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    Bengal Chunav: विधानसभा चुनाव से पहले फिल्मी सितारों से हाउसफुल हुआ बंगाल का सियासी शो

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Mon, 08 Mar 2021 08:10 PM (IST)

    2019 में ममता ने अभिनेत्री नुसरत जहां को बशीरहाट और मिमी चक्रवर्ती को जादवपुर से टिकट दिया। ये दोनों भी शानदार अंदाज में जीते। बांग्ला फिल्मों के एक और चॢचत अभिनेता चिरंजीत चक्रवर्ती 2011 से तृणमूल के टिकट पर बारासात सीट से विधानसभा चुनाव लड़ते व जीतते आ रहे हैं।

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    विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल व भाजपा में शामिल होने के लिए टॉलीवुड के सितारों में लगी होड़

    विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। एक वक्त था जब फिल्म जगत के लोग राजनीति में कदम रखने से कतराते थे। आम लोगों की भी यही धारणा थी कि फिल्मी कलाकारों का राजनीति में क्या काम। दक्षिण भारत के फिल्मी कलाकारों ने इस मिथक को तोड़ा। एमजी रामाचंद्रन और जे. जयललिता ने तमिलनाडु की राजनीति में गहरी छाप छोड़ी। अब तो चिरंजीवी, कमल हासन, विजय कांत से लेकर पवन कल्याण तक लंबी फेहरिस्त तैयार हो चुकी है। बंगाल के फिल्मी सितारे भी दक्षिण की राह पर चल पड़े हैं। बंगाल में यूं तो दो दशक पहले ही यह सिलसिला शुरू हो गया था, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों में शामिल होने के लिए फिल्मी कलाकारों में अचानक होड़ सी लग गई है। पिछले एक महीने में एक दर्जन से ज्यादा फिल्मी सितारे सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस और मुख्य विरोधी दल में तब्दील हो चुकी भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

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    तृणमूल से जुडऩे वालों में बांग्ला फिल्मों के वरिष्ठ अभिनेता दीपंकर दे व कांचन मल्लिक, अभिनेत्री सायोनी घोष, सायंतिका बनर्जी व जून मालिया और फिल्म निर्देशक राज चक्रवती उल्लेखनीय नाम हैं। वहीं दूसरी तरफ टॉलीवुड के चॢचत अभिनेता यश दासगुप्ता, हिरन चटर्जी व रूद्रनील घोष, अभिनेत्री पायल सरकार, श्राबंती चटर्जी व पापिया अधिकारी ने भगवा पार्टी का झंडा थाम लिया था। मिथुन चक्रवर्ती को पूरे तामझाम के साथ भाजपा अपने पाले में ले आई। फिल्मी सितारों के अलावा छोटे पर्दे के भी कई कलाकार इन दोनों दलों में शामिल हुए हैं। इस दौरान कांग्रेस-वामो गठबंधन में बांग्ला फिल्म जगत का कोई कलाकार तो शामिल नहीं हुआ लेकिन गत 28 फरवरी को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में हुई रैली में वरिष्ठ अभिनेता सब्यसाची चक्रवर्ती, निर्देशक अनीक दत्ता और कमलेश्वर मुखर्जी को मंच पर देखा गया।

    ममता को जाता है श्रेय : बंगाल के फिल्मी सितारों को राजनीति में लाने का श्रेय बेशक मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी को जाता है। ममता ने 2001 में मशहूर टॉलीवुड अभिनेता तापस पाल को राजनीति में लाकर चमक बिखेरी। मतदाताओं ने तापस पाल को सिर-आंखों पर बिठाया और अलीपुर सीट से दो-दो बार जिताकर विधानसभा भेजा। बाद में तापस दो बार कृष्णनगर से संसद भी पहुंचे। फिल्मी सितारों के प्रति बंगाल के मतदाताओं के आकर्षण को देखते हुए 2009 के लोकसभा चुनाव में ममता ने टॉलीवुड की एक और मशहूर अदाकारा शताब्दी राय को वीरभूम से टिकट दिया। शताब्दी ने भी ममता की रणनीति को सही साबित किया। शताब्दी ने 2014 व 2019 के संसदीय चुनाव में भी वहां से बाजी मारी। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में ममता ने टॉलीवुड के सुपरस्टार देव को घाटाल, बीते जमाने की ग्लैमरस अभिनेत्री मुनमुन सेन को बांकुड़ा व दिग्गज अदाकारा संध्या राय को मेदिनीपुर सीट से उतारा। ममता का यह दांव भी कामयाब रहा। 2019 में ममता ने अभिनेत्री नुसरत जहां को बशीरहाट और मिमी चक्रवर्ती को जादवपुर से टिकट दिया। ये दोनों भी शानदार अंदाज में जीते। बांग्ला फिल्मों के एक और चॢचत अभिनेता चिरंजीत चक्रवर्ती 2011 से तृणमूल के टिकट पर बारासात सीट से विधानसभा चुनाव लड़ते व जीतते आ रहे हैं।

    भाजपा भी आजमा चुकी है कई फिल्मी सितारों को : बंगाल के चुनावों में भाजपा भी कई फिल्मी सितारों को आजमा चुकी है हालांकि उसे इस मामले में तृणमूल जैसी कामयाबी नहीं मिल पाई है। भगवा पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनाव में बांग्ला फिल्म अभिनेता जार्ज बेकर को हावड़ा, मशहूर संगीतकार बप्पी लाहिड़ी श्रीरामपुर और अभिनेता निमू भौमिक को रायगंज सीट से टिकट दिया गया था लेकिन तीनों को ही हार का मुंह देखना पड़ा।बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा-'वे हारे जरूर, लेकिन हमें एक फायदा यह हुआ कि उन सीटों पर हमारा वोट बैंक बढ़ गया था।'

    क्यों बढ़ा है फिल्मी सितारों के राजनीति में आने का ट्रेंड : राजनीतिक विश्लेषक इसके कई कारण बताते हैं। उनका कहना है कि कुछ कलाकार दूसरे कलाकारों को राजनीति में मिली सफलता को देखते हुए इस ओर कदम बढ़ाते हैं। कुछ अपने ढलते फिल्मी करियर के मद्देनजर राजनीति को बेहतर विकल्प के रूप में देखते हैं तो कुछ ऐसे भी हैं, जो फिल्मी जीवन में सफलता की ऊंचाई हासिल कर चुके होते हैं और अन्य क्षेत्र में चमक बिखेरना चाहते हैं। राजनीतिक दल भी फिल्मी सितारों का तहे दिल से स्वागत करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि इस तबके को किसी पहचान की जरुरत नहीं है और वे लोगों में आसानी से स्वीकार्य हैं।