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West Bengal Assembly Election 2021: जानें, कौन हैं पद्म पुरस्कार से सम्मानित 'बाइक एंबुलेंस दादा' करीमुल हक जिन्होंने पीएम मोदी से की मुलाकात

West Bengal Assembly Election 2021 पश्चिम बंगाल के बागडोगरा हवाई अड्डे पर पीएम मोदी से मिलने वाले करीमुल हक को जलपाईगुड़ी जिला में अपने मोटरसाइकिल पर मरीजों को चिकित्सा सुविधा के लिए फेरी लगाकर समाज सेवा के अपने अनूठे तरीके के लिए पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 01:21 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 03:16 PM (IST)
West Bengal Assembly Election 2021: जानें, कौन हैं पद्म पुरस्कार से सम्मानित 'बाइक एंबुलेंस दादा' करीमुल हक जिन्होंने पीएम मोदी से की मुलाकात
पीएम मोदी से मिले पद्म पुरस्कार से सम्मानित बाइक एंबलेंस दादा करीमुल हक। फाइल फोटो

सिलीगुड़ी, इरफान-ए-आजम। West Bengal Assembly Election 2021: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के दौरान दलीय उम्मीदवारों के समर्थन में शनिवार को सिलीगुड़ी में प्रचार करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उत्तर बंगाल के जाने-माने समाजसेवी पद्मश्री करीमुल हक उर्फ 'बाइक एंबुलेंस' उर्फ 'एंबुलेंस दादा' ने मुलाकात की। अपने विशेष विमान से उड़ान भर कर पीएम मोदी जब बागडोगरा एयरपोर्ट पर उतरे तो वहां पहले से ही प्रतीक्षारत करीमुल हक उनके पास गए और मुलाकात की। दोनों ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया व एक-दूसरे के गले मिले। पीएम मोदी ने उनका कुशलक्षेम पूछा व अभिवादन किया। 'एंबुलेंस दादा' के नाम से मशहूर करीमुल हक जलपाईगुड़ी के जिले के माल प्रखंड के राजाडांगा ग्राम पंचायत अंतर्गत धलाबाड़ी गांव के निवासी हैं। वह समाजसेवा के क्षेत्र में बड़ी मिसाल बन चुके हैं। अपने आस-पास के दर्जनों गांवों के गरीब जरूरतमंदों को पिछले दशक भर से भी ज्यादा समय से वह निःशुल्क बाइक एंबुलेंस सेवा देते आ रहे हैं। अब तक उन्होंने लगभग चार हजार लोगों को निःशुल्क बाइक एंबुलेंस सेवा दी है। उनके झोपड़ीनुमा घर में ही निःशुल्क क्लीनिक भी चलता है, जहां लोगों की कुछ स्वास्थ जांच भी हो जाती है और दवाएं भी मिल जाती हैं। इसके अलावा यहां-वहां से जुटा कर नए-पुराने कपड़े, दाना-पानी, किताब-कलम व कॉपी आदि से भी वह जरूरतमंदों की सेवा करते रहते हैं।

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जानें, कौन हैं करीमुल हक 

कई जरूरतमंद दिव्यांगों का घर बनवाने में भी करीमुल हक ने बड़ी सहायता की है। अब वह अपने घर के पास ही अपनी पुश्तैनी जमीन पर गांव के लोगों को चिकित्सा परिसेवा देने के लिए एक तीन मंजिला अस्पताल भी बनवा रहे हैं। करीमुल हक की कहानी बड़ी दिलचस्प है। वह पेशे से एक चाय बागान मजदूर हैं। एक निम्न वर्ग से ताल्लुक रखने के बावजूद उनकी सोच शुरू से ही समाज सेवा की दिशा में बहुत ऊंची रही। इसे तब और ज्यादा बल मिल गया, जब एक घटना ने उनकी जिंदगी बदल कर रख दी। यह 1995 की बात है। एक दिन देर रात करीमुल की मां जफीरुन्निसा को दिल का दौरा पड़ा। वह यहां-वहां बहुत दौड़े पर कोई संसाधन न मिला। मां को अस्पताल न पहुंचाया जा सका सो मां चल बसीं। इस घटना ने करीमुल को अंदर तक झकझोर कर रख दिया। तब उन्होंने प्रण लिया कि किसी को भी संसाधन के अभाव के चलते वह मरने नहीं देंगे और लोगों की स्वास्थ्य सेवा में जुट गए। शुरू-शुरू में रिक्शा, ठेला, गाड़ी, बस जो मिला उसी से रोगियों को अस्पताल पहुंचाने का काम करने लगे। उनके एंबुलेंस दादा बनने की कहानी कुछ यूं है कि वर्ष 2007 में एक दिन चाय बागान में काम करने के दौरान करीमुल का एक साथी मजदूर गश खाकर गिर पड़ा। उन्होंने आनन-फानन में बागान प्रबंधक की बाइक ली व उसे अस्पताल ले गए। उसी घटना से बाइक एंबुलेंस का आइडिया आया।

