कहानी बदनाम गलियों की: पेट भरने के लिए कभी मां लेकर आई थी कोठे पर, बेटी के मन में खाकी का सपना
धनबाद से सटे आसनसोल का यौनपल्ली चबका इलाका। यहां भी दुर्गापूजा का उल्लास दिख रहा है। बच्चे भी उत्साहित हैं। इन्हीं के बीच आठ साल की बच्ची आंखों में आंसू लिए चुपचाप खड़ी है। बचपन में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले पिता का साया सिर से उठ गया।

आसनसोल [अजय झा]: धनबाद से सटे आसनसोल का यौनपल्ली चबका इलाका। यहां भी दुर्गापूजा का उल्लास दिख रहा है। बच्चे भी उत्साहित हैं। इन्हीं के बीच आठ साल की बच्ची आंखों में आंसू लिए चुपचाप खड़ी है। बचपन में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले पिता का साया सिर से उठ गया। जिंदगी जीने के लिए मां को कोठे की इन गलियों का रुख करना पड़ा। जिंदगी के झंझावतों ने मां को तोड़ दिया और उसने आत्महत्या कर ली। घर में बची सिर्फ नानी, जिसे अब दिखाई नहीं देता। आंखों की रोशनी छिन चुकी है। बुजुर्ग नाना बाहर रहकर दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। यौनपल्ली में आए दिन पुलिस का आना होता है, बच्ची हमेशा पुलिस अधिकारियों को देखती रहती है, मन में ठान लिया है कि जिंदगी में खाकी वर्दी पहनेंगे। पुलिस अधिकारी बन समाज की सेवा करेंगे। अपनी तकदीर विद्या के सहारे संवारेंगे। अभी वह कक्षा चार में पढ़ रही है।
भरे गले से वह बताती है कि हमेशा मां-पिता याद आते हैं। वे होते तो पर्व की खुशियों में हम भी उछल कूद मचाते। घर में अंधी नानी है, किसी प्रकार वह खाना बना देती हैं। बाकी घर का काम वह खुद करती है। नाना कुछ पैसे भेजते हैं तो नानी घर खर्च जैसे-तैसे चलाती हैं। गणिकाओं के हितों की सुरक्षा को लड़ रही दुरबार समिति की अध्यक्ष मरजीना शेख इस बच्ची की पढ़ाई-लिखाई का खर्च उठा रही हैं। बच्ची कहती है कि मरजीना मौसी मदद करती हैं। खूब पढूंगी और पुलिस अधिकारी बनूंगी। बड़े होकर अपने जैसी बच्चियों की मदद करूंगी।
पुलिस अंकल की तो सब बात मानते हैं
पुलिस क्यों बनना चाहती है, इस पर वह कहती है कि हमारे मोहल्ले में तो अक्सर पुलिस आती है। उनको हम अक्सर देखते हैं। पुलिस अंकल की बात सब मानते हैं, इसलिए पुलिस ही बनूंगी। उनमें सबकी मदद करने की ताकत होती है। हम पुलिस बनकर सबकी सेवा करेंगे। नानी का भी अच्छा इलाज कराएंगे। अपने क्षेत्र में रहने वाली मौसियों की भी मदद करेंगे।
खूब मन लगाकर पढ़ रही बच्ची
दुरबार समिति की अध्यक्ष मरजीना ने बताया कि माता-पिता का इसके सिर से साया उठ गया, नानी की भी हालत खराब है। बावजूद हम सब इसका सहारा हैं। इसे कमी नहीं होने देंगे। इसकी पढ़ाई व अन्य खर्च हम उठा रहे हैं। समिति के कार्यालय में हर दिन अंग्रेजी और बांग्ला के शिक्षक आते हैं। बच्ची का नामांकन यौनपल्ली के एक स्कूल में कराया है। वहां अन्य यौनकर्मियों के भी बच्चे पढ़ते हैं। बिटिया हर दिन समय पर दुरबार समिति कार्यालय शिक्षक से पढ़ने आ जाती है। सरकार से इसे कोई मदद नहीं मिलती।
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