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हार के बाद जीत का मजा ही कुछ और है

-लिटिल एंजेल्स स्कूल में संस्कारशाला का आयोजन - किसी भी असफलता से नहीं घबराने की सलाह

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 07:30 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 07:30 PM (IST)
हार के बाद जीत का मजा ही कुछ और है
हार के बाद जीत का मजा ही कुछ और है

-लिटिल एंजेल्स स्कूल में संस्कारशाला का आयोजन

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- किसी भी असफलता से नहीं घबराने की सलाह

-आत्मविश्वास है तो हर मंजिल पाना आसान

आत्मविश्वास है तो हारने के बाद भी बड़ी जीत मिलती है : प्रधानाध्यापिका

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : सफलता व असफलता किसी भी व्यक्ति के आत्मविश्वास पर निर्भर करता है। कभी-कभी लगातार सफलता मिलते रहने के बाद अगर एक बार व्यक्ति अथवा विद्यार्थी किसी कारण से असफल हो जाता है तो देखा जाता है कि उसका आत्मविश्वास वहीं से डगमगाने भी लगता है। जबकि यहीं पर वैसे विद्यार्थी या व्यक्ति के हौसला बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। जैसा कि 'हार के आगे जीत' कहानी में निखिल नामक किरदार का नामांकन जहां उसके अन्य दोस्तों का हुआ था, वहां नहीं हो पाया जिससे वे काफी उदास रहने लगा। जबकि उसके माता-पिता उसकी हौसला अफजाई करते हैं कि किस तरह से परिश्रम के बल हार के आगे जीत होती है।

दैनिक जागरण द्वारा बुधवार को सिलीगुड़ी के निकट लिटिल एंजेल्स स्कूल, न्यूपल्ली लेन, मिलनमोड़ में संस्कारशाला कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके तहत 'हार के आगे जीत' विषय पर अपने विचार रखते हुए विद्यालय के शिक्षक अंकुश कुमार मिश्र ने विद्यार्थियों को बताया कि किस तरह से निखिल का नामांकन उस विद्यालय में नहीं हो सका, जहां उसके अन्य दोस्तों का हुआ था। इससे वह काफी उदास रहने लगा। खाना-पीना छोड़ दिया। उसके माता-पिता व नानी समझाते रहे, लेकिन वह समझने के लिए तैयार नहीं था। यहां तक कि एक दिन उसने अपना घर छोड़ दिया। इसको लेकर निखिल के परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल जाता है। थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करानी पड़ती है। समाचार पत्र में विज्ञापन देना पड़ता है। करीब एक सप्ताह बाद निखिल के पिता को फोन से खबर मिलती है कि वह मुंबई में रेलवे स्टेशन पर मिला है। उसके पिता उसे लेने मुंबई जाते हैं। उसे लेकर घर आने के बाद जब उसे समझाते हैं कि किसी भी स्कूल में दाखिला लेकर अपने मेहनत के बल पर आगे निकला जा सकता है। पिता की बात निखिल को समझ आ जाती है। उसके बाद जिस विद्यालय में दाखिला लेता है, उस विद्यालय से वह परीक्षा में जिले भर में प्रथम स्थान हासिल करता है।

यह कहानी सुनकर विद्यालय के विद्यार्थी काफी प्रेरित हुए। अपने जीवन में असफल होने से घबराने या चिंतित नहीं होने, बल्कि इससे सीख लेकर अपने मेहनत के बाद आगे निकलने का संकल्प लिया। विद्यार्थियों ने पूरे जोश के साथ कहा कि हार-जीत जीवन का भाग है। हार के बाद जीत का मजा ही कुछ और है।

विद्यार्थियों ने कितना मन से कहानी सुना इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कहानी के अंत में पूछे गए सवालों का जवाब सही-सही बताया। अगर स्वयं में आत्मविश्वास है तो हारने के बाद भी बड़ी जीत हासिल की जा सकती है। आत्मविश्वास है तो कोई भी कार्य आसानी से किया जा सकता है। दैनिक जागरण ने विद्यार्थियों को अपने संस्कारशाला कार्यक्रम के माध्यम से उनके अंदर अच्छाई की समझ भरने की जो पहल कर रहा है, यह अपने आप में काफी मायने रखता है। सकारात्मक सोच से आत्मविश्वास बढ़ता है और आत्मविश्वास के बल पर व्यक्ति हार के बाद भी जीत सकता है।

