चुनाव आयोग ने बदल दिया BLO की नियुक्ति का नियम, बंगाल सरकार की बढ़ गई परेशानी; 20 जून तक करना पड़ेगा ये काम
चुनाव आयोग के नए निर्देशानुसार बंगाल सरकार को 20 जून तक लगभग 60% बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को बदलना होगा। अब केवल राज्य सरकार के कर्मियों और ग्रुप सी या उससे ऊपर के अर्द्ध-सरकारी कर्मियों को ही बीएलओ नियुक्त किया जा सकेगा। वर्तमान में लगभग 60% बीएलओ इन मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं जिससे जिलाधिकारियों की परेशानी बढ़ गई है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। केंद्रीय चुनाव आयोग के नए निर्देश के कारण बंगाल सरकार को आगामी 20 जून तक लगभग 60 प्रतिशत बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) बदलने पड़ेंगे। आयोग ने कहा है कि अब से सिर्फ राज्य सरकार के कर्मियों और ग्रुप सी व उससे ऊपर के स्तर के अर्द्ध-सरकारी कर्मियों की ही बीएलओ के तौर पर नियुक्ति की जा सकेगी।
बंगाल में इस समय 81,000 बीएलओ हैं, जिनमें से करीब 60 प्रतिशत इस मापदंड को पूरा नहीं कर रहे हैं। आयोग के निर्देश से जिलाधिकारी, जो जिला चुनाव अधिकारी भी होते हैं, की परेशानी बढ़ गई है। उन्हें 20 जून तक योग्य बीएलओ चुनने होंगे।
13 श्रेणी के कर्मियों को मिली थी नियुक्ति
इतने कम समय में यह उनके लिए आसान नहीं होगा। मालूम हो कि त्रुटिहीन मतदाता सूची तैयार करने में बीएलओ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बीएलओ उन मतदाताओं का भी रिकॉर्ड रखते हैं, जिनकी मौत हो चुकी है और वह लोग, जो 18 वर्ष की आयु में पहुंचकर मतदाता बनने के योग्य हो चुके हैं।
इससे पहले आयोग ने राज्य सरकारों को सरकारी नौकरी से जुड़े 13 श्रेणी के कर्मियों की बीएलओ के तौर पर नियुक्ति करने की अनुमति दी थी, जिनमें शिक्षक, पंचायत सचिव, डाकिया, स्वास्थ्य कर्मी, ग्रामीण स्तरीय कर्मी व अन्य शामिल थे। चुनाव पंजीकरण अधिकारी, जो आम तौर पर बीडीओ या एसडीओ होते हैं, द्वारा बीएलओ की नियुक्ति की जाती है।
नए निर्देश में आगे कहा गया है कि अगर राज्य सरकारों के पास मापदंड पूरा करने वाले कर्मी उपलब्ध नहीं होंगे तो वे आंगनबाड़ी कर्मियों, ठेके पर काम करने वाले शिक्षकों व केंद्र सरकार के कर्मियों की बीएलओ के तौर पर नियुक्ति कर सकती हैं।

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