जयंती पर याद आए आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय
संवाद सूत्र, मेदिनीपुर : अंग्रेजी हुकूमत से विज्ञान तपस्वी की उपाधि प्राप्त करने वाले प्रख्यात वैज्ञ
संवाद सूत्र, मेदिनीपुर : अंग्रेजी हुकूमत से विज्ञान तपस्वी की उपाधि प्राप्त करने वाले प्रख्यात वैज्ञानिक आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय की बुधवार को जयंती के अवसर पर मेदिनीपुर कॉलेजिएट स्कूल व सदर प्रखंड स्थित चुआडांगा हाईस्कूल में आयोजित समारोह के दौरान श्रद्धांजलि दी गई। चुआडांगा हाईस्कूल में आयोजित समारोह के दौरान शिक्षक प्रभारी मातुआर मल्लिक, सरोज मन्ना, अलोकेश माईती व सुदीप खाड़ा के विद्यार्थियों ने भी आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय के चित्र पर माल्यदान किया।
शिक्षक प्रभारी मातुआर मल्लिक ने अपने संबोधन में कहा कि डाक्टर प्रफुल्ल चंद्र राय का जन्म प्रदेश के खुलना जिलांतर्गत ररूली कतिपरा गांव में दो अगस्त, 1861 को हुआ था। वे भारत के महान रसायनज्ञ, उद्यमी तथा महान शिक्षक थे। आचार्य राय केवल आधुनिक रसायन शास्त्र के प्रथम भारतीय प्रवक्ता (प्रोफेसर) ही नहीं थे बल्कि उन्होंने ही इस देश में रसायन उद्योग की नींव भी डाली थी। Þसादा जीवन उच्च विचार'वाले इस महान वैज्ञानिक की आत्मकथा Þलाइफ एंड एक्सपीरियेंसेस ऑफ बंगाली केमिस्टÞ के प्रकाशित होने पर अंतरराष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका Þनेचर'ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए लिखा था कि लिपिबद्ध करने के लिए संभवत: प्रफुल्ल चंद्र राय से अधिक विशिष्ट जीवन चरित्र किसी और का नहीं हो सकता है। उन्होंने अपना अनुसंधान कार्य पारद के यौगिकों से प्रारंभ किया था। सर्वप्रथम सन 1896 में पारद नाइट्राइट नामक यौगिक तैयार किया, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि मिली। इसकी सहायता से 80 नए यौगिक तैयार किए और कई महत्वपूर्ण एवं जटिल समस्याओं को सुलझाया। ऐमोनियम, ¨जक, कैडमियम, कैल्सियम, स्ट्रांशियम, वैरियम, मैग्नीशियम इत्यादि के नाइट्राइटों के साथ संबंध में भी महत्वपूर्ण खोज करते हुए ऐमाइन नाइट्राइटों को विशुद्ध रूप में तैयार कर, उनके भौतिक और रासायनिक गुणों का पूरा विवरण दिया।
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