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कांग्रेस और वामो से गठबंधन के लिए भाकपा माले तैयार

भाकपा-माले के लिए भाजपा दुश्मन नंबर वन-अभिजीत -चुनाव में तृणमूल के साथ भी कोई गठबंधन

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 06:04 PM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 06:04 PM (IST)
कांग्रेस और वामो से गठबंधन के लिए भाकपा माले तैयार
कांग्रेस और वामो से गठबंधन के लिए भाकपा माले तैयार

भाकपा-माले के लिए भाजपा दुश्मन नंबर वन-अभिजीत -चुनाव में तृणमूल के साथ भी कोई गठबंधन नहीं

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-पार्टी की बैठक में भाग लेने पटना हुए रवाना

-दीपांकर भट्टाचार्य के साथ होगी रणनीतियों पर चर्चा

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :

भाकपा (माले) कभी वामपंथ के लिए उर्वरा रही बंगाल की धरती पर इस बार फसल काटना चाहती है,जो माकपा नहीं कर पा रही है। लेकिन इसके लिए तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होगा। अगर पार्टी के लिए दुश्मन नंबर एक भाजपा है तो नंबर दो पर तृणमूल कांग्रेस ही आती है। इस बात को कैसे पार्टी के कैडर भुल पाएंगे। यह स्पष्ट किया है भाकपा माले के सेंट्रल कमेटी सदस्य व नक्सली आंदोलन के जनक रहे चारु मजूमदार के पुत्र अभिजीत मजूमदार का। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि वे पटना जा रहे है। वहां सेंट्रल कमेटी की बैठक है। छह दिसंबर को लौटने के बाद चुनावी तस्वीर को स्पष्ट कर पाएंगे। पार्टी के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य के साथ बातचीत होगी। उन्होंने कहा कि कुछ मीडिया ने यह प्रचारित शुरु कर दिया है कि भाकपा माले बिहार के तर्ज पर बंगाल में महागंठबंधन करने वाली है। यह ठीक नहीं है। पार्टी का बंगाल को लेकर नजरिया माकपा और वामो से अलग है। उन्होंने कहा की बंगाल के चुनावों ने दिखाया है कि भाजपा की राजनीति, विचाधारा और शासन के खिलाफ प्रभावी तौर पर लड़ा जा सकता है। बिहार में ताकत बढ़ाने के साथ ही भाकपा-माले पश्चिम बंगाल के चुनावों पर भी फोकस करेगी। बंगाल में पार्टी के लिए भाजपा ही मुख्य प्रतिद्वंद्वी है। विधानसभा चुनावों में भाजपा की खतरनाक राजनीति से लड़ने और उसे हराना ही बंगाल में हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। वामो और कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए तैयार

जब उनसे यह सवाल किया गया कि क्या वह बंगाल में लेफ्ट-काग्रेस के प्रस्तावित गठबंधन का हिस्सा बनना चाहेंगे तो उन्होंने कहा कि पार्टी चाहती है कि वाममोर्चा के साथ सभी वामपंथी विचारधारा के लोग एकजुट हो। वाममोर्चा का कांग्रेस के साथ गठबंधन है,वह अलग बात है। उन्होंने कहा कि हमें तो ऐसा लगता है कि माकपा के लिए मुख्य चुनावी फोकस भी और तृणमूल और भाजपा को हराने पर है। लेकिन दुश्मन नंबर भाजपा ही है। जबकि तृणमूल दुश्मन नंबर दो है। उन्होंने कहा कि पार्टी का मानना है कि वाम मोर्चा और कांग्रेस के साथ गठबंधन हो। पार्टी वहा अपनी शर्तो पर लेफ्ट फ्रंट के साथ गठबंधन का संकेत दे रही है। उनकी पार्टी तृणमूल को मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी नहीं मानती है। वह नंबर दो पर आती है। खतरा भाजपा से ज्यादा है। क्योंकि उसके साथ आरएसएस समेत अन्य कई संगठनों का पूरा जोर है। यह बंगाल के लिए ही नहीं देश के लिए खतरा है। वर्तमान में बंगाल की तृणमूल सरकार लोकतात्रिक मूल्यों की रक्षा करने और वादों को निभा पाने में विफल रही है।

चुनावी मुद्दे कई होंगे

पार्टी बंगाल में मुख्य चुनावी मुद्दे जैसे कि विकास की कमी, प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा, बेरोजगारी, कोविड-19 से निपटने में नाकामी, साप्रदायिक मुद्दे मोदी सरकार की नीतियों की नाकामियों को लेकर सड़क पर उतरने की तैयारी कर रही है। इससे साफ संकेत हैं कि उनकी पार्टी ममता बनर्जी के साथ चुनावी गठबंधन तो नहीं करना चाहती।

आज का चुनाव धन-बल का

जब यह पूछा गया कि नक्सली आंदोलन की जनक रही उनकी पार्टी बंगाल के कुछ खास क्यों नहीं कर पा रही है तो उन्होंने कहा कि आज का चुनाव धन बल का हो गया है। इसमें पार्टी पीछे रह गयी है। लेकिन अभी भी देश में ऐसा वर्ग है जो धन बल के प्रलोभन के बिना ही चुनाव का हिस्सा बनता आ रहा है। जिससे पार्टी को पूरी उम्मीद है।


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