सिक्किम का आर्थिक मेरूदंड मारवाड़ी समाज : एसके शारदा
हमारे पास वोटर कार्ड पासपोर्ट आधार कार्ड पर भारतीय होने का प्रमाणपत्र नहींमारवाड़ी समाज क

हमारे पास वोटर कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड, पर भारतीय होने का प्रमाणपत्र नहीं,मारवाड़ी समाज के सदस्य सिक्किम में ट्रेड लाइसेंस से वंचित
*सिक्किम बचाना है तो प्रत्येक व्यापार सिक्किम के युवाओं के हाथों में होना चाहिए*
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संवाद सूत्र, गंगटोक: सिक्किम एक स्वतंत्र राष्ट्र से लेकर प्रजातंत्र के 47 सालों तक राज्य की आर्थिक और सामाजिक विकास में मेरुदंड के रूप में खड़े मारवाड़ी समाज के लोगों की पहचान सिक्किम के निर्माता के रूप में है। उक्त मंतव्य ओल्ड सेटलर्स ऑफ सिक्किम के संस्थापक अध्यक्ष व सिक्किम चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व महासचिव एस. के शारदा ने व्यक्त किया।
उन्होंने बताया कि हम वर्ष 1880 से सिक्किम के महाराज की प्रजा बनकर रह रहे हैं। सिक्किम के राजा ने हमें सिक्किम की आर्थिक विकास के लिए न्योता दिया था। जब सिक्किम में बाहरी लोग बढ़ने लगे तब राजा ने असुरक्षित महसूस करते हुए वर्ष 1961 में सिक्किम सब्जेक्ट रेगुलेशन एक्ट लाकर अपने नागरिकों को नागरिकता प्रदान की मगर अधिकतर मारवाड़ी समाज के लोगों ने सिक्किम सब्जेक्ट नहीं लिया। इतना ही नहीं यहा के मूल निवासी लेप्चा, नेपाली और भूटिया समुदाय भी सब्जेक्ट से वंचित रहे।
छोग्याल ने 1880 में सिक्किम आए तीन मारवाड़ी और दो बिहारी परिवार को 1930 में पुराने एम.जी मार्ग में जमीन दी जहा अभी तक उक्त लोग व्यवसायरत हैं। फिर कालिम्पोंग और दार्जिलिंग से भी व्यापार करने के लिए में मारवाड़ी और बिहारी लोग सिक्किम आने लगे।
एसके शारदा ने बताया कि ब्रिटिश इंडिया काल में आए मारवाड़ी समुदाय सिक्किम सब्जेक्ट से वंचित रहे। वर्ष 1975 तक उनके पास कोई नागरिक दस्तावेज नहीं था। 1993 में पूर्व सीएम स्व. नरबहादुर भंडारी की सरकार ने सिक्किम सब्जेक्ट से वंचित 93 हजार परिवार को भारतीय सिटीजनशिप प्रदान की। इसमें भारत सरकार ने सिक्किम के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले मारवाड़ी समुदाय की अनदेखा करते हुए केवल ग्रामीण क्षेत्र में रहने वालों को ही सिक्किम की नागरिकता प्रदान की। उन्होंने बताया कि हमारे पास वोटर कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड है लेकिन भारतीय होने का कोई प्रमाणपत्र नहीं है। आज मारवाड़ी समाज के परिवार के सदस्य सिक्किम में ट्रेड लाइसेंस से वंचित है।
उन्होंने बताया कि यहां वर्ष 1975 से पहले 300 के करीब मारवाड़ी थे अब 40 हजार के करीब हैं। सिक्किम के मारवाड़ी समाज ने सरकार को पूरा सहयोग दिया है। सिक्किम को आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिए मारवाड़ी समाज का बड़ा योगदान है। लेकिन फिर भी आज कतिपय पुराने व्यापारी रेसिडेंशियल सर्टिफिकेट से वंचित है। इसके साथ ही जो ट्रेड लाइसेंस मिला है वो भी अपने उत्तरदायी के नाम पर ट्रासफर नहीं होता है।
बढ़ते बाहरी लोगों की जनसंख्या पर भी चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने बताया है कि अगर इसी तरह से बाहरी लोगों आते रहे तो यहा का अर्थतंत्र बाहरी लोगों के हाथों में होगा। इसे रोकने के लिए राज्य में उत्पन्न काम स्थानीय युवाओं को करना होगा। पढ़े लिखे युवा को सरकारी नौकरी नहीं बल्कि अन्य काम भी करना होगा। अगर सिक्किम को बचाना है तो प्रत्येक व्यवसाय सिक्किमी युवाओं के हाथों में होना चाहिए। सिक्किम बढ़ती ड्रग्स समस्या को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ही नहीं बल्कि युवा के अभिभावकों को भी ध्यान देना चाहिए।
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