विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस: खाद्य सुरक्षा प्रकल्प से ज्यादा जरूरी भोजन की बर्बादी रोकना
विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस अपने घर से शुरू करनी होगी इसकी पहल शादी विवाह में काफी बर्बाद होते हैं भोजन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक हर साल 4 लाख 20 हजार लोगों की जान चली जाती है सिर्फ दूषित भोजन खाने से। दूषित भोजन से जान चली जाती है।

अशोक झा, सिलीगुड़ी। पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वार सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्र में सोमवार को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जा रहा है। कोविड-19 महामारी काल में जरूरतमंदों को दो वक्त का खाना पहुंचाना भी इस दिन को सफल बनाने वाला साबित हो रहा है। उत्तर बंगाल का पर्वतीय क्षेत्र हो या समतल। खाद्य उत्पादन फल और फूल के लिए काफी मशहूर रहा है। रोटी, कपड़ा और मकान को मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता है। पूरा करने के लिए इंसान मेहनत करता है, जिनमें सबसे प्रमुख है पौष्टिक भोजन। सुरक्षित खाद्य मानकों को बनाए रखने में जागरूकता पैदा करने और खाद्य जनित बीमारियों के कारण होने वाली मौतों को कम करने के लिए हम विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस को मनाते हैं।
कोरोना वायरस के चलते वैसे भी इस समय हर किसी को मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता की जरूरत है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन व खनिज लवण आदि की पर्याप्त मात्रा को भोजन में शामिल करना आवश्यक हो गया है। साथ ही यह सभी पोषक तत्व संतुलित आहार से ही प्राप्त किए जा सकते हैं। यह भी तभी संभव है जब बाजार में मिलने वाली खाद्य सामग्री मिलावट रहित हो। खाद्य पदार्थों में मिलावट से उनकी गुणवत्ता में न केवल कमी आ जाती है बल्कि मिलावटी खाद्य पदार्थ दिखने में आकर्षक लगते हैं और हमारी पोषकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हुए स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
फैशन बन गया है भोजन की बर्बादी
पूर्वोत्तर के सीमावर्ती क्षेत्र में भोजन की बर्बादी एक फैशन के रूप में देखा जाने लगा है इसका ज्वलंत उदाहरण शादी ब्याह के मौके पर होने वाले आयोजन में भोजन की बड़ी बर्बादी देखा जा सकता है। इतना ही नहीं कोरोना संक्रमण की मार झेल रहे लोगों के लिए कम्युनिटी किचन, कृषि त्यौहार पर बांटे जाने वाले भोजन को भी लेकर लोग फेंकने से गुरेज नहीं करते। इसलिए जरूरी है कि खाद्य सुरक्षा दिवस को सफल बनाने के लिए सबसे पहले हमें भोजन के बर्बादी पर लगाम लगाना होगा। इसके लिए शुरुआत अपने घर से ही करना होगा।
कब से मनाया जाता है खाद्य सुरक्षा दिवस
वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे यानी विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस हर साल 7 जून को मनाया जाता है। हालांकि कुछ सालों से यह 16 अक्टूबर को मनाया जाता था, लेकिन अब 7 जून को मनाया जाता है। 2018 में यूनाइटेड नेशन के, खाद्य और कृषि संगठन द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी।आज के दिन को मनाने का उद्देश्य है लोगों को दूषित भोजन के प्रति जागरूक करना। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक हर साल 4 लाख 20 हजार लोगों की जान चली जाती है सिर्फ दूषित भोजन खाने से। साथ ही बच्चों की भी दूषित या बैक्टीरिया से लबरेज भोजन से जान चली जाती है। रिपोर्ट के अनुसार हर साल लगभग 1 लाख 25 हजार बच्चे मर जाते हैं। इस बात को ध्यान देना जरूरी।
राज्य में 2016 से प्रारंभ की गई है खाद्य साथी स्कीम
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 27 जनवरी 2016 को खाद्य साथी स्कीम को लॉन्च किया था। इस स्कीम के जरिए राज्य की लगभग 90 फीसदी जनता यानी 7 करोड़ लोगों को 2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से चावल और गेहूं देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके अलावा 50 लाख लोगों को मार्कट से आधे दामों में इसे उपलब्ध कराया जाना था और सत्ताधारी दल के अनुसार, वह अपने लक्ष्य को पूरा कर चुका है। अब टीएमसी सरकार ने सभी को मुफ्त में राशन देने का फैसला किया है जो लगातार जारी है।
प्रकल्प पर उठाएं जा रहे हैं अंगुली
हालांकि इस योजना को लेकर भारतीय जनता पार्टी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राष्ट्रीय कांग्रेस खाद्य सारथी के नाम पर सुवे में चल रही लूट को लेकर हमेशा आंदोलनरत रहे हैं। दार्जिलिंग जिला बस्ती उन्नयन समिति के अध्यक्ष दिलीप सिंह का कहना है कि खाद्य साथी योजना के नाम पर लोगों के साथ राज्य सरकार ने छल किया है। डिजिटल राशन कार्ड अब तक 50% से अधिक लोगों के पास नहीं पहुंच पाया है। राशन वितरण के नाम पर बराबर है घालमेल का आरोप सामने आता है।
केंद्र की योजनाओं का नहीं हो रहा सही से अनुपालन
कोविड-19 महामारी के दूसरे लहर को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत इस वर्ष मई और जून विदेश के 80 करोड लोगों तक मुफ्त में प्रत्येक व्यक्ति 5 किलो राशन पहुंचाने का संकल्प लिया है। भारतीय जनता पार्टी के दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र के सांसद राजू बिष्ट का कहना है जब तक केंद्र से आ रही राशन लोगों तक सही तरीके से नहीं पहुंचाया जाएगा तब तक योजना सफल नहीं हो पाएगी। किसानों की उपज का सही समर्थन मूल्य और रखरखाव की व्यवस्था नहीं होने से खाद्य सुरक्षा दिवस फलीभूत नहीं किया जा सकता है। इसके लिए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को मिलकर काम करना होगा।
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