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    केंद्र की मिलों को कच्चे जूट का आयात रोकने की सलाह, दिसंबर तक दैनिक लेनदेन रिपोर्ट उपलब्ध कराने का भी निर्देश

    By Jagran NewsEdited By: Versha Singh
    Updated: Thu, 12 Oct 2023 03:57 PM (IST)

    केंद्र ने घरेलू बाजार में अधिक आपूर्ति के कारण जूट मिलों को कच्चे जूट का आयात बंद करने की सलाह दी है। इसके साथ ही जूट आयातकों को दिसंबर तक एक निर्धारित प्रारूप में दैनिक लेनदेन रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। भारतीय जूट निगम को एमएसपी पर किसानों से कच्चा जूट खरीदने का काम सौंपा गया है।

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    केंद्र की मिलों को कच्चे जूट का आयात रोकने की सलाह (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता : केंद्र ने घरेलू बाजार में अधिक आपूर्ति के कारण जूट मिलों को कच्चे जूट का आयात बंद करने की सलाह दी है। इसके साथ ही जूट आयातकों को दिसंबर तक एक निर्धारित प्रारूप में दैनिक लेनदेन रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

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    केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करने वाले जूट आयुक्त कार्यालय ने एक नोटिस में मिलों को टीडी 4 से टीडी 8 किस्मों (व्यापार में इस्तेमाल किए गए पुराने वर्गीकरण के अनुसार) के जूट का आयात नहीं करने का भी सुझाव दिया है, क्योंकि ये देश के भीतर पर्याप्त रूप से उपलब्ध हैं।

    भारतीय जूट मिल संघ के पूर्व अध्यक्ष संजय कजारिया ने कहा कि कुल जूट उत्पादन और व्यापार में इन किस्मों की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत है। चालू सत्र का उत्पादन 91 लाख गांठ है, जिसमें शुरुआती स्टाक 23 लाख गांठ और पांच लाख गांठ आयातित कच्चे जूट का है, जिसके चलते कुल अनुमानित उपलब्धता 119 लाख गांठ की है।

    वित्त वर्ष 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार, जूट का आयात 62,500 टन था, जिसका मूल्य 449 करोड़ रुपये था, जबकि निर्यात 32,000 टन तक पहुंच गया, जिसका मूल्य 222 करोड़ रुपये था। जूट आयुक्त ने हाल ही में किसानों के हितों की रक्षा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) स्तर से नीचे कच्चे जूट के लेनदेन पर रोक लगा दी है।

    व्यापार अनुमान के मुताबिक, कच्चे जूट की कीमतें 4,100 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई हैं, जबकि औसत किस्म के लिए MSP 5,050 रुपये है। भारतीय जूट निगम को एमएसपी पर किसानों से कच्चा जूट खरीदने का काम सौंपा गया है, लेकिन अंशधारकों देखने को मिला है कि उनका संचालन हर कोने तक पहुंचने के लिए पर्याप्त नहीं है, जिससे किसानों की सुरक्षा के लिए नियामक को हस्तक्षेप करना पड़ा। बंगाल, ओडिशा, असम, मेघालय, त्रिपुरा और आंध्र प्रदेश जूट के प्रमुख उत्पादक हैं, जहां लाखों किसान इसकी खेती में लगे हुए हैं।

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