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    बंगाल में SIR पर रार! टीएमसी ने एसआइआर में हड़बड़ी का आरोप लगा BLO की मौत के लिए EC को ठहराया जिम्मेदार

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 08:45 PM (IST)

    पश्चिम बंगाल में एसआईआर को लेकर टीएमसी और चुनाव आयोग के बीच विवाद गहरा गया है। टीएमसी ने एसआईआर में जल्दबाजी का आरोप लगाते हुए एक बीएलओ की मौत के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया है। इस घटना ने राज्य के राजनीतिक माहौल में तनाव बढ़ा दिया है।

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    चुनाव आयोग पर ममता ने लगाए आरोप। (फाइल)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर राज्य में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) प्रक्रिया को रोकने का आग्रह करने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को चुनाव आयोग पर अपना हमला तेज कर दिया। तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि आयोग एक खास राजनीतिक दल को खुश करने के लिए सालों का काम सिर्फ दो महीनों में पूरा करने की कोशिश कर रहा है। आयोग की हडबड़ी की वजह से बूथ लेवल अधिकारी आत्महत्या कर रहे हैं।

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    सत्तारूढ़ दल ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें चुनाव आयोग पर घोर कुप्रबंधन, तैयारी की कमी और जल्दबाजी व जबरदस्ती की गई एसआइआर प्रक्रिया के जरिए “जान जोखिम में डालने” का आरोप लगाया गया। तृणमूल का यह ताजा हमला उस दिन हुआ है जब नदिया जिले के कृष्णानगर में एक बीएलओ की कथित तौर पर आत्महत्या कर ली, और उसने आयोग को दोषी ठहराते हुए एक नोट छोड़ा।

    मृतक, 54 वर्षीय रिंकू तरफदार, छपरा के स्वामी विवेकानंद विद्यामंदिर में पैरा-शिक्षिका थीं और छपरा-2 पंचायत के बूथ संख्या 201 की नामित बीएलओ थीं। शनिवार सुबह उनका शव उनके आवास से बरामद किया गया। इसके साथ ही तृणमूल ने दावा किया कि एसआइआर ड्यूटी के “अत्यधिक दबाव” के कारण अब तक तीन बीएलओ की मौत हो चुकी है। तृणमूल ने आगे आरोप लगाया कि राज्य भर में कुल 34 लोगों की “एसआइआर प्रक्रिया से जुड़े भय, उत्पीड़न या तनाव के कारण” मौत हो चुकी है।

    बाद में, राज्य के मंत्री अरूप विश्वास,चंद्रिमा भट्टाचार्य और तृणमूल सांसद पार्थ भौमिक सहित अन्य लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल ने एक विस्तृत ज्ञापन सौंपने के लिए सीइओ कार्यालय का दौरा किया। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए, अरूप विश्वास ने चुनाव आयोग पर एक विशिष्ट राजनीतिक दल के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। विश्वास ने आरोप लगाया कि जिस काम में आमतौर पर दो साल लगते हैं, उसे अधिकारियों पर सिर्फ़ दो महीनों में थोपा जा रहा है।

    हर बूथ पर 150 से 200 नाम जानबूझकर मतदाता सूची से काटे जा रहे हैं। चुनाव आयोग की वेबसाइट गलतियों से भरी पड़ी है। इन खामियों और भारी दबाव के कारण लोगों की जान जा रही है। चंद्रिमा भट्टाचार्य ने भी यही बात दोहराते हुए दावा किया कि बीएलओ को बिना पर्याप्त प्रशिक्षण या बुनियादी ढांचे के काम करने के लिए कहा जा रहा है।

    बीएलओ की मौत पर सीईओ ने नदिया के डीएम से मांगी रिपोर्ट

    बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी(सीईओ)मनोज कुमार अग्रवाल ने शनिवार को नदिया जिले के डीएम से एक बीएलओ की मौत पर रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों के मुताबिक,सीईओ ने भी नदिया जिले के डीएम से फोन पर बात की। यह भी बताया गया कि आयोग को बुधवार को जलपाईगुड़ी में एक बीएलओ की मौत को लेकर भी रिपोर्ट नहीं मिली है। आयोग ने यह भी हैरानी जताई कि बीएलओ की मौत पर डीएम द्वारा रिपोर्ट भेजने में इतनी देरी क्यों हुई है?