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    हिंदू समाज पर ही ध्यान क्यों देता है RSS? मोहन भागवत ने बताया इसके पीछे का कारण

    Updated: Sun, 16 Feb 2025 10:53 PM (IST)

    Mohan Bhagwat in bengal बंगाल के ब‌र्द्धमान में एक रैली में मोहन भागवत ने कहा कि भारत केवल भूगोल नहीं है। भारत का अपना एक विशिष्ट स्वभाव है। कुछ लोग इन मूल्यों के अनुसार नहीं जी सके। ऐसे लोगों ने अपना अलग देश बना लिया लेकिन जो लोग यहां रहे उन्होंने स्वाभाविक रूप से भारत के मूल तत्व को अपना लिया

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    Mohan Bhagwat in bengal बंगाल में एक रैली को मोहन भागवत ने किया संबोधित। (फाइल फोटो)

    जेएनएन, ब‌र्द्धमान। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदू समाज को एकजुट करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि लोग अक्सर हमसे पूछते हैं कि आप केवल हिंदू समाज पर ही ध्यान क्यों देते हैं। इसका उत्तर यह है कि देश का जिम्मेदार समाज हिंदू समाज है। यह उत्तरदायित्व की भावना से परिपूर्ण समाज है, इसलिए इसका एकजुट होना आवश्यक है।

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    संघ हिंदू समाज को संगठित करना चाहता हैः भागवत

    संघ प्रमुख रविवार को बंगाल के ब‌र्द्धमान में आरएसएस के मध्य बंग प्रांत की सभा को संबोधित कर रहे थे। संघ प्रमुख ने कहा कि विश्व की विविधताओं को स्वीकार करते हुए हिंदू चलता है और सभी की अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं। भागवत ने कहा कि संघ क्या करना चाहता है, इसका एक लाइन में जवाब यही है कि संघ संपूर्ण हिंदू समाज को संगठित करना चाहता है।

    भारत का अपना एक विशिष्ट स्वभाव है

    मोहन भागवत ने आगे कहा कि भारत केवल भूगोल नहीं है। भारत का अपना एक विशिष्ट स्वभाव है। कुछ लोग इन मूल्यों के अनुसार नहीं जी सके। ऐसे लोगों ने अपना अलग देश बना लिया, लेकिन जो लोग यहां रहे उन्होंने स्वाभाविक रूप से भारत के मूल तत्व को अपना लिया.. और यह मूल तत्व क्या है? यह हिंदू समाज है, जो दुनिया की विविधता को स्वीकार करके फलता-फूलता है। हम कहते हैं 'विविधता में एकता', लेकिन हिंदू समाज का मानना है कि विविधता ही एकता है।

    संघ के उद्देश्यों पर चर्चा करते हुए भागवत ने कहा कि संघ को समझना है तो उसके स्वयंसेवक बनिए। त्याग और मर्यादा से परिपूर्ण है हमारी परंपराभागवत ने कहा कि भारत में कोई भी सम्राटों और महाराजाओं को याद नहीं करता, बल्कि अपने पिता का वचन पूरा करने के उद्देश्य से 14 साल के लिए वनवास जाने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और उस भरत को याद रखता है जिसने अपने भाई की पादुकाएं सिंहासन पर रख दीं और वनवास से लौटने पर राज्य उन्हें सौंप दिया।

    ये विशेषताएं भारत को परिभाषित करती हैं। जो लोग इन मूल्यों का पालन करते हैं, वे हिंदू हैं और वे पूरे देश की विविधता को एकजुट रखते हैं।

    अच्छे समय में भी चुनौतियां आएंगी

    हिंदू एकता की आवश्यकता को दोहराते हुए भागवत ने कहा कि अच्छे समय में भी चुनौतियां आएंगी। समस्या की प्रकृति अप्रासंगिक है। उन्होंने कहा, "महत्वपूर्ण यह है कि हम उनका सामना करने के लिए कितने तैयार हैं।" सिकंदर से लेकर अब तक के ऐतिहासिक आक्रमणों पर बोलते हुए भागवत ने कहा कि "कुछ मुट्ठी भर बर्बर लोग, जो गुणों में श्रेष्ठ नहीं थे, उन्होंने भारत पर शासन किया। भागवत ने इसे समाज के भीतर के विश्वासघात को जिम्मेदार ठहराया।

    आरएसएस प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि किसी राष्ट्र की नियति बदलने के लिए सामाजिक भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का निर्माण अंग्रेजों ने नहीं किया था और तर्क दिया कि भारत के विभाजित होने की धारणा लोगों के मन में अंग्रेजों ने ही डाली थी।