पुरानी राजदूत मोटरसाइकिल से शुरू कर दी फ्री बाइक एंबुलेंस सेवा

करीमुल हक ने एक पुरानी राजदूत मोटरसाइकिल खरीदी और शुरू कर दी फ्री बाइक एंबुलेंस सेवा। एक बार एक्सीडेंट के शिकार भी हुए, जिसके चलते उनका एक पांव आज तक थोड़ा छोटा व टेढ़ा है। उस समय एक्सीडेंट से मोटरसाइकिल भी बेकार हो गई। तब यहां-वहां से जैसे-तैसे करके पैसे जुटा कर वर्ष 2009 में उन्होंने एक नई बाइक खरीदी और अपनी निशुल्क एंबुलेंस सेवा को और बेहतर कर दिया। इसके बावजूद उन्हें ताने भी सुनने पड़े। कई ऐसे लोग रहे जिन्होंने शुरू-शुरू में उन पर ताने भी कसे गए। मगर, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपने जज्बे को डिगने नहीं दिया। समाज सेवा को पूरी मेहनत व लगन से दिन-रात जारी रखा। फिर, वही हुआ जो होना था। उनकी मेहनत रंग लाई। उनके जज्बे को चहुंओर सराहना मिलने लगी। उनकी ख्याति उनके गांव की सीमा से बाहर भी जगह-जगह फैलने लगी और केंद्र सरकार तक जा पहुंची। वर्ष 2017 में  पद्मश्री से नवाजा फिर, वर्ष 2017 में केंद्र सरकार ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा। उसके बाद करीमुल हक की शोहरत सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जा पहुंची। इधर, बॉलीवुड भी उनके प्रभाव से अछूता नहीं रहा। अब बहुत जल्द उनकी जीवनी सिल्वर स्क्रीन के माध्यम से सबके सामने होगी। उनके जीवन पर अब फिल्म बनने जा रही है।

बंगाल में जुल्फिकार अली से भी मिल चुके हैं पीएम मोदी

गौरतलब है कि गत तीन अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और टोपी पहने एक मुस्लिम युवक की तस्वीर मीडिया में सुर्खियों में थी। सोनारपुर की एक फोटो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गई। इस तस्वीर में एक मुस्लिम युवक मोदी के कान में कुछ कहता दिख रहा है और मोदी उस युवक के कंधे पर हाथ रखे बड़े गौर से बातें सुन रहे हैं। जब उक्त तस्वीर सामने आई तो लोग ट्विटर पर अलग-अलग तरह की बातें करने लगे, लेकिन असल में उक्त युवक का नाम जुल्फिकार अली है और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा ही जबरदस्त फैन है। वह भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता भी है। दक्षिण 24 परगना जिले के सोनारपुर में चुनावी सभा के दौरान पीएम मोदी के कानों में जुल्फिकार नमाजी टोपी पहने कुछ कह रहे थे और पीएम भी अपना हाथ उनके कंधे पर रखकर बड़े ही ध्यान से बातें सुन रहे थे। मोदी और मुस्लिम युवक के फोटो पर ट्विटर यूजर्स ने रोचक कमेंट किए हैं।

पीएम को बताया, राष्‍ट्रहित में काम करना चाहते हैं

जुल्फिकार का कहना है कि उनकी बहुत लंबे समय से पीएम मोदी को करीब से देखने व प्रणाम करने की तमन्ना थी। सात मार्च को ब्रिगेड परेड मैदान में भी वह थे, परंतु उनकी इच्छा पूरी नहीं हो सकी। उन्होंने पीएम को बताया कि वह राष्ट्रहित में काम करना चाहते हैं।

ना बांग्लादेश बनने देंगे और ना पाकिस्तान

जुल्फिकार कहना है कि राज्य के मंत्री फिरहाद हकीम पोर्ट विधानसभा को मिनी पाकिस्तान समझते हैं। हम जैसे भारतीय जब तक हैं तब तक इसे ना बांग्लादेश, ना पाकिस्तान बनने देंगे। जो लोग राष्ट्रहित के बारे में सोचते हैं, परिवार के बारे में सोचते हैं, देश के बारे में सोचते हैं, वे इसे पाकिस्तान और बांग्लादेश नहीं बनने देंगे। सभी मुस्लिम अगर एकसाथ प्रेम से रहते हैं, किसी पर जुल्म नहीं करते हैं तो वे एक सवाल का जवाब दें। सारे मुसलमान क्या हर वक्त टोपी पहनकर रह सकते हैं। मैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पूछना चाहता हूं कि क्या वह किसी मुसलमान को सीएम बनाएंगी। वह हमें मूर्ख समझती हैं। हमें सिर्फ लॉलीपॉप थमा दी जाती है।


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