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    सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाए जाने की उम्मीदों पर फिरा पानी, सात नए जिलों में नाम शामिल नहीं

    उत्तर बंगाल में कुछ वर्ष पहले ही अलीपुरद्वार व कालिम्‍पोंग को अलग जिला बनाया गया था। इसके बाद से ही सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाए जाने की मांग थी। लोगों को उम्मीद थी कि जब कभी भी अलग जिला की घोषणा होगी तो उसमें सिलीगुड़ी जरूर शामिल होगा।

    By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Mon, 01 Aug 2022 04:23 PM (IST)
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    सिलीगुड़ी नहीं बन सका अलग जिला। सांकेतिक तस्‍वीर।

    सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से राज्य में सात नए जिलों की घोषणा की गई है।इसी के साथ राज्य में जिलों की संख्या बढ़कर कुल 30 हो गई है।  मगर इसमें सिलीगुड़ी के नाम नहीं होने पर लोगों में निराशा है। राज्य कैबिनेट ने जिन सात जिलों को बनाने पर सहमति दी है, वे सभी दक्षिण बंगाल के जिले हैं। उत्तर बंगाल में कुछ वर्ष पहले ही अलीपुरद्वार व कालिम्‍पोंग को अलग जिला बनाया गया था। इसके बाद से ही सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाए जाने की बातें हो रही थी। सिलीगुड़ी के लोग इस उम्मीद में बैठे थे कि अगली बार जब कभी भी अलग जिला की घोषणा होगी तो उसमें सिलीगुड़ी जरूर शामिल होगा , लेकिन उनकी उम्मीदों को एक बार फिर से झटका लगा है।

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    राज्य कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज राज्य में सात नए जिलों की घोषणा कर दी हैं ,लेकिन इनमें सिलीगुड़ी का नाम नहीं है। उत्तर बंगाल से कोई भी नया जिला नहीं बना है। जो नए जिले बनाए गए हैं वह हैं राणाघाट, बहरमपुर ,सुंदरबन, इच्छामती, विष्णुपुर और बशीरहाट। यह  जिले उत्तर बंगाल में नहीं आते हैं। सिलीगुड़ी के लोगों को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उसी समय से उम्मीद बढ़ गई थी ,जब उन्होंने  कहा था कि जल्द ही बंगाल में कुछ नए जिलों की घोषणा की जा सकती है।

    जिस तरह से सिलीगुड़ी शहर में लगातार विकास हो रहे है, ऐसे में सिलीगुड़ी के जिला बनने की संभावना प्रबल थी। बताते चले कि सिलीगुड़ी दार्जिलिंग जिले के अंतर्गत आता है। ऐसे में सिलीगुड़ी के लोगों को अपने प्रशासनिक कार्यों के लिए दार्जिलिंग जाना पड़ता है। ऐसे में उनके समय व पैसे दोनों की बर्बादी होती है। शासन प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने तथा विकास के लिए सिलीगुड़ी को अलग जिला बनाने की मांग काफी समय से ही हो रही है। हालांकि इसके लिए संगठित तौर पर अब तक कोई आंदोलन या किसी भी राजनीतिक पार्टी की ओर से खुलकर समर्थन नहीं किया गया है।

     दरअसल इसके कारण भी हैं। खास तौर से राजनीतिक पार्टियों को लगता है कि यदि अलग जिला की मांग को लेकर वह खुलकर समर्थन करते हैं तो कहीं ना कहीं उनसे पहाड़ के लोग नाराज हो जाएंगे। यही वजह है कि यह मांग हमेशा दबे स्वर से की जाती रही है।

    मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में सात नए जिलों की घोषणा करते हुए पार्टी के संगठनात्मक स्तर में भी बदलाव किया। मिली जानकारी के  अनुसार पार्टी के कई जिलाध्यक्षों को बदला गया है।