AAP की हार से बढ़ गई ममता की टेंशन, क्या है BJP का 2026 वाला मॉडल; सियासी हलचल तेज
दिल्ली चुनाव में मिली जीत ने बीजेपी का आत्मविश्वास बढ़ा दिया है। दिल्ली में करीब 28 साल बाद बीजेपी की सरकार बनी है। बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत हासिल की है। इस जीत के बाद बीजेपी बंगाल में ममता बनर्जी का किला ध्वस्त करने में लग गई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारी जीत के साथ ही भाजपा नेताओं की नजर अब फिर से बंगाल पर टिक गई है।
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। दिल्ली विधानसभा के नतीजे शनिवार को आ गए। दिल्ली में करीब 27 साल बाद बीजेपी की वापसी हुई है। 70 विधानसभा सीटों वाली दिल्ली में 48 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया है। वहीं, आम आदमी पार्टी के खाते में 22 सीटें आई है।
दिल्ली के नतीजों ने बीजेपी के आत्मविश्वास को बढ़ा दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारी जीत के साथ ही भाजपा नेताओं की नजर अब फिर से बंगाल पर टिक गई है। भाजपा के प्रदेश नेताओं ने बंगाल में माहौल बनाना और ममता सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
बंगाल में क्या होगी बीजेपी रणनीति?
बंगाल के बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इंटरनेट मीडिया पर लिखना शुरू कर दिया कि इस बार लक्ष्य बंगाल, 2026 में बंगाल की बारी। वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार के मुताबिक बड़े पैमाने पर वित्तीय भ्रष्टाचार, लोकलुभावन योजनाओं, दान वितरण और व्यक्तिवाद के आरोप ही वे तीन मुख्य तत्व हैं जो दिल्ली की तरह बंगाल की राजनीति में समान हैं।
दिल्ली चुनाव में इसका खामियाजा सत्ता गंवाकर अरविंद केजरीवाल को भुगतना पड़ा है। अब इन्हीं मुद्दों पर भाजपा 2026 में बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में ममता को हराने का लक्ष्य रखा है।
बीजेपी ने अभी से वादे करने किए शुरू
इस बीच बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल में आवास योजना के तहत एक लाख 20 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। इस पैसे से घर नहीं खरीदा जा सकता। भाजपा सत्ता में आई तो आवास योजना के तहत एक लाख 80 हजार रुपये दिए जाएंगे।
वहीं, जिन लोगों को आवास योजना का लाभ नहीं मिला है, उन्हें सीधे तीन लाख रुपये दिए जाएंगे। प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व राज्य सभा सदस्य शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा सत्ता में आई तो हम महिलाओं को मौजूदा सरकार की लक्ष्मी भंडार परियोजना के तहत मिलने वाली राशि से अधिक देंगे।
बंगाल के लिए क्या है प्लान?
गौरतलब है कि भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने पार्टी चर्चा में माना है कि इस बार दिल्ली में तो वे संगठन को बूथ स्तर तक ले जाने में सफल रहे, लेकिन बंगाल में अभी भी काफी पीछे हैं। हालांकि, सुकांत इसे समस्या मानने से इनकार करते हैं।
उनका तर्क कि बंगाल में जो भय और राजनीतिक आतंक का माहौल है, उसमें विपक्षी दल के लिए मजबूत संगठन खड़ा करना संभव नहीं है। जब तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई, तब भी उसके पास कई स्थानों पर मतदान केंद्रों पर बैठने के लिए पर्याप्त लोग नहीं थे। इसलिए, यदि हम बंगाल में अच्छे परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं, तो संगठन इसका एक हिस्सा है, लेकिन यह सब कुछ नहीं है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।