नववर्ष पर पर्यटकों को डीएचआर का तोहफा, सिलीगुड़ी से रंगटंग तक ट्वॉय ट्रेन चलाने की योजना
नववर्ष के मौके पर दार्जीलिंग-हिमालयन रेलवे (डीएचआर) पूर्वोत्तर घूमने आने वाले पर्यटकों को ट्वॉय ट्रेन की सुविधा सिलीगुड़ी जंक्शन से मुहैया कराने पर विचार कर रहा है।
सिलीगुड़ी [जागरण स्पेशल]। दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) नव वर्ष के मौके पर पर्यटकों के लिए विश्व धरोहर घोषित ट्वॉय ट्रेन की सेवा सिलीगुड़ी जंक्शन से रंगटंग तक मुहैया कराने पर विचार कर रहा है। डीएचआर के डाइरेक्टर ने बताया कि इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है। सबकुछ ठीक रहा तो नव वर्ष के मौके पर पूर्वोत्तर घूमने वाले इसका लुत्फ उठा सकेंगे।
बता दें कि यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित ट्वॉय ट्रेन अपने सुनहरे सफर के 137 वर्ष पूरे कर चुकी है। यह ट्रेन एनजेपी से दार्जिलिंग के बीच चलती है, लेकिन बारिश के समय पटरी पर भू-स्खलन के कारण कई महीने यह सेवा बाधित रहती है। इसके अलावा सात घंटे का समय लगने के कारण हर कोई एनजेपी या सिलीगुड़ी जंक्शन से दार्जिलिंग तक नहीं जाना चाहता।
दार्जिलिंग से घूम तक ट्वॉय ट्रेन की जॉय राइड उपलब्ध है, लेकिन इस तरह की जॉय राइड सिलीगुड़ी से नहीं है। अब एनएफ रेलवे सिलीगुड़ी से भी जॉय राइड की तैयारी कर रहा है। पर्यटकों की मांग को देखते हुए रेलवे ने सिलीगुड़ी से रंगटंग तक ट्वॉय ट्रेन को जॉय राइड के रूप में चलाने की योजना बना ली है।
टूरिस्ट सीजन में एनजेपी-दार्जिलिंग ट्वॉय ट्रेन के टिकट की बुकिंग फुल हो जाती है। इस वजह से बहुत से पर्यटकों को ट्वॉय ट्रेन का सफर करने का मौका नहीं मिलता है। ऐसे पर्यटकों को ट्वॉय ट्रेन के सफर का मजा मिल पाए, इसके लिए सिलीगुड़ी से रंगटंग तक ट्वॉय ट्रेन का परिचालन शुरू करने की योजना है। योजना के अनुसार पर्यटन सीजन दिसंबर से जनवरी तक इसे चलाया जाएगा। दुर्गापूजा के दौरान यह प्रयोग किया गया था, जो सफल रहा।
ट्वॉय ट्रेन सितंबर 1881 से दे रही है अपनी सेवा
दार्जिलिंग की ट्वॉय ट्रेन सितंबर 1881 से अपनी सेवा दे रही है। इसकी शुरुआत चायपत्ती की ढुलाई और यात्रियों के लिए हुई थी। बाद में आवागमन के अन्य साधन विकसित होने पर इन कामों के लिए ट्वॉय ट्रेन का इस्तेमाल बंद हो गया तो पर्यटकों के लिए इसे चलाया जाने लगा। 1999 में यूनेस्को ने दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्ज दिया।