्शन रिपोर्ट' जारी की है। यह रिपोर्ट कोलकाता और उसके आसपास के 375 नागरिकों और 86 पटाखा विक्रेताओं के सर्वेक्षण और नागरिक सर्वेक्षण के आधार पर डेटा के प्राथमिक और द्वितीयक संकलन पर आधारित है।

    यह विशेष रूप से वर्तमान और भविष्य के लिए एक मानक के रूप में हरे पटाखों का उपयोग करके न्यूनतम उत्सर्जन के साथ दिवाली मनाने पर खरीदारों और विक्रेताओं दोनों की धारणा पर ध्यान केंद्रित करता है। इसमें 75 प्रतिशत ने ग्रीन क्रैकर्स खरीदने की इच्छा व्यक्त की। जबकि लगभग 97 प्रतिशत ने वायु प्रदूषण को कम करने के प्रति अपनी इच्छा और तत्परता दिखाई।

    36 प्रतिशत विक्रेताओं ने कहा- इस वर्ष पटाखों की बिक्री में कमी आएगी :

    सर्वेक्षण में शामिल 36 प्रतिशत पटाखा विक्रेता ग्रीन क्रैकर्स शब्द से परिचित थे। जिनमें से लगभग 50 प्रतिशत हरे पटाखों को सामान्य जहरीले पटाखों से अलग कर पाए, जबकि किसी भी उत्तरदाता ने हरे पटाखों के निशान की पहचान नहीं की।उत्तरदाताओं के लगभग 36 प्रतिशत पटाखों के विक्रेताओं ने कहा कि इस वर्ष पटाखों की बिक्री में कमी आएगी। कोलकाता में 88 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने पटाखों के फटने से वायु प्रदूषण को स्पष्ट रूप से जोड़ा। वायु गुणवत्ता के बारे में धारणा जितनी खराब होती है, इस तरह के जुड़ाव से सहमत होने की प्रवृत्ति उतनी ही अधिक देखी जाती है। कोलकाता में 69 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने बताया कि उन्होंने कोई भी पटाखा नहीं फोड़ा है।

    सजावट और रोशनी पर अधिक ध्यान दे रहे हैं लोग :

    यह सुझाव देते हुए कि लोग पटाखों की खरीद पर कम पैसा खर्च कर रहे हैं और धीरे-धीरे घर की सजावट और रोशनी की ओर अधिक बढ़ रहे हैं। जबकि एक महत्वपूर्ण प्रतिशत अनजान थे और मौजूदा कोलकाता की वायु गुणवत्ता से खुश थे। हवा की गुणवत्ता के बारे में धारणा जितनी खराब होगी, लोगों को पटाखों से उतना ही अधिक परहेज होगा। कोलकाता के कुल उत्तरदाताओं में से केवल 24 प्रतिशत ही ग्रीन क्रैकर्स के बारे में जानते हैं। दिलचस्प बात यह है कि जिन लोगों की वायु गुणवत्ता के बारे में खराब धारणा है, वे उन लोगों की तुलना में ग्रीन क्रैकर्स से कम परिचित हैं, जिनके पास अच्छी धारणा है। बंगाल के उत्तरदाताओं की पटाखों को फोड़ने की प्रवृत्ति परिवार पर खराब वायु गुणवत्ता के प्रभाव के बारे में बढ़ती चिंता के साथ कम हो जाती है।