Move to Jagran APP

ममता सरकार ने ऑडिट करने से कैग को रोका

-राज्य की कानून व्यवस्था से संबंधित खर्च का होना है ऑडिट -कैग की ओर से राज्य के गृह सचिव को

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 11:47 PM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 11:47 PM (IST)
ममता सरकार ने ऑडिट करने से कैग को रोका
ममता सरकार ने ऑडिट करने से कैग को रोका

-राज्य की कानून व्यवस्था से संबंधित खर्च का होना है ऑडिट

loksabha election banner

-कैग की ओर से राज्य के गृह सचिव को भेजा गया है पत्र

जागरण न्यूज नेटवर्क, कोलकाता: पूरे देश के आर्थिक खर्च का हिसाब किताब करने वाले भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) को बंगाल सरकार ने राज्य की कानून व्यवस्था संबंधित खर्च और अन्य चीजों का ऑडिट करने से मना कर दिया है। इसे लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच एक बार फिर विवाद गहरा सकता है।

कैग के एकाउंटेंट जनरल नमिता प्रसाद में राज्य के गृह सचिव अत्रि भट्टाचार्य को चिट्ठी लिखकर यह जानकारी दी है कि कैग पश्चिम बंगाल की 'पब्लिक आर्डर' का ऑडिट करना चाहता है। इसके अंतर्गत कानून व्यवस्था, अपराध नियंत्रण, राज्य में हथियारों के लाइसेंस, कानून व्यवस्था से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर आदि का ब्योरा लेकर उसका ऑडिट किया जाएगा। राज्य सरकार ने इसके लिए कितनी धनराशि ली है, कितनी धनराशि आवंटित की है, कितना खर्च किया गया है और कहा-कहा किस-किस मद में किस तरह से धनराशि का इस्तेमाल किया गया है, इन सब का हिसाब कैग को देखना है। पहले तो राज्य के गृह विभाग ने इसे पूरी तरह से नकार दिया था, लेकिन अब एक बार फिर कैग की ओर से यह प्रस्ताव दिया गया है।

-----------------------

बंगाल सरकार संविधान से बाहर नहीं: कैग

कैग की ओर से राज्य सचिवालय को बताया गया है कि राजस्थान, केरल, असम एवं मणिपुर में पब्लिक ऑर्डर से संबंधित ऑडिट किया जा रहा है। बंगाल सरकार संविधान के दायरे से बाहर नहीं हैं। कैग ने साफ किया है कि पश्चिम बंगाल की ढाई हजार किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर है। ऐसे में यहा कानून व्यवस्था का पालन किस हिसाब से किया जा रहा है इसकी जाच बेहद जरूरी है। इससे पूरे देश की सुरक्षा जुड़ी हुई हैं।

हालाकि राज्य के गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य की कानून व्यवस्था में कैग को किसी हाल में नहीं घुसने दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि कानून व्यवस्था संबंधी गोपनीय और संवेदनशील विषय को कैग से साझा करने का सवाल ही नहीं उठता है। इस पर कैग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कैग देश के परमाणु कार्यक्रमों एवं सेना के जहाजों की खरीद-बिक्री संबंधी बड़े मामलों का भी ऑडिट करता है। तो क्या बंगाल सरकार की कानून व्यवस्था उससे भी ऊंची चीज है? कैग ने साफ कर दिया है कि अगर राज्य सरकार इस पर संविधान के दायरे में सहयोग नहीं करती है तो इसके खिलाफ कानूनी कदम उठाया जाएगा।

---------------------

कानून विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि कैग को नहीं रोका जा सकता

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक गागुली का कहना है कि संविधान की धारा 148, 149, 150, 151 के तहत हर तरह की सरकारी संस्थाओं के खर्च का ऑडिट कैग कर सकता है। किसी भी तरह की ऐसी संस्था जिसे सरकारी तौर पर सहायता राशि दी जाती है, कैग के दायरे में आती है। उन्होंने बताया कि कानून व्यवस्था भले ही राज्य सरकार की जिम्मेवारी है लेकिन यह पूरी तरह से राज्य सरकार की ही नहीं है। पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए केंद्र सरकार धनराशि देती है। राज्य में आइपीएस अधिकारियों की तैनाती राष्ट्रपति के द्वारा होती है। किसी तरह की दंगा अथवा ब‌र्द्धमान ब्लास्ट जैसी घटनाएं होने पर राज्य प्रशासन किस तरह से काम करता है यह देखने का पूरा अधिकार सीएजी को है। किसी भी तरह के हथियारों के बारे में पूरी जानकारी कैग के पास होनी चाहिए। यह सारी चीजें राज्य सरकार किसी भी हाल में नहीं छिपा सकती। ऐसे में अगर राज्य सचिवालय की ओर से कैग को ऑडिट की अनुमति देने से इनकार किया जा रहा है तो यह संविधान को चुनौती देने जैसा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कभी-कभार राज्य पुलिस पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाती है। हत्या को आत्महत्या, मारपीट की घटनाओं को दंगा, चोरी को लूट अथवा लूट को चोरी और अन्य अपराधिक घटनाओं को घुमा-फिराकर राजनीतिक या व्यक्तिगत लाभ के लिए पेश किया जाता है। इन सभी घटनाओं के कानूनी समाधान के लिए एक तय मानक है एवं अगर किसी भी राज्य की पुलिस या सरकार इससे परे काम करती हैं तो इसकी रिपोर्ट देखने और इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का सुझाव देने का अधिकार कैग के पास है। ऐसे में कानून व्यवस्था को लेकर प्रस्तावित ऑडिट नहीं कराने पर ममता सरकार अडिग है तो इससे विवाद बढ़ सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.