राधिका शर्मा, प्रधानाध्यापिका दैनिक जागरण ने संस्कारशाला के माध्यम से विद्यार्थियों में अच्छाई की समझ दिलाने की जो पहल शुरू की है, यह काफी सराहनीय है। अच्छाई की समझ से बच्चे गलत रास्ते से दूर रहेंगे। जीवन में अगर कभी हार भी मिलती है तो इसे घबराना नहीं चाहिए, बल्कि कड़ी मेहनत के बल पर सफलता की ऊंचाईयों पर पहुंचने का प्रयास करना चाहिए।

अंकुश कुमार मिश्र, शिक्षिक

अगर जीवन में एक बार हार भी मिले तो इससे दुखी नहीं होना चाहिए। आगे बढ़ते रहना चाहिए। जो मैदान में डटा रहता है, अंत में जीत उसी की होती है। इसके लिए किसी को अपना आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए।

विकास के लिए आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है। आत्मविश्वास का मतलब स्वयं के अंदर विश्वास का होना। आत्मविश्वास के बल पर हार के बाद भी सफलता अर्जित की जा सकती है।

बिट्टू साहा, शिक्षक हार-जीत जीवन का अंग है। शुरू में हार, हार नहीं कहलता है, बल्कि इस हार से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। हारने के बाद समझ में आता है कहां कमी रह गई है। इसके बाद उस कमी को सुधार कर जब आगे बढ़ा जाता है, तो फिर से पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ती है। आत्मविश्वास के बल पर बच्चे कठिन से कठिन कार्य सकते हैं, जबकि आत्मविश्वास की कमी से आसान से आसन कार्य नहीं कर पाएंगे। बच्चों के अंदर आत्मविश्वास बढ़ाने में माता-पिता बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

बिमल शर्मा, शिक्षक कड़ी मेहनत करने से सफलता मिलती है। अगर परीक्षा में कभी असफलता भी मिले तो इससे घबराना नहीं चाहिए। इससे अपने अंदर कमियों को सुधार करने में काफी मदद मिलती है। यह सब आत्मविश्वास के बल पर होता है। आत्मविश्वास किसी भी इंसान के लिए बहुत जरूरी है। आत्मविश्वास के बिना कोई भी आगे नहीं बढ़ सकता। कोई काम पूरे आत्मविश्वास के साथ करना चाहिए। आत्मविश्वास के बल बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है।

अंशुमान थापा, छात्र

हार से कुछ सीखने को मिलता है। कमियों के बारे में जानकारी मिलती है, तथा फिर सुधार करने में मदद भी मिलती है। हार से सबक लेते हुए जीत के लिए आगे प्रयास करना चाहिए। जिसके अंदर आत्मविश्वास की कमी है, वह कभी सफल नहीं हो सकता है। इसलिए आत्मविश्वास जीवन में बहुत जरूरी है। किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है। ऐसे में हार-जीत का फिक्र किए बगैर अपने काम में लगे रहना चाहिए।

लेहर दंगल, छात्रा

परीक्षा में फेल होने से निराश नहीं होना चाहिए। बल्कि कहां कमी रह गई है, इसमें सुधार करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। जब अपनी कमजोरी को पहचान कर उसमें सुधार करेंगे तो अवश्य जीत मिलेगी। हार-जीत जीवन का हिस्सा है।

हमारे जीवन में किसी कार्य को करने व उसमें सफलता पाने के लिए आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है।

आत्मविश्वास के बल पर कोई भी इंसान सफलता की सीढ़ी चढ़ सकता है। वहीं इसकी कमी होने पर वह असफल हो जाता है। आत्मविश्वास से ही जीत की राह आसान होती है।

नार्बु लामा, छात्र

जीवन में बहुत बार हारते हैं। हार से बहुत कुछ सिखने को मिलता है। अगर हम हारते नहीं हैं तो जीवन में सुधार का मजा ही नहीं आता है। ऐसे कहें तो हार के बाद जीत का मजा ही कुछ और है। कैसी भी परिस्थति सामने क्यों न आए जाए, हार के बाद भी आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए। यहां तक कि हमें असफल होने के बाद दोगुने आत्मविश्वास के साथ कार्य करने की कोशिश करनी चाहिए, जीत अवश्य मिलेगी। आत्मविश्वास के साथ कार्य करना चाहिए।

पवित्रा राई, छात्रा


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