प्रवचन में शिव पार्वती विवाह का वर्णन
संवाद सहयोगी, सांकतोड़िया : शनि देव की स्थापना के द्वितीय स्थापना दिवस पर शुक्रवार की संध्या श्री
संवाद सहयोगी, सांकतोड़िया :
शनि देव की स्थापना के द्वितीय स्थापना दिवस पर शुक्रवार की संध्या श्री श्री मां छिन्नमस्तिका मंदिर परिसर में प्रवचन के छठवें दिन मारुति ¨ककर जी महाराज ने शिव-पार्वती विवाह का अलौकिक वर्णन किया। उन्होंने कहा कि शिवजी जब बारात लेकर चले तो उनके दल में एक से बढ़ कर एक देवता और भूत-बैताल आदि साथ थे। दरवाजे बारात लगने का शब्दिक चित्रण करते हुए देवी पार्वती की मां मैना देवी की मनोभावना के बारे में बताते हुए कहा कि पार्वती की मां ने अपनी साथ की स्त्रियों से कहा कि दुल्हा जब सामने आए तो मुझे बताना। वे झरोखे से बारात को आते देख रहीं थी। इसी बीच सामने देवराज इंद्र को आते देखा तो कह बैठी कि यही दुल्हा है। इस पर स्त्रियों ने कहा कि ये तो दुल्हे के नौकरों में है। देवी पार्वती की मां यह सोंचकर हर्षित हुई कि ये इतने सुंदर हैं तो दुल्हा और भी सुंदर होगा। तभी गरुड़ पर सवार भगवान विष्णु पर नजर पड़ी। तब स्त्रियों ने कहा कि नहीं ये तो दोस्तों में है। उनके पीछे ब्रह्मा को देखकर दूल्हे का भ्रम हुआ। इसी बीच भभूत लपेटे अजीब वेशभूषा और अजीबो-गरीब संगी साथियों के साथ भोले शिव को आता देख स्त्रियों ने कहा कि यही दुल्हा है तो उनके होश उड़ गए। वे सीधे माता पार्वती के पिता हिमालय पर बिगड़ गई और कहा कि पूर्व के सूरज पश्चिम उग अईहें, पर अईसन पागल के संग गौरा ना जईहें। बराती में किसी के शरीर से मुंह गायब, तो किसी का मुंह पीछे हाथ पैर सामने, स्वयं शिवजी के चारों तरफ सर्पो को लिपटा देखकर पंडित जी और नाउन की हालत पतली हो रही थी। शिव-पार्वती के विवाह की कथा के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।
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