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    एक मोहब्बत अनदेखी सी, अनजानी सी!

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 09 Jul 2021 09:03 PM (IST)

    -उनकी आंखें नहीं हैं लेकिन एक-दूसरे को खूब देखते हैं -रांग नंबर के फोन कॉल

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    एक मोहब्बत अनदेखी सी, अनजानी सी!

    -उनकी आंखें नहीं हैं लेकिन एक-दूसरे को खूब देखते हैं

    -रांग नंबर के फोन कॉल से राइट हो गई जिदंगी इरफान-ए-आजम, सिलीगुड़ी : उनकी आंखें हैं। मगर, आंखों में रौशनी नहीं है। सो, वह दुनिया देख नहीं सकते। दुनिया क्या, कुछ भी नहीं देख सकते। किसी को भी नहीं देख सकते। पर, उन्होंने एक-दूसरे को देखा। खूब देखा। इतना देखा कि अनेदखापन दूर हो गया। अंजानापन काफूर हो गया। उन दोनों के बीच परवान चढ़ने लगी एक मोहब्बत अनदेखी सी, अनजानी सी! यह कहानी बापी चटर्जी व ज्योत्सना दास की है। वे दोनों ही दृष्टिहीन हैं। बापी झारखंड के धनबाद के पास एक गांव के रहने वाले हैं। वहीं, ज्योत्सना सिलीगुड़ी महकमा के विधान नगर स्थित दृष्टिहीनों के भीमभार स्नेहाश्रम में रहती हैं। इन दोनों की मुहब्बत की शुरुआत साल भर पहले फोन के जरिये हुई। तब, ज्योत्सना दिल्ली में रह कर पढ़ाई कर रही थीं। वहीं से उन्होंने बीते बरस ही 12वीं बोर्ड की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की है। दिल्ली में ही पढ़ने के दौरान रांग नंबर के फोन कॉल से ज्योत्सना व बापी के बीच बातों का सिलसिला शुरू हुआ। यह कब मोहब्बत में तब्दील हो गया पता ही न चला। फिर, दिल्ली से जब ज्योत्सना यहां लौटी तो वह बस बापी, बापी, बापी ही रट लगाए थी।

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    उसके अभिभावक भीमभार स्नेहाश्रम के संचालकों में से एक प्राचार्य अनंत राय ने उसे उसकी मुहब्बत से मिलाने का वादा किया। तब जा कर उसे सब्र आया। गौरतलब है कि भीमभार स्नेहाश्रम की स्थापना के समय से ही ज्योत्सना वहां की आश्रमवासी है। तब, मात्र तीन साल की नन्ही मासूम अनाथ के रूप में ज्योत्सना आई थी। उसकी मां भी दृष्टिहीन ही थीं जो बाद में चल बसीं। पिता पहले ही दुनिया से जा चुके थे। तब से ही पाल पोस कर, पढ़ा-लिखा कर भीमभार वालों ने ज्योत्सना को नई जिंदगी दी। इधर, 23 वर्षीय ज्योत्सना से वायदे के मुताबिक अनंत राय ने बापी के परिवार वालों से संपर्क साधा। 28 वर्षीय बापी के घर वाले लोग बापी के साथ यहां आए। ज्योत्सना को देखा। बापी व ज्योत्सना ने भी पहली बार कए-दूसरे से आमने-सामने बातचीत की। वहीं, उनका रिश्ता भी तय हो गया और अब 14 जुलाई को भीमभार स्नेहाश्रम में ही उनकी शादी होने जा रही है। बापी बारात लेके आएंगे और ज्योत्सना को लेके चले जाएंगे।

    बापी व ज्योत्सना की मुहब्बत में गानों ने भी खूब रंग जमाया। बापी व ज्योत्सना दोनों अच्छे गायक-गायिका भी हैं। बापी दृष्टिहीन होते हुए भी यूट्यूबर हैं। वह एक से एक फिल्मी गाने गा कर अपने नाम से ही अपना यूट्यूब चैनल चलाते हैं। वहीं, ज्योत्सना भी अच्छा गाती हैं। इन दोनों की मुहब्बत में दोनों के एक गुण गायन का भी कहीं न कहीं अहम रोल रहा। बापी के परिवार में माता-पिता सब ठीक हैं। उनकी छोटी-मोटी दुकान भी है। अपना घर-दुआर है। बस, बापी ही दृष्टिहीन हैं। मदद के लिए आगे आए लोग

    बापी व ज्योत्सना की इस अनूठी मुहब्बत को मंजिल तक पहुंचाने के लिए पुलिस वाले समाजसेवी बापन दास भी आगे हैं। अपने बिधान नगर वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों संग वह जगह-जगह चंदा इकट्ठा कर रहे हैं। उनका कहना है कि पहले बात थी कि ज्योत्सना व बापी की शादी मंदिर में ही होगी। मगर, मुझे लगा कि नहीं उन दृष्टिहीनों की शादी भी आम लड़के-लड़कियों की तरह ही होनी चाहिए। लड़के वालों की ओर से कोई डिमांड तो नहीं है लेकिन फिर भी जितना संभव हो गृहस्थी के सामान संग हम लोग अपनी बहन को विदा करेंगे। इस दिशा में उन्होंने समाज के लोगों से मदद की अपील की है।