अवैध कोयला खनन से रानीगंज का पूर्वी व पश्चिमी इलाका बना खतरनाक
रानीगंज सरकारी संपत्ति कोयले की लूट के कारण रानीगंज का पूर्वी इलाका असुरक्षित होने के

रानीगंज: सरकारी संपत्ति कोयले की लूट के कारण रानीगंज का पूर्वी इलाका असुरक्षित होने के कारण इलाके में निर्माण कार्य पर रोक लगी है। वहीं पश्चिम के इलाके में आज भी कहीं आग और गैस का रिसाव होता रहता है। रानीगंज के पश्चिमी इलाके में महावीर कोलियरी, सियारसोल राजबारी से लेकर अमृत नगर कोलियरी, जेके नगर रानीसर, बेनाली चलबलपुर, रोटी बाटी, तिराट क्षेत्र धंसान प्रभावित इलाका है। आज भी इस क्षेत्र में नक्शा बनाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। लोग स्वयं की जिम्मेदारी पर नो ऑब्जेक्शन लेकर अपने आवास का निर्माण करते हैं।
अमृत नगर कोलियरी निवासी शिक्षक दीनबंधु ने बताया कि बाबू घर के बगल में ही जमीन से गैस और धुआं का रिसाव हो रहा है। पास में महावीर कोलियरी में हम लोगों के ही परिचित लोगों के एक दर्जन से भी अधिक घर धंस गए हैं। आसपास के तालाब सूख गए हैं। ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (ईसीएल) के पूर्व निदेशक ओपी केडिया ने बताया कि कोल इंडिया ने योजना के तहत रोनाई सहित कई इलाकों में वैज्ञानिक पद्धति से कोयला निकालकर जगह को सुरक्षित करने की योजना बनाई थी। लेकिन उसका विरोध हुआ था। आज स्थिति यह है कि कोयला माफियाओं ने अवैध खान बनाकर कोयले की निकासी कर पूरे क्षेत्र को असुरक्षित कर दिया है। रानीगंज के राम बागान इलाके के लोग आज भी दहशत में हैं। यहां के निवासी अनिल कुमार ने बताया कि कोयला माफिया लाला पर जब से सीबीआइ का शिकंजा कसा है तबसे अवैध खनन बंद हो गया है। पहले अवैध कोयला खनन के लिए ब्लास्टिंग होने पर पूरा घर हिल जाता था। यहां पर कई बिल्डरों ने बहुमंजिली भवन बनाए हैं। लेकिन लोग यहां रहने में अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। जो लोग यहां रह रहे हैं वह बेहद चितित रहते हैं। रानीगंज की भूमिगत आग और भू धंसान प्रभावित इलाके के लोगों को पुनर्वास के लिए वर्ष 2006 में रानीगंज मास्टर प्लान का अनुमोदन किया गया था। उस समय करीब 2610 करोड़ की योजना के तहत रानीगंज के धंसान प्रभावित 139 इलाकों के परिवारों को चिन्हित कर पुनर्वासन योजना बनी थी। लेकिन पुनर्वास का कार्य अभी पूरा नहीं हो पाया है। पुनर्वास के लिए जामुड़िया के विजय नगर में आवास बन रहे हैं।
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