पानागढ़ के भव्य औद्योगिक क्षेत्र के भीतर उद्योग नहीं
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अश्विनी रघुवंशी, पानागढ़ : बंगाल की राजधानी कोलकाता से पेशावर को जानेवाली जीटी रोड के किनारे पानागढ़ औद्योगिक क्षेत्र है। 1490 एकड़ में फैला है। प्रवेश द्वार इतना भव्य कि नजर टिक जाए। पश्चिम बंगाल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन का लोगो जगमग दिखता है, नहीं दिखते हैं औद्योगिक क्षेत्र के भीतर उद्योग। अभी आधारभूत संरचना विकसित करने का काम प्रगति पर है। सिलिकॉन कैपिटल, आशीर्वाद पाइप, सुगना फीड्स, पीएचई वाटर, बाकर इंजीनियरिग जैसे गिनती के कुछ छोटे कारखाने अभी यहां लगे हैं। औद्योगिक क्षेत्र से सटे एक हिस्से में मैट्रिक्स, इमामी, एचपी, ग्लोब्स में उत्पादन शुरू हुआ है। इतना नहीं कि मजदूरों का तांता दिखे।
औद्योगिक क्षेत्र के प्रवेश द्वार पर मिधा ने मूढ़ी, घुघनी और चाय का ठेला लगाया है। वे पहले मैट्रिक्स फर्टिलाइजर एंड केमिकल में ठीका मजदूर थे। कुछ और कंपनियों में ठीका मजदूरी के बाद वे इस पार्क के गेट पर जम चुके हैं। यकीन है कुछ महीनों बाद कई कारखाने होंगे। तब उनके जीवन में खुशहाली आएगी। एक दिन ठेले की जगह अपना लाइन होटल होगा। बगल में स्वाईं गांव है। आम गांव जैसा। यहां के संजीत कोनार बड़ी गर्मजोशी से मिले। बोले, वाममोर्चा का शासन था, तब औद्योगिक पार्क के लिए जमीन लेने का काम हुआ। दीदी राज में पार्क का विकास शुरू हुआ मगर गति बेहद धीमी। पांच साल पहले कारखाने लगते, तो लोगों की जीवन गेट की तरह चमचम करता। गांव के दिलीप नायक आशीर्वाद प्लास्टिक पाइप में ठीका मजदूर हैं। कुछ और ग्रामीण भी आ गए और बोले, अधिकतर कारखानों में ठीका कंपनी से मजदूर लिए जाते हैं। पुरुलिया, बांकुड़ा से कामगार आकर यहां कंपनियों में काम कर रहे हैं। वे नेताओं को पैसे देकर नौकरी पाते हैं। यहां के युवाओं से लोकल लीडर पैसा नहीं लेते न नौकरी देते हैं। डर है कि लोकल से पैसा लेंगे तो हल्ला होगा। कोई भी सरकार आए, तेजी से कारखाना लगाए, हमें काम मिले और क्या चाहिए। औद्योगिक पार्क में पानागढ़ का शुभम ठाकुर सुरक्षा गार्ड है, उसने बताया कि अभी 18 लोग गार्ड की वर्दी पहने हैं। औद्योगिक पार्क की सारी जमीन पर कारखाने हो जाएं तो गार्ड में 500 से ज्यादा लोगों को नौकरी मिलेगी। कम से कम पांच हजार लोगों को रोजगार यहां होगा।
दीदी को कोस रहे भाजपा और वाममोर्चा : यहां बेरोजगारी बड़ा मसला है। आसनसोल के भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो कई सभाओं में ममता सरकार पर आरोप लगाए हैं कि 10 साल में कोई भी कारखाना नहीं लगा पाई। उद्यमियों को तृणमूल के शीर्ष लोगों से सिर्फ मुलाकात के लिए निवेश करना पड़ता है, तो कारखाना के लिए कहां से निवेश करेंगे। वाममोर्चा और कांग्रेस गठबंधन ने भी उद्योगों की स्थापना नहीं होने के लिए ममता सरकार की लगातार घेराबंदी की है। माकपा की जहांआरा खान कहती हैं वाममोर्चा सरकार होती जामुड़िया में बड़ा निजी इस्पात कारखाना होता। सब तय हो गया था, ममता सरकार आने से नहीं लग पाया। नंदीग्राम से वाममोर्चा उम्मीदवार मीनाक्षी मुखर्जी भी कहती हैं कि नंदीग्राम के लोग अपनी जमीन पर कारखाना लगाना चाहते हैं। लोगों को आज अफसोस है कि तृणमूल के बहकावे में आ गए थे। तृणमूल के राज्य सचिव वी. शिवदासन दासू ने कहा कि पानागढ़ औद्योगिक क्षेत्र में ममता दीदी ने पेड़ लगा दिए हैं, इतने फल मिलेंगे कि लोग खाते-खाते थक जाएंगे। सिर्फ मुंह से बोलने से कारखाने नहीं लगते। ममता सरकार 10 साल से तो मोदी सरकार भी सात साल से है, बताओ भारत सरकार ने बंगाल में कौन सा कारखाना लगा दिया। ममता दीदी की कोशिश से पानागढ़ समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों में कारखाने लग रहे हैं। जो जल्द चालू होंगे।
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