West Bengal : कोरोना संकट के बीच नार्थ ब्रुक जूट मिल में गतिरोध जारी, श्रमिक हड़ताल पर
नार्थ ब्रुक जूट मिल में काम नहीं मिलने को लेकर प्रबंधन के साथ हुए अनबन के बाद इसके श्रमिक काम बंद करके हड़ताल पर चले गए हैं। इसके कारण मिल में उत्पादन पूरी तरह से ठप हो गया है।
कोलकता, राज्य ब्यूरो। कोरोना संकट के बीच बंगाल के हुगली ज़िले के चांपदानी स्थित नार्थ ब्रुक जूट मिल में काम नहीं मिलने को लेकर प्रबंधन के साथ हुए अनबन के बाद इसके श्रमिक काम बंद करके हड़ताल पर चले गए हैं। इसके कारण मिल में उत्पादन पूरी तरह से ठप हो गया है। यूनियन नेताओं का कहना है समस्या सुलह को लेकर बातचीत का प्रयास किया जा रहा है।
मालूम हो कि गुरुवार दोपहर में इस मिल के एक विभाग में अस्थायी श्रमिकों को काम नहीं मिलने से नाराज कुछ मजदूर प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करना शुरू कर दिए। मिल परिसर में मजदूरों के इस हंगामे के बाद प्रबंधन ने पांच मजदूरों को गेट से बाहर कर दिया। प्रबंधन की इसी कार्रवाई के खिलाफ गुस्साए मजदूरों ने मिल में काम बंद करके हड़ताल पर चले गए। मिल में एक बार फिर से अशांति होने के कारण जहां एक ओर उत्पादन ठप हो गया, वहीं इसके कारण लगभग चार हजार मजदूरों के समक्ष इस कोरोना महामारी के समय रोजी- रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है।
दरअसल, शुरुआती दौर के लाॅकडाउन के समय मिल बंद होने के बाद कुछ दिनों पहले ही सरकार की अनुमति के बाद स्वास्थ्य नियमों को मानते हुए प्रबंधन ने मिल को चालू किया था। बताते चलें कि कुछ वर्ष पहले इसी प्रकार नार्थ ब्रुक जूट में हुए अशांति के बीच इस मिल के वरिष्ठ अधिकारी एच के माहेश्वरी की मौत हो गई थी। उस समय प्रबंधन का आरोप था कि श्रमिकों ने ही एच के माहेश्वरी की पीट- पीट कर हत्या की थी। इस मामले में कई श्रमिक गिरफ्तार भी हुए थे और इस घटना के बाद लंबे समय तक मिल बंद रहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों की फीस का मामला वापस
लॉकडाउन के समय बंगाल के निजी स्कूलों की फीस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में किया गया मामला वापस कलकत्ता हाईकोर्ट लौट आया है। हाईकोर्ट के निर्देश को ला मार्टिनियर फॉर ब्वायज समेत छह निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अशोक भूषण की बेंच ने इस मामले को वापस हाईकोर्ट के हवाले कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गत 21 जुलाई, 17 व 19 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजीव बंद्योपाध्याय की खंडपीठ ने जो फैसला सुनाया है, वह उसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा, हालांकि 19 अगस्त के फैसले पर पुनर्विचार के लिए उसके यहां आवेदन किया जा सकता है। स्कूलों की फीस वृद्धि ठीक तरीके से की जा रही है या नहीं, यह देखने के लिए जादवपुर विवि के कुलपति सुरंजन दास के नेतृत्व में दो सदस्यीय कमेटी का हाईकोर्ट के निर्देश पर गठन किया गया था। 17 अगस्त को उसपर प्राथमिक तौर पर निर्देश देने के बाद 19 को अंतिम निर्देश हाईकोर्ट ने दिया था।
निर्देश में स्कूलों को 21 अगस्त तक अपने आय-व्यय का ब्योरा जमा देने का निर्देश दिया गया था। किसी के हिसाब में त्रुटि रहने पर कड़ी कार्रवाई की भी बात कही गई थी।निजी स्कूलों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।