बंगाल में शिक्षिकाओं की समस्या व पीड़ा को समझने की कोशिश क्यों नहीं की गई?
इन शिक्षकों का सवाल है कि हमें न्यूनतम वेतन दिया जाता है लेकिन गृह जिले में भी नहीं बल्कि सैकड़ों किलोमीटर दूर अन्य जिले में भेजा जा रहा है। हमारे लिए एक जिले से दूसरे जिले में काम करना कैसे संभव है?

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कोई यूं ही जहर खाकर अपनी जान देने की कोशिश नहीं करता। इसके पीछे की पीड़ा और मानसिक अवस्था को समझना जरूरी है। मंगलवार को महानगर के साल्टलेक में अपने तबादले के विरोध में पांच शिक्षिकाओं ने राज्य शिक्षा विभाग के दफ्तर बिकास भवन के सामने जहर खाकर खुदकुशी करने की कोशिश की। आखिर ऐसे हालात कैसे बने? शिक्षिकाओं की समस्या व पीड़ा को समझने की कोशिश क्यों नहीं की गई? दरअसल आरोप है कि शिशु शिक्षा केंद्र (एसएसके) और माध्यमिक शिक्षा केंद्र (एमएसके) की पांच शिक्षिकाओं का अनैतिक तरीके से तबादला अन्य जिले में कर दिया गया है। इस तबादले को निरस्त करने की मांग को लेकर मंगलवार को शिक्षकों के संगठन एकमंच के बैनर तले शिक्षक-शिक्षिकाएं सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
इन लोगों कहना है कि गृह जिले में शिक्षकों को स्थानांतरण लेने की सुविधा दी गई है। लेकिन उन लोगों के साथ नाइंसाफी हो रही है। एक जिले से दूसरे जिले में स्थानांतरित करने का कोई कारण नहीं है। फिर भी सरकार ऐसा कर रही है। कथित तौर पर मुर्शिदाबाद के भगवानगोला की शिक्षिका फाजिला का तबादला दक्षिण दिनाजपुर कर दिया गया है। वहीं मुर्शिदाबाद के ही एक और शिक्षक का तबादला जलपाईगुड़ी कर दिया गया है। ज्योत्सना टुडू नामक शिक्षिका का तबादला पूर्व मेदिनीपुर से जलपाईगुड़ी कर दिया गया है। शिखा दास का तबादला पूर्व मेदिनीपुर से दक्षिण दिनाजपुर कर दिया गया है। पुतुल मंडल नाम की शिक्षिका को दक्षिण 24 परगना जिले से कूचबिहार भेज दिया गया है।
शिक्षकों का कहना है कि पेशेवर शिक्षकों का यह तबादला अनैतिक है। इन शिक्षकों का सवाल है कि हमें न्यूनतम वेतन दिया जाता है, लेकिन गृह जिले में भी नहीं, बल्कि सैकड़ों किलोमीटर दूर अन्य जिले में भेजा जा रहा है। हमारे लिए एक जिले से दूसरे जिले में काम करना कैसे संभव होगा? शिक्षिकाओं का यह सवाल उचित है। यह शुक्र है कि जहर पीने वाली सभी शिक्षिकाएं फिलहाल खतरे से बाहर हैं। राज्य सरकार को संवेदनशीलता के साथ शिक्षिकाओं की पीड़ा को समझने की जरूरत है। परंतु जिस तरह से शिक्षामंत्री ने यह कहा कि वे लोग भाजपा के कैडर हैं उससे साफ हो गया कि वह इसे सियासी चश्मे से देख रहे हैं। अगर तबादला रोकने समेत समान वेतन लागू करने की वे मांग कर रहे हैं तो इसमें हर्ज क्या है? अगर मंत्री मिल कर उनकी बात सुन लेते तो क्या हो जाता? पर ऐसा नहीं हुआ और नतीजा सामने है।
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