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साइबर अपराधियों ने ब्लैक बॉक्स के जरिए एटीएम से उड़ाए थे करोड़ों रुपये, चार आरोपितों से पूछताछ के बाद खुलासा

कोलकाता के विभिन्न एटीएम को बिना किसी तरह से नुकसान पहुंचाए दो करोड़ रुपये से अधिक की राशि गायब करने की गुत्थी कोलकाता पुलिस ने लगभग सुलझा ली है। इस मामले में गिरफ्तार चार लोगों से पूछताछ में पुलिस को सनसनीखेज जानकारियां मिली हैं।

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 07 Jun 2021 07:51 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 07:51 PM (IST)
मामले में गिरफ्तार चार आरोपितों से पूछताछ के बाद हुआ खुलासा

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोलकाता के विभिन्न एटीएम को बिना किसी तरह से नुकसान पहुंचाए दो करोड़ रुपये से अधिक की राशि गायब करने की गुत्थी कोलकाता पुलिस ने लगभग सुलझा ली है। इस मामले में गिरफ्तार चार लोगों से पूछताछ में पुलिस को सनसनीखेज जानकारियां मिली हैं। गत दिनों कोलकाता पुलिस ने गुजरात के सूरत से मनोज गुप्ता, व नवीन गुप्ता तथा कोलकाता से बिश्वद्वीप राउत और अब्दुल सैफुल मंडल को गिरफ्तार किया था।

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बताया गया है कि जिस एटीएम में सुरक्षा गार्ड नहीं होते थे, वहां ब्लैक बॉक्स नामक एक उपकरण की मदद से ये लोग रुपये उड़ा लेते थे। चारों की उम्र लगभग 30 वर्ष के आसपास है। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि उन लोगों ने डार्क वेब की मदद से ब्लैक बॉक्स डिवाइस विदेश से हासिल किया था। उसी ब्लैक बॉक्स के जरिए एटीएम को बैंक के सर्वर से कनेक्शन काट दिया जाता था और रुपये बड़ी आसानी से निकाल लिए जाते थे।

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ब्लैक बॉक्स की मदद से ऐसे निकालते थे रुपये

-पहले अपराधी एटीएम के कवर को खोलते थे। इसके बाद एटीएम मशीन के यूएसबी पोर्ट में एक विशेष उपकरण सेट कर दिया जाता था। यह डिवाइस भी ब्लैक बॉक्स की तरह काम करता है। डिवाइस से ब्लैक बॉक्स को जोड़ने के बाद ये लोग एटीएम के कैश ट्रे पर कंट्रोल कर लेते थे। फिर एटीएम का सॉफ्टवेयर हैक किया जाता था। उस समय स्क्रीन पर मेंटेंनेंस मोड या आउट ऑफ सर्विस दिखाई देता था। इस दौरान ब्लैक बॉक्स को मोबाइल के जरिए कंट्रोल किया जाता था। इसके बाद गेट कैश बटन दबाते ही पैसा बाहर आ जाता था और इस तरह से ये बिना किसी तोड़फोड़ किए ही एटीएम से पैसे गायब कर रहे थे और कोई सबूत तक नहीं छोड़ते थे।

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सीसीटीवी से मिला सुराग

गिरफ्तार आरोपितों में एक कसबा का मोबाइल कारोबारी बिश्वद्वीप राउत को सीसीटीवी फुटेज के जरिए पुलिस ने तलाश की थी। जांच के दौरान पता चला कि इस दौरान उसके बैंक अकाउंट में बड़ी रकम जमा की गई थी। विश्वजीत की मदद से ही अन्य शातिरों तक पहुंचा जा सका।


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