हिंदी अकादमी ने उत्तर बंगाल में हिंदी पर कराया मंथन
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-दीनबंधु मंच के रामकिंकर हॉल में 'हिंदी दिवस समारोह-2021' आयोजित
-'उत्तर बंगाल में हिंदी : कल आज और कल' पर हुई संगोष्ठी जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : हिंदी दिवस (14 सितंबर) के उपलक्ष्य में मंगलवार को पश्चिम बंग हिंदी अकादमी की ओर से यहां दीनबंधु मंच के रामकिंकर हॉल में 'हिंदी दिवस समारोह-2021' का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन सिलीगुड़ी महकमा के एसडीओ पाटिल श्रीनिवास व्यंकटराव ने अन्य अतिथियों संग दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अकादमी के सदस्य दिलीप दूगड़ ने सभी का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य में हिंदी के प्रचार प्रसार को लेकर जिस तरह की भाषा नीति बनाई जा रही है, उसके प्रति पूरा का पूरा बंगाल आशान्वित है। अब बंगाल में हिंदी को लेकर एक नवजागरण युग का अवतरण सा प्रतीत होता है। मुख्य अतिथि के रूप में एसडीओ पाटिल श्रीनिवास व्यंकटराव ने कहा कि हिंदी किसी राज्य विशेष की नहीं बल्कि पूरे भारत की भाषा है। इसे हर किसी को खुले दिन से अपनाना चाहिए। इसी में पूरे भारत को एकता के सूत्र में पिरोने की क्षमता है।
इस अवसर पर 'उत्तर बंगाल में हिंदी : कल आज और कल' विषयक एक संगोष्ठी हुई। संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए अकादमी के सदस्य डॉ. अजय कुमार साव ने कहा कि वर्तमान यदि निकट अतीत का अनिवार्य रूप से परिणाम है, तो साथ ही भविष्य का अनिवार्य रूप से प्रस्थान भी है। इस दिशा में उत्तर बंगाल शिक्षा, व्यवसाय, पत्रकारिता एवं विविध सामुदायिक सास्कृतिक वैविध्य के बीच हिंदी एकमात्र जुड़ने और जोड़ने ही नहीं, बल्कि जुड़े रहने का एकमात्र माध्यम बनी रही है। ऐसे में अतीत का पुनरावलोकन करते हुए वर्तमान को संस्कारित करने का सृजनात्मक अवसर उपलब्ध होता है, जिसे भावी समृद्धि की ओर हम अग्रसर कर सकते हैं। इस संगोष्ठी में बतौर वक्ता डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह ने साहित्यिक परिदृश्य के अतीत और वर्तमान को प्रस्तुत करते हुए उत्तर बंगाल में हिंदी के विकास में पत्रकारिता की महती भूमिका को रेखांकित किया। कालीपद घोष तराई महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जॉन ब्रेकमास तिर्की चाय बागानों में रहने वाले आदिवासी समाज के लिए शेष संसार से संपर्क हेतु हिंदी को ही एकमात्र सहारा करार दिया। वहीं, पत्रकार इरफान-ए-आजम ने हिंदी वालों से हिंदी के कल्याण के लिए सक्रिय होने का आह्वान किया। डॉ. मुन्नालाल प्रसाद ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा स्थापित हिंदी माध्यम के संस्थानों में जिम्मेदारों द्वारा हिंदी के प्रति बरती जा रही उदासीनता पर चिंता जताई। संगोष्ठी का सफल संचालन अकादमी के सदस्य डॉ. मजीद मियां ने किया।
इस अवसर पर अलग से कवि गोष्ठी भी हुई। इसमें जहां डॉ. भीखी प्रसाद 'वीरेंद्र', देवेन्द्र नाथ शुक्ल, अर्चना शर्मा, नेमतुल्लह नूरी, राजा पुनियानी, रीता दास, उषा नंदी व सुनम प्रसाद जैसे वरिष्ठ कवियों ने एक से एक विषयों को समेटते हुए अपनी रचनाएं पेश कीं वहीं नवोदित कवि-कवयित्रियों में कमला सिंह 'महिमा', मनीषा गुप्ता 'अपूर्वा', ज्योति भट्ट, मनीषा सिंह, प्रियंका भगत व धनंजय मल्लिक ने आदि ने भी अपनी उत्कृष्ट रचनात्मक प्रतिभाओं की प्रस्तुति दे खूब वाहवाही लूटी। कवि गोष्ठी का बखूबी संचालन शायर इरफान-ए-आजम ने किया। इससे पूर्व छात्रा अंजू यादव ने हिंदी में रवींद्र संगीत की प्रस्तुति दे कवि गोष्ठी का शुभारंभ किया। अकादमी के सदस्य डॉ. ओम प्रकाश पाडेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर अतिथि के रूप में दाíजलिंग जिला के सूचना व संस्कृति विभाग के उपनिदेशक जगदीश चंद्र रॉय, सहायक उपनिदेशक मितेंद्र कुमार छेत्री, बी. केबल व अन्य कई उपस्थित रहे।

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