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West Bengal: रोजवैली चिटफंड घोटाले में गौतम कुंडू के खिलाफ सीबीआइ ने दाखिल किया पूरक आरोपपत्र

West Bengal रोज वैली समूह से जुड़ी कंपनी के खिलाफ त्रिपुरा की एक जिला अदालत में दाखिल अपने आरोपपत्र में सीबीआइ ने आरोप लगाया कि कोलकाता की कंपनी ने भोले-भाले निवेशकों से जमीन की बुकिंग पर आकर्षक लाभ का लालच देकर 31 करोड़ रुपये से अधिक की राशि एकत्र की।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 02 Jul 2021 08:03 PM (IST)Updated: Fri, 02 Jul 2021 08:03 PM (IST)
West Bengal: रोजवैली चिटफंड घोटाले में गौतम कुंडू के खिलाफ सीबीआइ ने दाखिल किया पूरक आरोपपत्र
रोजवैली चिटफंड घोटाले में गौतम कुंडू के खिलाफ सीबीआइ ने दाखिल किया पूरक आरोपपत्र। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सीबीआइ ने रोजवैली चिटफंड घोटाले के मुख्य सूत्रधार गौतम कुंडू और अन्य के खिलाफ त्रिपुरा में एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। रोज वैली समूह से जुड़ी कंपनी के खिलाफ त्रिपुरा की एक जिला अदालत में दाखिल अपने आरोपपत्र में सीबीआइ ने आरोप लगाया कि कोलकाता की कंपनी ने भोले-भाले निवेशकों से जमीन की बुकिंग पर आकर्षक लाभ का लालच देकर 31 करोड़ रुपये से अधिक की राशि एकत्र की। रोज वैली समूह हजारों करोड़ रुपये से ज्यादा के चिटफंड घोटाले में जांच के घेरे में है। कंपनी अधिनियम और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों का उल्लंघन कर एकत्र किए गए धन को कथित तौर पर घाटे में चल रही समूह की कंपनियों को स्थानांतरित किया गया।

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सीबीआइ ने पूरक आरोप पत्र में आरोप लगाया कि कुंडू और उनके अधिकारियों ने कंपनी के नाम से कई बैंक खाते खोले, इन बैंक खातों के हस्ताक्षरकर्ता बने और अपने हित के अनुसार धन को दूसरी जगह भेजा। सीबीआइ के प्रवक्ता आरजी जोशी ने कहा कि जांच से यह भी पता चला कि आरोपित कंपनी के व्यवसाय के सही तथ्यों के विपरीत, समूह द्वारा उच्च लाभ अर्जित करने के बारे में झूठा प्रचार करते थे। उन्होंने बड़ी संख्या में एजेंटों को नियुक्त किया और उन्हें कंपनी (जमा की स्वीकृति) नियमों के उल्लंघन करते हुए कमीशन और प्रोत्साहन के साथ जमा राशि लाने के लिए प्रेरित किया। वर्ष 2014 से चिटफंड घोटाला की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि आरोपित ने अवैध धन के प्रवाह से जुड़ी एक एक योजना चलाई, जिसे इनामी चिट और धन परिचालन स्कीम (पाबंदी) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था। प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने (आरोपियों ने) निवेशकों को उक्त निजी कंपनी की विभिन्न योजनाओं में पैसा निवेश करने के लिए भी प्रेरित किया। आरोपित कंपनी की अमरपुर शाखा, त्रिपुरा द्वारा निवेशकों को उनके निवेश की वापसी न करके धोखा दिया गया और आरोपित द्वारा 4.81 करोड़ रुपये का कथित रूप से दुरुपयोग किया गया। उन्होंने कहा कि सीबीआइ ने त्रिपुरा उच्च न्यायालय के आदेश पर मामला दर्ज किया था।


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