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    टेट प्रभावित शिक्षकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पुर्न विचार याचिका

    By Manoj Kumar BhagatEdited By: Jagran News Network
    Updated: Sat, 18 Oct 2025 04:02 AM (IST)

    बहाल शिक्षकों को टेट परीक्षा देने की कोर्ट के फैसले को पुर्नविचार करने पर किया गया याचिका

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    टेट प्रभावित शिक्षकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पुर्न विचार याचिका

    संवाद सहयोगी, जागरण, बर्नपुर : एक सितंबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय का आदेश नियुक्त कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों को अपनी नौकरी बरकरार रखने के लिए टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के पुर्न विचार करने और शिक्षकों की नौकरी बचाने के लिए टेट प्रभावित शिक्षकों की ओर से शुक्रवार को कोर्ट में याचिका दायर की गई। बर्नपुर से शिक्षक नेता अशोक रुद्र ने इस याचिका को अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर दायर किया।

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    सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के आने के बाद से शिक्षक वर्ग में इस पर चिंता जताते हुए, तथा राज्य सरकार को भी इससे अवगत कराया गया। बर्नपुर के स्टेशन रोड स्थित तृणमूल कांग्रेस कार्यालय में शिक्षकों की बैठक भी हुई थी, जिसके बाद इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने पर सहमति बनी थी। जिसके बाद याचिका अशोक रुद्र के नेतृत्व में दायर की गई। याचिका दायर करने के पश्चात अशोक रुद्र ने कहा कि इस राज्य भर के लगभग 3-4 लाख और देश भर के लगभग 40-50 लाख शिक्षक इस फैसले से घबरा गए हैं। राज्य के कई हजार शिक्षकों ने इस फैसले और सरकारी निगरानी से जुड़ी विभिन्न चिंताओं को लेकर मुझसे संपर्क किया था। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 26 अगस्त, 2010 से पूरे देश में लागू हुआ। एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) के दिशा निर्देशों के अनुसार, 26 अगस्त, 2010 से पहले नियुक्त शिक्षक किसी भी तरह से टीईटी परीक्षा देने के लिए बाध्य नहीं हैं और 2015 के संशोधन में भी टीईटी में इस अनिवार्य उपस्थिति का उल्लेख नहीं है। हमारा उद्देश्य सर्वोच्च न्यायालय का विरोध करना नहीं है, हमलोग इसपर पुर्न विचार करने तथा शिक्षकों के समक्ष उत्पन्न हुई समस्या का समाधान चाहते है। इस कारण से विभिन्न राज्य से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी जा रही है। हमलोग भी टेट प्रभावित शिक्षक की ओर से यह याचिका डाली गई है। केंद्र की नीति ही है, पूरे देश में सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में स्थायी शिक्षकों की बड़े पैमाने पर छंटनी करनी है। उन्होंने कहा कि शिक्षक समुदाय में अनावश्यक दहशत पैदा करने और उन्हें एक अनिश्चित अंधकारमय भविष्य की ओर धकेलने की केंद्र सरकार साजिश कर रही है। दिल्ली स्थित एनसीटीई कार्यालय में भी इसे लेकर ज्ञापन दिया गया है।