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    याद किए गए कवि अगम सिंह गिरि

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    Updated: Thu, 27 Dec 2012 10:12 PM (IST)

    कर्सियांग/कालिम्पोंग/मिरिक, जागरण टीम : नेपाली साहित्य के प्रसिद्ध कवि अगम सिंह गिरि की जयंती पर गुरुवार को जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर उनके साहित्य रचना पर वक्ताओं ने प्रकाश डाला।

    कर्सियांग निज संवाददाता के अनुसार, नेपाली साहित्य के ख्याति प्राप्त कवि अगम सिंह गिरि की 86 वीं जयंती के पर साहित्यप्रेमियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। गोरखा जन पुस्तकालय की ओर से प्रेक्षागृह में आयोजित जयंती कार्यक्रम में तिलक शर्मा ने कवि को महान विभूति बताया। उनके कई संस्मरण प्रस्तुत किए। पूर्ण गुरुंग निरूपम ने कवि की प्रसिद्ध काव्य रचना 'युद्ध व योद्धा' पर संक्षिप्त अवलोकन पेश किया। प्रेम प्रधान ने स्मारक निर्माण समिति की कार्यो की प्रशंसा की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आगामी वर्ष में कवि का स्मारक का निर्माण पूरा हो जाएगा। गोविंद सिंह घतानी, भवानी शर्मा, हर्कराज राई किरात, विनोद रसाइली, मिलन प्रधान, दीपक ठटाल, सतीश क्षेत्री, हनोक क्षेत्री व विशाल लामा बल ने स्वरचित गजल व कविता का पाठ किया। इस अवसर पर सहित्य अकादमी द्वारा फेलोसिप प्राप्त असीत राई व साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त व बाल साहित्यकार शिशुपाल शर्मा का अभिनंदन किया गया। स्वागत वक्तव्य पुरुषोत्तम अधिकारी व कार्यक्रम का संचालन डीएस क्षेत्री ने किया।

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    कालिम्पोंग संवाद सूत्र के अनुसार, कवि की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत हुई। नेपाली साहित्य अध्ययन समिति के तत्वावधान में भाईचंद सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में भुवन खनाल ने कवि की कृति पर विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर कविता व रचना का पाठ किया गया। इस अवसर पर साहित्य, पत्रकारिता, समाज व राजनीति विषय पर चर्चा की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता एमबी प्रधान व कार्यक्रम का संचालन विष्णु कोईराला ने किया।

    मिरिक, संवाद सूत्र : नेपाली भाषा के जाने माने कवि अगम सिंह गिरि को उनकी जयंती पर याद किया। साहित्य सुनौ के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में कवि की तस्वीर पर खादा व फूल अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। नेपाली साहित्य में उल्लेखनीय योगदान देने वाले कवि के योगदान को वक्ताओं ने विस्तार से बताया। वक्ताओं ने कहा कि उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। साहित्य को संजीवनी प्रदान करने वाले कवि की जीवनी से युवाओं को सीख लेने की जरूरत है। युवा पीढ़ी का साहित्य के प्रति उदासीन होना शुभ लक्षण नहीं है। युवाओं को साहित्य से लगाव करना चाहिए। साहित्य सभ्यता व संस्कृति संरक्षण में सहायक सिद्ध हो सकता है। साहित्य का समृद्ध होना विकसित समाज की निशानी है। यह समाज का आईना भी है। साहित्य से पथ प्रदर्शन में सहायता मिलती है। इस अवसर पर कवियों ने उनकी लिखी कविता का पाठ किया। कार्यक्रम में उपस्थित लोग कवि की यादों में खो गए।

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