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    बच्चों का स्वपन में हंसाती और रुलाती है षष्ठी

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 19 Nov 2020 12:01 PM (IST)

    जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी छठ महापर्व पर मां षष्ठी के संबंध में जानना जरुरी है। यह बच्चों

    बच्चों का स्वपन में हंसाती और रुलाती है षष्ठी

    जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : छठ महापर्व पर मां षष्ठी के संबंध में जानना जरुरी है। यह बच्चों को स्वप्न में कभी रुलाती हैं, कभी हंसाती हैं, कभी खिलाती हैं तो कभी दुलार करती हैं। कहा जाता है कि जन्म के छठे दिन जो छठी मनाई जाती हैं वो इन्हीं षष्ठी देवी की पूजा की जाती है। यह अपना अभूतपूर्व वात्सल्य छोटे बच्चों को प्रदान करती है। बिल्ली इनकी सवारी है और एक बालक को गोद में ले रखा है और दूसरे बालक की अंगुली पकड़ रखी है। यह कहना है आचार्य पंडित यशोधर झा का।

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    षष्ठी देवी पूजा विधि

    जिन दंपत्तियों को संतान प्राप्त होने में बाधा आती है उन्हें रोज इस षष्ठी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। संतान के इच्छुक दंपत्ति को शालिग्राम शिला, कलश, वटवृक्ष का मूल अथवा दीवार पर लाल चंदन से षष्ठी देवी की आकृति बनाकर उनका पूजन नित्य प्रतिदिन करना चाहिए। सबसे पहले देवी का ध्यान निम्न मंत्र के द्वारा करना चाहिए।

    षष्ठाशा प्रकृते: शुद्धा सुप्रतिष्ठाण्च सुव्रताम

    सुपुत्रदा च शुभदा दयारूपा जगत्प्रसूम,श्वेतचम्पकवर्णाभा रत्नभूषणभूषिताम, पवित्ररुपा परमा देवसेना परा भजे।

    ध्यान के बाद ॐ ह्रीं षष्ठीदेव्यै स्वाहा इस अष्टाक्षर मंत्र से आवाहन, पाद्य, अर्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्राभूषण, पुष्प, धूप, दीप, तथा नैवेद्यादि उपचारों से देवी का पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही देवी के इस अष्टाक्षर मंत्र का यथाशक्ति जप करना चाहिए। देवी के पूजन तथा जप के बाद षष्ठीदेवी स्तोत्र का पाठ श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। इसके पाठ से नि:संदेह संतान की प्राप्ति होगी। स्थानीय भाषा में षष्ठीन देवी को ही छठी मैया कहा जाता है। इसके अलावा षष्ठी् देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा जाता है।

    देवी दुर्गा का यह रूप ही हैं छठी मैया

    सनातन धर्म के पुराणों में देवी दुर्गा का रूप कात्यायनी देवी ही छठी माया है। इनकी पूजा मुख्य रूप से नवरात्रि में षष्ठी तिथि को करने का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि मा कात्यायनी शेर पर सवार होती हैं, इनकी चार भुजाएं हैं, बाएं हाथों में कमल का फूल व तलवार धारण करती हैं। दाएं हाथ अभय और वरद मुद्रा में रहते हैं। मा कात्यायनी योद्धाओं की देवी हैं।

    राक्षसों के अंत के लिए माता पार्वती ने कात्यायन ऋषि के आश्रम में ज्वलंत स्वरूप में प्रकट हुई थीं, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। छठी मैया भगवान सूर्य की बहन हैं। छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है।