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    West Bengal: मंत्रिपद से इस्तीफा देने के बाद पहली सभा में भी शुभेंदु अधिकारी ने नहीं खोले अपने पत्ते

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Sun, 29 Nov 2020 06:22 PM (IST)

    Subhendu Adhikaril शुभेंदु ने कहा कि वे अपनी क्षमता के मुताबिक ताउम्र आम लोगों की सेवा करते रहेंगे। दूसरी तरफ शुभेंदु की सभा के जवाब में हल्दिया में तृणमूल की तरफ से जुलूस निकाला गया। गौरतलब है कि शुभेंदु काफी समय से तृणमूल से दूरी बनाकर चल रहे हैं।

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    शुभेंदु अधिकारी ने नहीं खोले अपने पत्ते। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Subhendu Adhikaril: तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी परिवहन मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद रविवार को पहली बार किसी सभा में नजर आए। पूर्व मेदिनीपुर जिले के महिषादल में स्थानीय स्वतंत्रता सेनानी रणजीत बयाल के स्मरण में ताम्रलिप्त जनकल्याण समिति की ओर से इस सभा का आयोजन किया गया था। समिति के अध्यक्ष कोई और नहीं, बल्कि खुद शुभेंदु अधिकारी हैं। गैर-राजनीतिक सभा होने के बावजूद कयास लगाए जा रहे थे कि शुभेंदु इसी सभा मंच से अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर कोई बड़ी घोषणा करेंगे, साथ ही सत्तारूढ़ दल के खिलाफ भी आवाज बुलंद करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। शुभेंदु ने अपने पत्ते नहीं खोले।

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    सभा मंच से अपने संबोधन में उन्होंने दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जिक्र किया और स्वतंत्रता सेनानी रणजीत बयाल के योगदान का भी उल्लेख किया। शुभेंदु ने कहा कि वे अपनी क्षमता के मुताबिक ताउम्र आम लोगों की सेवा करते रहेंगे। दूसरी तरफ शुभेंदु की सभा के जवाब में हल्दिया में तृणमूल की तरफ से जुलूस निकाला गया। गौरतलब है कि शुभेंदु काफी समय से तृणमूल से दूरी बनाकर चल रहे हैं। उन्होंने पिछले दिनों परिवहन मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार भी कर लिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फिलहाल परिवहन विभाग को अपने हाथों में रखा है। भाजपा शुभेंदु को अपने खेमे में लाने के लिए जीतोड़ प्रयास कर रही है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व खुद इस में लगा हुआ है हालांकि शुभेंदु किसी तरह की जल्दबाजी नहीं दिखा रहे। दूसरी तरफ, तृणमूल ने कहा कि शुभेंदु से बातचीत का रास्ता खुला हुआ है। 

    इधर, शिवसेना ने केवल एक बार 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान तमलुक में अपना उम्मीदवार खड़ा किया था। इसके बाद से किसी भी चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। पूर्व मेदिनीपुर जिले में शिवसेना का कोई संगठन भी नहीं है। ऐसे में अचानक से इस इलाके में शिवसेना के झंडे लहराने के पीछे की वजह समझ के बाहर है।