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    'बंगाल के लोगों की नागरिकता छीनना चाहती है केंद्र सरकार', CM ममता ने चुनाव आयोग को बताया भाजपा का एजेंट

    बिहार की तरह बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की लगातार मांग के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को इस मुद्दे पर फिर जोरदार हमला बोला। साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग को भाजपा का एजेंट बताते हुए फिर दोहराया कि एसआइआर के जरिये बंगाल में एनआरसी लागू करने की साजिश है।

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 08 Aug 2025 06:56 AM (IST)
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    'बंगाल के लोगों की नागरिकता छीनना चाहती है केंद्र सरकार'- CM ममता (फाइल फोटो)

     राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बिहार की तरह बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की लगातार मांग के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को इस मुद्दे पर फिर जोरदार हमला बोला।

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    चुनाव आयोग को फिर बताया भाजपा का एजेंट

    उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्य के लोगों की नागरिकता छीनना चाहती है। झाड़ग्राम के अपने दौरे में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने चुनाव आयोग को भाजपा का एजेंट बताते हुए फिर दोहराया कि एसआइआर के जरिये बंगाल में एनआरसी लागू करने की साजिश है।

    ममता ने कहा कि यह प्रक्रिया बंगालियों को घुसपैठिया बताकर उनकी नागरिकता छीनने की एक कोशिश है। उन्होंने लोगों से अपील की कि अगर कोई कुछ देकर आपसे इससे संबंधित फार्म भरने को कहे तो बिना जाने- समझे ऐसा मत करें। ममता ने लोगों को सतर्क किया कि ऐसा करने पर वे (चुनाव आयोग) मतदाता सूची से आपका नाम हटा सकते हैं।

    आयोग ने रिक्त पदों के लिए बंगाल सरकार की ओर से भेजे गए नामों को किया खारिज

    केंद्रीय चुनाव आयोग ने बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय में अतिरिक्त सीईओ, उप सीईओ व संयुक्त सीईओ के रिक्त पदों के लिए राज्य सरकार की ओर से भेजे गए नामों को खारिज कर दिया है। साथ ही नए सिरे से सूची भेजने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग को इनमें से कोई भी पद के लिए 'उपयुक्त' नहीं लगा है, इसलिए नई सूची मांगी गई है।

    चुनाव पूर्व भी अफसरों पर कार्रवाई का आयोग को है अधिकार

    चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व कानून, 1950 के अंतर्गत चुनाव प्रक्रिया की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का अधिकार है। चुनाव आयोग भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ निलंबन, एफआइआर और अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है।

    संविधान और कानून के जानकारों के मुताबिक आयोग आचार संहिता लागू होने से पहले भी यह काम कर सकता है। यदि राज्य सहयोग नहीं करता तो आयोग भारत सरकार (केंद्र) से प्रशासनिक सहयोग की मांग कर सकता है। सार्वजनिक तौर पर राज्य सरकार को उल्लंघनकर्ता घोषित कर सकता है।

    ममता ने चुनाव आयोग को चुनौती भी दी

    दरअसल, चुनाव आयोग ने बंगाल के चार अफसरों को निलंबित और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया है, परंतु मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने चुनाव आयोग को चुनौती भी दी है कि कोई ऐसा कानून नहीं है कि वे इन अफसरों को हटाने आदेश दें।