सिक्किम के गैर हिंदी भाषी शिक्षकों में दिखा हिंदी के प्रति रूझान, कहा -राष्ट्रीय भाषा हिंदी पर गर्व
राज्य के प्राय उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूल कालेज और विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा को प्राथमिकता दी जा रही है। स्कूलों और कालेजों में हिंदी भाषा के शिक्षक स्थानीय सिक्किमवासी ही हैं। जिसकी वजह से भी हिंदी भाषा के पठन पाठन व लेखन में दिनों दिन उन्नति हो रही।

गंगटोक, जगन दाहाल। बहुसंख्यक गैर हिंदी भाषी राज्य सिक्किम में हिंदी भाषा की शिक्षा और विकास निरंतर प्रगति पर है। सिक्किम की स्वतंत्रता के करीब 47 साल बाद आज राज्य के प्राय: उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा को प्राथमिकता दी जा रही है। लगभग सभी स्कूलों और कालेजों में हिंदी भाषा के शिक्षक स्थानीय सिक्किमवासी ही हैं। जिसकी वजह से भी हिंदी भाषा के पठन पाठन व लेखन में दिनों दिन उन्नति हो रही है।
इस पर सिक्किम केंद्रीय विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापक डा. चुकी भूटिया कहती है हिंदी मेरी अपनी भाषा है। मेरे घर में बनने वाली रोटी का आधा हिस्सा इसी के बदौलत संभव है। ऐसा भी नहीं है कि उसकी बदौलत पालन पोषण हो रहा हो तो मैं उसका गुणगान कर रही हूं , बल्कि इसके महत्व से परिचित हूं। देश की विविध भाषिक जन के बीच संवाद को समर्थ करने का कार्य हिंदी द्वारा संभव होता है। मातृभाषा एवं रोजगार की भाषा के महत्व से किसी का कोई दुराग्रह नहीं है। लेकिन इस वैश्विक पटल पर जिस देश का नागरिक होने का गौरव हमको प्राप्त है, उस देश की विविध भाषाओं में बहुसंख्यकों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को राष्ट्र का प्रतीक मानना और उसके प्रति सम्मान का भाव रखना हमारे लिए गौरव का विषय है।
हिंदी बनीं संपर्क भाषा
सिक्किम सरकारी संस्कृत महाविद्यालय के हिंदी शिक्षक लक्ष्मी प्रसाद शर्मा (खतिवड़ा) कहते है कि भारत को विभिन्न संस्कृति, संस्कार और भाषा का महाकोश कह सकते है। इसी विविधता भरी संस्कृति भारत को विश्वगुरु होने का गौरव प्रदान करता है। जैसे विविधता से भरी संस्कृति में एकता दिखती है वैसे ही राज्य के विभिन्न जाति एवं भाषा भारतीय होने का गर्व दर्शाते है। देश के अलग राज्यों के अलग भाषी बीच संपर्क भाषा के रूप में बोली जाने वाली राजभाषा हिंदी देश की एकता को दर्शाता है। फिलहाल कश्मीर से कन्याकुमारी तक रहे नागरिकों के बीच हिंदी भाषा संपर्क का माध्यम बना है। एक राष्ट्र, एक ध्वज थीम के साथ ही एक राष्ट्रभाषा का नारा भी आवश्यक बनता दिखाई दे रहा है।
विश्व में सबसे ज्यादा बोलीजानेवाली भाषा में तीसरी
पश्चिम सिक्किम के पेलिंग उच्चतर माध्यमिक स्कूल के हिंदी शिक्षक राम प्रसाद शर्मा कहते है हिंदी विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है। इसे हमारी राष्ट्रभाषा होने के साथ ही प्राचीन, सरल और समृद्ध भाषा भी कहा जाता है। देश के साक्षर से लेकर निरक्षर तक प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति हिंदी आसानी से समझ और बोल लेता है। यह हिन्दुस्तान की राष्ट्र भाषा है, इसके प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करना हमारा कर्तव्य बनता है। आज विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी हमारी भाषा और संस्कृति को जानने के लिए भारत आते हैं। एक हिन्दुस्तानी को कम से कम अपनी भाषा यानी हिंदी भाषा तो आनी ही चाहिए। साथ ही हमें हिंदी का सम्मान भी करना चाहिए। तब हम हिंदी रहेंगे और गर्व के साथ कह पाएंगे कि हिंदी है हम।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।