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    बंगाल में शिक्षकों की भूख हड़ताल शुरू, नौकरी जाने और पुलिस कार्रवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज

    Updated: Thu, 10 Apr 2025 10:00 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने तीन अप्रैल को कलकत्ता उच्च न्यायालय के वर्ष 2024 के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें 2016 में एसएससी द्वारा की गई भर्ती प्रक्रिया के तहत नियुक्त किए गए 25753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती को रद कर दिया गया था। शीर्ष न्यायालय ने पूरी चयन प्रक्रिया को दोषपूर्ण और भ्रष्ट करार दे दिया था।

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    पुलिस कार्रवाई के विरोध में भूख हड़ताल पर बैठे शिक्षक (फोटो: पीटीआई)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बंगाल में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को दोषपूर्ण और भ्रष्ट करार देने के फैसले के बाद नौकरी गंवाने वाले 25,753 शिक्षकों में से कुछ ने गुरुवार को कोलकाता के साल्टलेक में राज्य स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल शुरू कर दी।

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    नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों ने कहा कि बुधवार को दक्षिण कोलकाता के कसबा स्थित जिला निरीक्षक (डीआई) कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान अपने साथी शिक्षकों पर हुए बर्बर पुलिस कार्रवाई के विरोध में वे भूख हड़ताल पर बैठने को बाध्य हुए हैं।

    शिक्षकों और पुलिस के बीच हुई थी झड़प

    प्रदर्शनकारी शिक्षकों को समर्थन देने के लिए भाजपा सांसद और कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय भी धरनास्थल पर पहुंचे। मालूम हो कि कसबा में डीआई कार्यालय के बाहर बुधवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। इसमें कई शिक्षकों के साथ छह पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

    प्रदर्शनकारियों में से एक ने एसएससी कार्यालय के बाहर संवाददाताओं से कहा, हमने एक शिक्षक के साथ भूख हड़ताल शुरू की है और जल्द ही इस मुद्दे पर आगे का कार्यक्रम तय करेंगे। प्रदर्शनकारी शिक्षक बुधवार रात से एसएससी कार्यालय के आचार्य सदन भवन के बाहर धरना दे रहे हैं। वे नौकरी जाने और अपने साथियों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।

    भाजपा सांसद ने किया शिक्षकों का समर्थन

    • प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि कसबा में डीआई कार्यालय के बाहर प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज किया, धक्का-मुक्की की और कुछ को लात भी मारी। नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों का कहना है कि उनकी इस स्थिति के लिए आयोग जिम्मेदार है, क्योंकि उसने यह फर्क नहीं किया कि किस अभ्यर्थी ने फर्जी तरीके से नौकरी हासिल की और किसने नहीं। प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने संकेत दिया कि वे अपने आंदोलन को और तेज कर सकते हैं।
    • भाजपा सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय ने प्रदर्शनकारी शिक्षकों की हालत के लिए राज्य सरकार, एसएससी और तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि दूसरों के अवैध कृत्यों के कारण अपनी नौकरी गंवाने वाले निर्दोष शिक्षकों के खिलाफ पुलिस ने मामले दर्ज किए हैं, जो नहीं होना चाहिए था।
    • भाजपा सांसद ने बताया कि वह पूर्व राज्यसभा सदस्य रूपा गांगुली के साथ धरनास्थल पर आए थे ताकि प्रभावित शिक्षकों और कर्मचारियों के प्रति एकजुटता जताई जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस कार्रवाई के विरोध में वह शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु से मिलने नहीं गए।

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