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    शपथ के बहाने तृणमूल ने किया बाबुल को लांच

    अजय झा आसनसोल नगर निगम चुनाव के बाद जीते हुए वार्ड पार्षदों व मेयर चेयरमैन के शपथ ग्रहण

    By JagranEdited By: Updated: Sat, 26 Feb 2022 06:18 PM (IST)
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    शपथ के बहाने तृणमूल ने किया बाबुल को लांच

    अजय झा, आसनसोल : नगर निगम चुनाव के बाद जीते हुए वार्ड पार्षदों व मेयर, चेयरमैन के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान एक बात गौर करने वाली रही कि इस कार्यक्रम में मंच पर एक अलग चेहरा मौजूद था। इस चेहरे का नाम आसनसोल लोकसभा क्षेत्र के सांसद रह चुके बाबुल सुप्रीयो थे। कार्यक्रम शुरू ही हुआ था और बाबुल सुप्रीयो ने इंट्री मार दी मंच पर। कल तक मलय घटक के विरोध में डपली पीटने वाले बाबुल सुप्रीयो ने मंच पर उनका आशीर्वाद लिया। हालांकि ताजा-ताजा चुनाव का स्वाद चखी जनता को समझने में देर नहीं लगी कि यही राजनीति है। सो लोगों में चर्चा जरूर हुई कि राजनीति में इंसान कब किस करवट बैठेगा इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। मसलन बाबुल सुप्रीयो अब भाजपा को छोड़ कर तृणमूल में शामिल हो चुके हैं और माइक में जमकर मलय घटक की तारीफ की। इतना तक कह दिया कि जब भाजपा छोड़ने के बाद राजनीति से उनका मोहभंग होने लगा था तब मंत्री मलय घटक ने ही कहा था भाई इतनी जल्दी राजनीति से हार मानने का नहीं है। भाजपा जगह अच्छी नहीं तो क्या हुआ तृणमूल अपना घर है। बाबुल सुप्रीयो का इस तरह आना और नगर निगम के जनप्रतिनिधियों के शपथ ग्रहण में बातों को रखना कहीं न कहीं लोकसभा चुनाव की तैयारी की ओर इशारा कर रहा है। हालांकि राजनीति की भाषा में अगर कहें तो तृणमूल कांग्रेस ने पहली बार बड़े मंच पर बाबुल सुप्रीयो को लांच किया है।

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    सांसद व मंत्री रह चुके हैं

    अगर अनुभव देखा जाए तो बाबुल सुप्रीयो के पास दो लोकसभा चुनाव लड़ने का पूरा अनुभव है। भाजपा की टिकट पर बड़ी बढ़त बनाकर सांसद बन चुके हैं और केंद्रीय मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। पहली बार बाबुल सुप्रीयो 2014 में भाजपा की टिकट पर सांसद बने। इसके बाद फिर 2019 में दूसरी बाद रिकार्ड तोड़ मतों से चुनाव जीत कर केंद्रीय राज्यमंत्री भी बने। इसलिए राजनीति के पंडितों का कहना है कि तृणमूल इस बार अगर दांव लगाती है तो बड़ा आश्चार्य नहीं होना चाहिए। हालांकि तृणमूल से चुनाव लड़ने की दौड़ में कई लोग अभी से कतार में खड़े हैं। कई ने विधानसभा व नगर निगम चुनाव में अपनी भूमिका दिखा कर दावेदार तो बन गए हैं, लेकिन टिकट किसे देगी यह समय के लियाकत में है।