सुधर रहे हालात, लाभ की राह में इस्को स्टील
संवाद सहयोगी बर्नपुर स्टील अथारिटी आफ इंडिया (सेल) में इस राज्य की अग्रणी स्टील में से एक
संवाद सहयोगी, बर्नपुर : स्टील अथारिटी आफ इंडिया (सेल) में इस राज्य की अग्रणी स्टील में से एक बर्नपुर इस्को स्टील प्लांट हानि के बाद अब लाभ में कपंनी आ गई है।
अब इस प्लांट की उत्पादन क्षमता बढ़ाने का फैसला लिया गया है। इस कारखाने की उत्पादन क्षमता में 2.5 मिलियन टन से वृद्धि की जाएगी और कुल मिलाकर पांच मिलियन टन क्षमता उत्पादन करने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान में कारखाने की उत्पादन क्षमता 2.5 मिलियन टन है। इस प्लांट में और 2.5 मिलियन टन क्षमता के लिए सेल से यहां लगने वाली नयी मशीन, स्टील सहित आदि के लिए डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) स्टील मंत्रालय में भेजी गई है। स्टील मंत्रालय रिपोर्ट की जांच करेगा और नीति आयोग के माध्यम से अंतिम मंजूरी के लिए पीएमओ कार्यालय भेजेगी। कारखाने की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए मौजूदा कारखाने का विस्तार करना होगा। इसके लिए, सेल को कोई नयी भूमि का अधिग्रहण नहीं करना है। इसके लिए जितनी जमीन की जरूरत है, वह प्लांट के हाथ में है। इस जमीन की चारदीवारी से घेरी भी गई है। प्लांट का विस्तार होगा तो नए रोजगार उत्पन्न होगा। इसके परिणामस्वरूप 5,000 स्थायी तथा 10,000 अस्थायी कर्मचारियों को रोजगार भी दिया जाएगा। क्षेत्र का आर्थिक स्वरूप बदलेगा। इसी तरह आसपास की छोटी और मध्यम, सीमेंट और स्टील मिलों को भी फायदा होगा। ट्रेड यूनियनों ने सेल के फैसले का स्वागत किया है। सेल आइएसपी के सीईओ एवी कमलाकर ने भी सेल दिवस पर अपने संबोधन में आइएसपी में 5 मिलियन टन क्षमता वाली प्लांट का विस्तार करने के ऊपर जिक्र भी किया था। उन्होंने कहा था कि बहुत जल्द इस्को स्टील प्लांट सेल की बड़ी और लाभजनक स्टील प्लांट बनने वाली है। वही एक कार्यक्रम के दौरान भी आइएसपी के ईडी (कार्यकारी निदेशक) अनूप कुमार ने एक साक्षात्कार में कहा कि वर्तमान में कारखाने की उत्पादन क्षमता 2.5 मिलियन टन है। सेल ने इसे बढ़ाकर पांच मिलियन टन करने का फैसला किया है। स्टील मंत्रालय को उसकी रिपोर्ट भी जा चुकी है। इसके लिए कारखाने के विस्तार के लिए कोई जमीन नहीं लेना पड़ेगा, वह पहले से ही कारखाने के पास है। अगर प्लांट का विस्तार होता है तो कुल रोजगार में करीब 15 हजार का इजाफा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आधुनिकीकरण के बाद पिछले वित्तीय वर्ष तक कारखाने को कोई लाभ नहीं हुआ। इस साल प्लांट को मुनाफे का चेहरा देखने को मिला है आगे भी यह बरकरार रहेगा। 2.5 मिलियन टन की कारखाना लगाने के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए पैसा खर्च करना पड़ा था, उसे ब्याज के साथ पिछले वित्तीय वर्ष तक चुकाना भी पड़ा। इस आधुनिक कारखाने में उत्पादन के लिए विदेशों से उच्च गुणवत्ता वाले कोयले का आयात करना पड़ता है। जिनमें से ज्यादातर आस्ट्रेलिया से आता है। इसका कारण यह है कि कारखाने के पास चासनाला और रामनगर खदानों से उत्पादित कोयला बहुत उच्च गुणवत्ता का नहीं है। इस कोयले में राख अधिक होती है। इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। दुर्गापुर स्टील फैक्ट्री, बर्नपुर में भी एक-एक मशीन लगाई जाएगी। उस मशीन की मदद से घरेलू कोयले को फैक्ट्री में इस्तेमाल के लिए उपयुक्त बनाया जाएगा। श्री कुमार ने कहा कि परिणामस्वरूप अधिक पैसा खर्च कर कोयला लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। विदेश से कोयला लाने के लिए बहुत अधिक पैसा खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी। इन दो कारणों से कारखाने पर आर्थिक बोझ बहुत कम हो जाएगा। वहीं यूनियन में आसनसोल आयरन व स्टील वर्कर्स यूनियन के महासचिव हरजीत सिंह ने कहा, यह एक बहुत अच्छा निर्णय है। नतीजतन, जैसे-जैसे रोजगार बढ़ता है, वैसे-वैसे अर्थव्यवस्था भी बढ़ती है। उन्होंने कहा, जहां तक हम जानते हैं, इसके लिए जमीन लेने की जरूरत नहीं है। नए विस्तार के लिए जरूरी जमीन फैक्ट्री के पास है। उस जमीन पर कुछ दुकानें हैं, उन्हें हटा दिया जाएगा।
संयोग से, बर्नपुर इस्को स्टील प्लांट का सबसे पहले विस्तार तब हुआ जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। डेढ़ दशक से भी पहले उस विस्तार के पहले चरण में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। बाद में यह धीरे-धीरे बढ़कर 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया। मालूम हो कि इस बार विस्तार कुछ हजार करोड़ रुपये से अधिक निवेश किया जाएगा।
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