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रेलवे फाटक बंद रहने से वाहन में बच्ची की मौत, स्टेशन पर हंगामा

पांडेश्वर पांडेश्वर रेलवे फाटक बंद होने के कारण गाड़ी फंस जाने से 10 वर्षीय मासूम की

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Feb 2021 01:04 AM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2021 01:04 AM (IST)
रेलवे फाटक बंद रहने से वाहन में बच्ची की मौत, स्टेशन पर हंगामा

पांडेश्वर : पांडेश्वर रेलवे फाटक बंद होने के कारण गाड़ी फंस जाने से 10 वर्षीय मासूम की मौत हो गई। इसके बाद बच्चे के स्वजनों व स्थानीय लोगों ने पांडेश्वर रेलवे स्टेशन में जाकर जोरदार हंगामा किया।

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बताया जाता है कि झारखंड के नाला इलाका निवासी रिया साहा नामक दस वर्षीय बच्ची की काफी अस्वस्थ थी। परिवार वाले उसे एक वाहन से लेकर पांडेश्वर के रास्ते दुर्गापुर जा रहे थे। जैसे ही उनका वाहन पांडेश्वर स्टेशन रेल फाटक के पास पहुंचा, उस समय मालगाड़ी गुजरने के कारण रेल फाटक गेट बंद था। इसमें अस्वस्थ बच्ची का वाहन भी फंस गया। वहीं इस दरम्यान बच्ची ने भी दम तोड़ दिया। फाटक खुलने के बाद भी जाम में वाहन फंसा रहा। हालांकि इस दौरान स्वजनों व स्थानीय लोगों ने फाटक पर मौजूद कर्मियों से गेट खोलने का अनुरोध भी किया था, लेकिन उनके अनुरोध पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। बच्ची की मौत के बाद लोगों ने स्टेशन पर जाकर हंगामा किया। बच्ची की मौत के लिए रेलवे प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया। वहीं तृकां नेता मनीर मंडल के नेतृत्व में स्टेशन प्रबंधक सुनील कुमार मंडल को ज्ञापन भी सौंपा गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि काफी समय से यहां ओवरब्रिज बनाने की मांग हो रही है, लेकिन रेलवे की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

अस्पताल में ईसीएलकर्मी की मौत

उखड़ा : ईसीएल के बंकोला क्षेत्रीय अस्पताल में इलाज के दौरान 50 वर्षीय ईसीएल कर्मी सुरेश पासवान की मौत हो गई। इसके बाद परिजनों में इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा किया।

सुरेश बंकोला मशान धौड़ा कोलियरी निवासी था। कोलियरी में कार्य करने के दौरान उसका स्वास्थ्य बिगड़ गया था। सह कर्मियों ने उसे इलाज के लिए बंकोला क्षेत्रीय अस्पताल में भर्ती कराया था। लोगों का आरोप है कि उस वक्त अस्पताल में कोई चिकित्सक मौजूद नहीं थे। करीबएक घंटे देर से चिकित्सक आए। इस बीच ईसीएल कर्मी की मौत हो गई। उसके रिश्तेदार सुरेश पासवान ने कहा कि इलाज के अभाव में उनकी मौत हुई है। श्रमिक नेता सुजीत चक्रवर्ती ने कहा कि अस्पताल में चिकित्सक नहीं रहते हैं। समय पर इलाज शुरू किया जाता तो कर्मी की जान बच सकती थी। अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर पीयुष पोरेल ने कहा कि अस्पताल में दो स्थायी और एक अस्थायी चिकित्सक हैं। घटना की जांच की जाएगी।


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